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उत्तराखंड के पुराने शहर बेहाल! नए शहर बसाने की योजना बना रही सरकार, जानें क्यों

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Published : Nov 7, 2022, 6:32 PM IST

धामी सरकार 5 प्रमुख शहरों में नई टाउनशिप (new township plan) का प्लान कर रही है. इन मिनी शहरों को विकसित करने के लिए सीएम धामी ने टास्क फोर्स का भी गठन कर दिया है. सरकार ने जिलों में बढ़ते आबादी के दबाव को देखते हुए यह निर्णय लिया है. इन नए शहरों में रिहायशी क्षेत्रों के साथ ही आईटी कंपनियां और रोजगार परक संस्थान भी होंगे.

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देहरादूनः सरकार की योजना अगर परवान चढ़ी तो उत्तराखंड के 4 जिलों की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी. उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक सर्वे के बाद यह फैसला लिया है कि राज्य में 5 नए शहर बनाए जाएंगे. इसकी जरूरत इसलिए पड़ रही है, क्योंकि सर्वे के बाद यह सामने आया है कि देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल में जनसंख्या का दबाव अधिक बढ़ रहा है. सड़कें, चौक-चौराहा और रिहायशी इलाके बेहद छोटे होते जा रहे हैं. आबादी बढ़ने से आने वाले सालों में उत्तराखंड को और दिक्कतों का सामना ना करना पड़े. इसलिए सरकार अब कुछ नए शहर बनाने की योजना तैयार कर रही है.

इस योजना के तहत देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में उन जगहों को चिन्हित करने के निर्देश सरकार ने अधिकारियों को दिए हैं जहां पर नए टाउनशिप (Uttarakhand Township Scheme) बनाए जा सकते हैं. देहरादून में विकासनगर, डोईवाला, भानियावाला, हरिद्वार में लक्सर रुड़की मार्ग के आसपास का इलाका और उधमसिंह नगर में उत्तर प्रदेश से लगते क्षेत्र को नए शहरों की सूची में बताया जा रहा है. इसके लिए सीएम धामी ने सचिव से लेकर जिला अधिकारियों को जगह तलाशने के निर्देश जारी कर दिए हैं. मौजूदा सरकार इन शहरों को बनाने में ज्यादा समय नहीं, बल्कि 5 साल का समय निर्धारित किया है. ताकि 2027 तक उत्तराखंड की तस्वीर को बदला जा सके.

नए शहर बदलेंगे उत्तराखंड की सूरत ?: मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह निर्देश दिए कि इन नए शहरों को चंडीगढ़ मोहाली की तरह बसाए जाएं. जहां पर आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ रिहायशी क्षेत्र और अन्य रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जा सकें. सरकार का यह मानना है कि नए शहरों के बसने से एजुकेशन इंडस्ट्री के साथ-साथ उत्तराखंड में बसने वाले लोगों को भी फायदा मिलेगा. इससे रोजगार भी उत्पन्न किया जा सकेगा.

टास्क फोर्स गठितः सरकार ने बीते दिनों जो सर्वे करवाया था, उसमें यह बात निकलकर सामने आई थी कि उत्तराखंड के महत्वपूर्ण 4 जिलों में जनसंख्या का दबाव अधिक हो रहा है. यह किसी भी राज्य या शहर के लिए सही नहीं है. लिहाजा नए शहरों को बचाने का काम जल्द से जल्द शुरू हो इसके लिए सरकार ने बकायदा एक टास्क फोर्स भी गठित कर दी है. यह टास्क फोर्स 5 महीनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश करेगी.

कितनी है चार जिलों की जनसंख्याः मौजूदा समय में उत्तराखंड में 100 से अधिक राज्य नगरीय क्षेत्र हैं. इसके साथ ही 4 बड़े जिले देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर और नैनीताल में सबसे अधिक आबादी है. जबकि हरिद्वार में 2011 की गणना के मुताबिक, लगभग 19 लाख की आबादी है. देहरादून में यह आबादी लगभग 17 लाख है. नैनीताल जिले की आबादी लगभग 10 लाख है. उधमसिंह नगर की जन संख्या लगभग 20 लाख है.

चंडीगढ़-मोहाली की तर्ज पर शहरः राज्य सरकार जो नई टाउनशिप बनाने की योजना बना रही है, उसकी सबसे ज्यादा खासियत यह है कि उसका आर्थिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होगा. राज्य सरकार चाहती है कि इस नई टाउनशिप में वह विकास की हर सुविधा हो जो एक विकसित राज्य या शहर में होती है. इन टाउनशिप को चंडीगढ़ और मोहाली की तर्ज पर बसाया और बनाया जाएगा. जहां पर सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी सुविधाएं वर्ल्ड क्लास होंगी. इसके साथ ही इन शहरों को सेक्टरों में बांटा जाएगा. अंदर आर्थिक गतिविधियां हो सके, इसके लिए इंडस्ट्री को भी अंदर ही बसाने की योजना है. राज्य सरकार यह चाहती है कि इन नई टाउनशिप को जो कोई भी देखें वह इसकी तारीफ किए बिना ना रुके.

पुराने शहर गांव की हालत खराबः बरहाल राज्य सरकार भले ही नए शहरों को बनाने की योजना और चर्चा कर रही हो. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक जितने भी शहर गांव कस्बे मौजूदा समय में असुविधाओं की भेंट चढ़े हुए हैं, अगर शासन प्रशासन उन पर भी ठीक से ध्यान दें तो शायद इन जगहों को भी और बेहतर किया जा सकता है. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य का मुखिया हो या फिर विभाग के मंत्री हर महीने विभागों को सड़क के गड्ढे भरने के आदेश दे रहे हैं. स्मार्ट सिटी की जो योजना सालों पहले शुरू हुई थी, वह आज भी अटकी हुई है.

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