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उत्तराखंड को टीबी मुक्त बनाने पर जोर, दून अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ ने मरीजों को लिया गोद

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 28, 2023, 5:27 PM IST

Updated : Aug 28, 2023, 5:53 PM IST

TB Patients in Uttarakhand
उत्तराखंड में टीबी के मरीज

TB Patients in Uttarakhand एक दौर था, जब टीबी की बीमारी का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते थे. जिस मरीज को टीबी हो जाता था, उससे लोग दूरियां बना लेते थे. लेकिन अब लोग जागरूक हो गए हैं. इसके अलावा टीबी के मरीज दवाओं के सेवन से पूरी तरह से ठीक हो रहे हैं. जहां देश को आगामी 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है तो उत्तराखंड ने इसका लक्ष्य 2024 रखा है. लिहाजा, दून अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ ने पहल शुरू करते हुए टीबी के मरीजों को गोद लिया है.

दून अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ ने मरीजों को लिया गोद

देहरादूनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. इसी कड़ी में टीबी मुक्त उत्तराखंड के लिए अभियान तेजी से चलाया जा रहा है. राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल देहरादून के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने एक पहल शुरू की है. जिसके तहत उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर टीबी के मरीजों को गोद लिया है. ताकि, उन्हें पर्याप्त मात्रा में उचित पोषण युक्त भोजन आदि मिल सके.

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष सयाना और मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर अनुराग अग्रवाल ने टीबी के दो-दो मरीजों को गोद लिया है. इसके अलावा अस्पताल की स्टाफ नर्सेज, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी इस पहल के तहत टीबी के मरीजों को गोद लिया है. चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि पहले जहां टीबी को नियंत्रित किए जाने बात की जाती थी, लेकिन अब उसके उन्मूलन की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis), तपेदिक या क्षय रोग के मरीजों के लिए सभी अस्पतालों में जांच की सुविधा और दवाइयां निशुल्क दी जाती हैं. यदि मरीज को भर्ती करना पड़ता है तो यह सुविधा भी निशुल्क दी जाती है. यदि कोई मरीज पॉजिटिव पाया जाता है तो उसकी नि-क्षय आईडी बनाई जाती है. इस कार्ड के माध्यम से टीबी के रोगी को भारत में कहीं भी मुफ्त दवाइयां और सरकार की तरफ से 500 रुपए का अनुदान दिया जाता है. ताकि, उसे उचित पोषित भोजन मिल सके.

TB Patients in Uttarakhand
उत्तराखंड में टीबी के मरीज

दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने कहा कि हाल ही में उत्तराखंड में नि-क्षय मित्र कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसके बाद टीबी उन्मूलन की दिशा में कई लोग सामने आए. जिन्होंने पहल करते हुए मरीजों को गोद लिया है. यह नि-क्षय मित्र उनको इलाज के दौरान हर माह पोषण युक्त आहार मुहैया करा रहे हैं. इसके अलावा उन्हें भावनात्मक सहयोग भी प्रदान कर रहे हैं.

वर्तमान में उत्तराखंड में 12 हजार से ज्यादा मरीजों को इस योजना का लाभ मिल रहा है. गौर हो कि टीबी उन्मूलन की दिशा में देहरादून सभी जिलों से बेहतर कार्य कर रहा है. जिसे हाल ही में गोल्ड अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है. इस दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए दून मेडिकल कॉलेज में जल्द ही ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के लिए वार्ड बनकर तैयार होने जा रहा है.
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क्या है टीबी की बीमारी? टीबी एक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है. जो एक संक्रामक बीमारी है. हालांकि, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया खासकर फेफड़े को ज्यादा प्रभावित करता है. टीबी फेफड़ों के अलावा मस्तिष्क, बच्चेदानी, मुंह, किडनी, लिवर के साथ गले को भी प्रभावित कर सकता है.

यह बीमारी हवा के जरिए एक से दूसरे मरीजों में फैलती है. खासकर जब मरीज खांसता है या छींकता है तो मुंह से निकलने वाली बूंदें हवा में फैलती है. जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू के सेवन से भी बचें.

टीबी की बीमारी में पहले सूखी खांसी होती है, फिर खांसी के साथ बलगम और खून भी आता है. इसके अलावा पसीना आना, बुखार रहना, थकावट रहना, वजन घटना, सांस लेने में परेशानी होना आदि इसके लक्षण हैं. टीबी के मरीजों को इलाज के लिए दवाओं का कोर्स दिया जाता है. जिसे बिना गैप के पूरा करना पड़ता है. ये दवाइयां पूरी तरह से फ्री होती हैं.

इसके अलावा बच्चों को जन्म के समय बीसीजी का टीका लगाया जाता है. अगर टीबी हो जाए तो अपने बलगम या थूक को उचित जगह पर फेंकना या थूकना चाहिए. ताकि, अन्य लोगों में न फैलें. इसके अलावा पौष्टिक भोजन लेने के साथ एक्सरसाइज भी करना टीबी के लिए मरीजों के लिए फायदेमंद होता है.
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Last Updated :Aug 28, 2023, 5:53 PM IST
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