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शिक्षा विभाग के दोहरे मानक से अतिथि शिक्षक परेशान, किसी को वेतन मिला तो किसी को इंतजार

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Published : Jun 5, 2022, 3:57 PM IST

Guest teachers in uttarakhand
दोहरे मानक से अतिथि शिक्षक परेशान

अतिथि शिक्षक संघ की ने शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत से शासनादेश में बदलाव की मांग की है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि कई विकासखंडों में शिक्षकों को जनवरी, मई और जून माह का वेतन दिया जा रहा है. जबकि जिन विकासखंडों में वेतन नहीं दिया जा रहा है. वहां शासनादेश का हवाला दिया जा रहा है कि कार्य अवधि का मानदेय ही दिया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड शिक्षा विभाग की गलती के कारण माध्यमिक अतिथि शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षा विभाग द्वारा एक ही प्रदेश में दो मानक चलाकर अतिथि शिक्षकों के मानदेय को लेकर खिलवाड़ किया जा रहा है. माध्यमिक विद्यालयों में तैनात अतिथि शिक्षकों का कहना है कि कई विकासखंडों में अतिथि शिक्षकों को जनवरी और मई और जून के मानदेय दिया जा रहा है तो कई विकासखंडों में शासनादेश का हवाला देकर मनादेय नहीं दिया जा रहा है.

मामले में माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ की ने शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत से शासनादेश में बदलाव की मांग की है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि जिन विकासखंडों में जनवरी, मई और जून माह का वेतन नहीं दिया जा रहा है. वहां शासनादेश का हवाला दिया जा रहा है कि कार्य अवधि का मानदेय दिया जाएगा.

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अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अधिकारियों की ओर से ही शासनादेश का पालन नहीं किया जा रहा है. इसलिए माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ ने जल्द ही शासनादेश में बदलाव की मांग की है. माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष संजय मोहन नौटियाल और शिक्षक प्रवीन भट्ट ने कहा 2021 में जुलाई और दिसंबर माह की कैबिनेट बैठक में प्रदेश में करीब 4000 माध्यमिक अतिथि शिक्षकों के लिए तीन निर्णय लिए गए थे.

माध्यमिक अतिथि शिक्षकों ने कहा कैबिनेट में अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न माना जाए, साथ ही अतिथि शिक्षकों को उनके मूल जनपदों में तैनाती और मातृत्व अवकाश पर सहमति बनी थी, लेकिन इसके बाद भी आज तक शासनादेश लागू नहीं हुआ है. जबकि अतिथि शिक्षक विभागीय कार्यों के साथ ही कोविड काल की ड्यूटी, परीक्षा ड्यूटी और चुनाव ड्यूटी का पूरी तरह निर्वहन कर रहे हैं. अतिथि शिक्षकों ने इस संबंध में शिक्षा मंत्री से लेकर निदेशालय स्तर पर अपनी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिससे अतिथि शिक्षकों में निराशा का भाव बना हुआ है.

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