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कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए गए हरक सिंह, मामले में CM त्रिवेंद्र ने साधी चुप्पी

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Published : Oct 21, 2020, 6:23 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 10:34 PM IST

भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड बीते लंबे समय से विवादों में रहा है. अब श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को भी इसके अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. यह मामला आम आदमी पार्टी की टोपी पहने हुए लोगों को साइकिल बांटने से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. जानिए हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही क्यों शुरू हुआ था विरोध...

harak singh rawat
हरक सिंह रावत

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार में कद्दावर मंत्री हरक सिंह रावत को सरकार ने तगड़ा झटका देते हुए उन्हें भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिया है. फिलहाल, इसकी जिम्मेदारी श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल को दी गई है. वहीं, मामले में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुप्पी साधी है.

बता दें कि भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड का हरक सिंह को अध्यक्ष बनाए जाने के साथ ही विवाद शुरू हो गया था और तमाम नियुक्तियों को लेकर इसमें पूर्व में विवाद रहा है. ताजा विवाद आम आदमी पार्टी की टोपी पहने हुए लोगों को साइकिल बांटने से जुड़ा हुआ है. इस मामले ने खूब तूल पकड़ा और कहा गया कि आम आदमी पार्टी कैसे कर्मकार बोर्ड की साइकिलों को अपने फायदे के लिए बांट सकती है.

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इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जांच के भी आदेश दिए हुए हैं. ऐसे में जब जांच गतिमान है, इस समय कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को इस पद से हटाया जाना कई सवाल खड़े कर रहा है. हालांकि, इस सबके बावजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब ईटीवी भारत ने सवाल किया तो जवाब देने से बचते नजर आए. बहरहाल, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की चुप्पी से साफ लगता है कि इस मामले में कुछ तो ऐसा है, जिसे सरकार छुपाना चाहती है.

हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही शुरू हुआ था विवाद
हरक सिंह रावत को बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर यूं तो तमाम कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह भी है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के अध्यक्ष बनने के साथ ही इस बोर्ड में लगातार एक के बाद एक कई विवाद सामने आते रहे. ये विवाद बीते 2017 से अब तक जारी है. बोर्ड में नियुक्ति से लेकर इसकी योजनाओं के संचालन तक में सवाल खड़े होते रहे. खास बात यह है कि इन सभी विवादों में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का नाम भी सुनाई देता रहा.

दरअसल, हरक सिंह रावत ने जब सरकार बनने के बाद साल 2017 में बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कार्यभार संभाला, उसी समय उनके इस तरह पद संभालने पर सवाल खड़े हुए हैं. इस पद पर सचिव श्रम ही दायित्व संभालते रहे हैं, लेकिन साल 2017 में बीजेपी की सरकार बनने और श्रम विभाग हरक सिंह रावत को मिलने के बाद इस महत्वपूर्ण पद को उन्होंने ही संभाल लिया. जिसे नियमों के उल्लंघन के रूप में भी देखा गया.

इसके बाद यह भी बात कुछ धीमा हुआ ही था कि हरक सिंह रावत ने अपनी करीबी दमयंती को शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर इस बोर्ड में सचिव का पद दे दिया. इस पर तो जमकर विवाद हुआ और शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और हरक सिंह रावत के बीच प्रतिनियुक्ति के लिए एनओसी दिए बिना श्रम विभाग ने दमयंती को भेजने को लेकर आपसी रस्साकशी भी देखने को मिली. इतने विवाद के बाद भी हरक सिंह रावत ने दमयंती को इस पद पर बनाए रखा, जो आज भी यहां तैनात हैं.

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श्रमिकों को साइकिल बांटने से जुड़ा नया मामला
दरअसल, बीत दिनों आम आदमी पार्टी की टोपी लगाए लोगों ने श्रमिकों को साइकिलें बांटी और इन साइकिल पर बोर्ड का नाम लिखा था. इस मामले ने खूब तूल पकड़ा और कहा गया कि आम आदमी पार्टी कैसे कर्मकार बोर्ड की साइकिलों को अपने फायदे के लिए बांट सकती है. मामला इतना बढ़ा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पर जांच के आदेश भी दे दिए. जो फिलहाल गतिमान है. माना जा रहा है कि इसी मामले से हरक सिंह रावत को अध्यक्ष पद से हटाने की रूपरेखा तैयार हो गई थी. हरक सिंह रावत पर अपनी पुत्र वधू के एनजीओ को भी लाभ पहुंचाने का आरोप है, जिस पर फिलहाल मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग है.

कहने को तो यह बोर्ड कैबिनेट मंत्री के कद के लिहाज से कुछ खास नहीं है, लेकिन हकीकत यह भी है कि यह बोर्ड वित्तीय रूप से काफी महत्वपूर्ण और मजबूत है. इस बोर्ड के जरिए राजनीतिक रूप से योजनाओं का श्रमिकों को फायदा देकर लाभ लिया जा सकता है तो वहीं, योजना में श्रमिकों को तमाम काम और छात्रवृत्ति दी जाती है, जो कि इस बोर्ड के सबसे महत्वपूर्ण कामों में से एक है.

Last Updated :Oct 21, 2020, 10:34 PM IST
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