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द्रौपदी मुर्मू को मिला उत्तराखंड के 2 निर्दलीय विधायकों का समर्थन

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Published : Jul 11, 2022, 12:44 PM IST

Updated : Jul 11, 2022, 5:20 PM IST

एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ ही अन्य पार्टी नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने अपने पक्ष में मतदान करने का निवेदन किया. उत्तराखंड के दोनों निर्दलीय विधायकों ने मुर्मू को अपना समर्थन देने की घोषणा की.

Draupadi Murmu Uttarakhand Tour
राष्ट्रपति पद उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू

देहरादून: एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Presidential candidate Draupadi Murmu) आज देहरादून दौरे पर पहुंची हैं. इस दौरान उन्होंने सभी विधायकों और सांसदों से मुलाकात की. सभी ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू के साथ बातचीत की. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे. वहीं द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिलता दिख रहा है.

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड भाजपा के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ ही अन्य पार्टी नेताओं से मुलाकात की और अपने पक्ष में मतदान करने का निवेदन किया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे.

द्रौपदी मुर्मू को मिला निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन.

बता दें कि इस स्वागत समारोह में जहां एक तरफ एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू अपने पक्ष में वोट करने के लिए सभी पार्टी पदाधिकारियों से निवेदन कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ द्रौपदी मुर्मू देश के प्रति अपने विजन और विचारों को भी सभी के सामने रख रही हैं. बड़ी बात यह है कि इस कार्यक्रम में बीजेपी के विधायक और सांसद ही नहीं निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और संजय डोभाल भी शामिल हुए हैं. वहीं द्रौपदी मुर्मू को निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन मिला है.

एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन देने की घोषणा करने वाले उत्तराखंड के दो निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और संजय डोभाल हैं. आइए आपको इन दोनों निर्दलीय विधायकों के बारे में बताते हैं.

उमेश कुमार निर्दलीय विधायक खानपुर: 44 वर्षीय उमेश कुमार ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से जीता. यहां से बीजेपी के कुंवर प्रणव चैंपियन विधायक थे. इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. पार्टी ने चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को मैदान में उतारा था. उमेश कुमार ने कुंवरानी देवयानी को हराकर विधायकी का चुनाव जीत लिया.

चुनाव आयोग में दाखिल शपथ पत्र के अनुसार उमेश कुमार ने अपना पेशा कृषि और मीडिया सलाहकार का बताया है. चुनाव आयोग को सौंपे गए शपथ पत्र में उमेश कुमार ने अपनी कुल संपत्ति ₹54.9 करोड़ रुपए घोषित की थी. इसमें ₹9 करोड़ रुपए की चल संपत्ति और ₹45.8 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति शामिल है. उमेश कुमार पर कुल 33 आपराधिक मामले दर्ज हैं.

संजय डोभाल निर्दलीय विधायक यमुनोत्री: 51 वर्षीय संजय डोभाल उत्तरकाशी जिले की यमुनोत्री सीट से निर्दलीय जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. निर्दलीय प्रत्याशी संजय डोभाल ने 22,952 मतों से कांग्रेस के दीपक बिजल्वाण को शिकस्त दी थी. संजय ने कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा था.

इसके अलावा उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी के 47 विधायक हैं. कांग्रेस के 19 विधायक हैं. बहुजन समाज पार्टी यानी मायावती की बसपा के 2 विधायक हैं. मायावती की पार्टी के दो विधायक हरिद्वार जिले की दो सीटों लक्सर और मंगलौर सीटों से है. लक्सर से शहजाद बसपा विधायक हैं. मंगलौर सीट से सरवत करीम अंसारी बीएसपी के विधायक हैं.

पढ़ें-देहरादून पहुंची NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू, MP-MLA के साथ करेंगी बैठक

गौर हो कि एनडीए यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज उत्तराखंड दौरे पर हैं. द्रौपदी मुर्मू आज सुबह 10 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर विशेष विमान से पहुंचीं. यहां से वे सड़क मार्ग से होते हुए देहरादून कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पहुंचीं. शहीद स्थल पर उन्होंने उत्तराखंड के आंदोलनकारियों और शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की.

18 जुलाई को है राष्ट्रपति चुनाव: 18 जुलाई को राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होगा. वहीं, 21 जुलाई को मतगणना की तारीख निर्धारित है. 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने से पहले द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं. राज्यपाल के तौर पर पांच वर्ष का उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था, लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति की ओर से नई नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया था.

अपने पूरे कार्यकाल में वे कभी विवादों में नहीं रहीं. झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं. कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया. विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति हुईं.

Last Updated :Jul 11, 2022, 5:20 PM IST
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