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उत्तरकाशी: आपदा पीड़ितों ने सुनाई दर्द भरी दास्तान, पलभर में मलबे में दब गईं कई जिंदगियां

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Published : Aug 19, 2019, 3:18 PM IST

उत्तराखंड में बारिश का कहर जारी है. उत्तरकाशी में आई आपदा में 10 लोगों के मौत की खबर है. वहीं देहरादून लाए गए पीड़ितों को कहानी सुनकर सबकी रूह कांप जा रही है.

आपदा पीड़ितों ने ईटीवी भारत को बताई आपबीती

देहरादून: उत्तराखंड में 18 अगस्त को आई आपदा का सबसे ज्यादा असर उत्तरकाशी जिले के आराकोट, माकुड़ी, बागड़ा जैसे गांव में हुआ है. प्रशासन के मुताबिक 30 से ज्यादा घायलों को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया है. उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना को जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गई. उत्तरकाशी से देहरादून अस्पताल पहुंचे घायलों से ईटीवी भारत ने जाना कि आखिर वो मंजर कैसा था.

अब तक छह घायलों को एयरलिफ्ट करके देहरादून के दून अस्पताल में लाया गया है. जहां पर डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है. आराकोट के रहने वाले सोहनलाल बताते हैं कि जिस वक्त ये घटना हुई उस समय वह अपने परिवार के साथ अपनी नाती के साथ थे. इतने में अचानक से एक सैलाब आया. थोड़ी देर में ही सैलाब के साथ पत्थर, बालू और बड़े-बड़े पेड़ भी आने लगे. पानी को आता देख पूरा परिवार सुरक्षित स्थान पर भागा, लेकिन इतने में पहाड़ों से पत्थरों का गिरना शुरू हो गया.

आपदा पीड़ितों ने ईटीवी भारत को बताई आपबीती

सोहन लाल ने बताया कि जब तक वह कुछ समझ पाते तब तक उनकी पत्नी के उनकी नाती अचानक हाथ से छूटकर पानी की लहरों में समा गईं. उसके बाद उन्होंने जो देखा वह बेहद ही भयावह था. उनका कहना है कि उनके सामने ही 4 से 5 लोगों के ऊपर पत्थरों की बरसात हो गई, जिसमें वे सभी लोग दब गए थे. जिन घायलों को अस्पताल लाया जा रहा है उनकी अलग-अलग कहानियां है ऐसी ही एक कहानी को याद करके राजेंद्र की भी रूह कांप जाती है.

राजेंद्र ने बताया कि वह त्यूणी से ऊपर गाड़ी लेकर गए थे. उनके साथ उनके चाचा भी मौजूद थे. उनकी गाड़ी के आगे और पीछे लगभग 25 से 30 गाड़ियां चल रही थी. तभी अचानक से बादल फटा और पानी का एक सैलाब गाड़ियों की तरफ आने लगा. बमुश्किल उन्होंने अपनी और अपने चाचा की जान बचाई, लेकिन जब उन्होंने पीछे पलटकर देखा. तो लगभग 5 से 6 गाड़ियां पानी में बह गई थीं. राजेंद्र ने बताया कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त जो लोग गाड़ियों में सवार थे, उन्होंने गाड़ी से बाहर निकलने का मौका नहीं मिला.

Intro:ईटीवी भारत पर आपदा पीड़ितों की आंखों देखी बोले बंद गाड़ी में लोग बहने लगे


फीड ऑन लाइव यू---आपदा की आँखों देखी फोल्डर



उत्तराखंड में कल 18 अगस्त को आई आपदा का सबसे ज्यादा असर उत्तरकाशी जिले के आराकोर्ट,माकुड़ी,बागड़ा जैसे गाँव मे पड़ा है प्रशासन के मुताबिक आधा दर्जन से ज्यादा लोगों के सब अभी तक रिकवर कर लिए गए हैं जबकि 30 से ज्यादा घायलों को उपचार के लिए अस्पताल में रेफर किया जा रहा है उत्तरकाशी के इन गांव में हुई बादल फटने की घटना को जिसने भी देखा उसकी रूह कांप गई उत्तरकाशी से देहरादून अस्पताल पहुंचे घायलों से ईटीवी भारत ने जाना कि आखिरकार उन्होंने अपनी आंखों से क्या देखा और वह मंजर कैसा था



Body:अब तक छह घायलों को एअरलिफ्ट करके देहरादून के दून अस्पताल में लाया गया है जहां पर डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है आरा कोर्ट के रहने वाले सोहनलाल बताते हैं कि जिस वक्त ये घटना हुई उस वक्त वह अपने परिवार के साथ अपनी नाती को खिला रहे थे कितने में अचानक से पानी का एक सैलाब आया जिसमें ना केवल पत्थर बल्कि बालू के साथ साथ बड़े-बड़े पेड़ भी ऊपर से आने लगे पानी की लहरों को देखकर पूरा परिवार सुरक्षित स्थान पर भागा लेकिन इतने में पहाड़ों से पत्थरों का गिरना शुरू हो गया सोहन लाल का कहना है कि जितने में वह कुछ समझ पाते उतने में तब तक उनकी जिंदगी मानव जर्सी गई थी उनकी पत्नी के हाथ में उनकी नाती थी जो अचानक हाथ से छूटकर पानी की लहरों में समा गई और उसके बाद उन्होंने जो देखा वह बेहद ही बयावर था उनका कहना है कि उनके सामने ही 4 से 5 लोगों के ऊपर पत्थरों की बरसात हो गई थी जिसमें वे सभी लोग दब गए थे


Conclusion:जिन घायलों को अस्पताल लाया जा रहा है उनकी अलग-अलग कहानियां है ऐसी ही एक कहानी को याद करके राजेंद्र की भी रूह कांप जाती है राजेंद्र का कहना है कि वह त्यूणी से ऊपर गाड़ी लेकर गए थे उनके साथ उनके चाचा भी मौजूद थे इतना ही नहीं उनके आगे और पीछे लगभग 25 से 30 गाड़ियां चल रही थी जिस वक्त वह नीचे की तरफ आ रहे थे तभी अचानक से बादल फटा और पानी का 1 साल आप उनकी गाड़ियों की तरफ आने लगा बा मुश्किल उन्होंने अपनी और अपने चाचा की जान बचाई लेकिन जब उन्होंने पीछे पलटकर देखा तो लगभग 5 से 6 गाड़ियां पानी में बह गई थी राजेंद्र का कहना है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त गाड़ियों में कुछ लोग भी सवार थे जिन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं मिला
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