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परिसंपत्ति बंटवारे को लेकर किशोर उपाध्याय ने बोला हमला, लगाए कई गंभीर आरोप

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Published : Nov 16, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Nov 16, 2020, 9:45 PM IST

कांग्रेस
कांग्रेस ने उठाए सवाल

यूपी सरकार और उत्तराखंड द्वारा परिसंपत्ति बंटवारे के दावे को कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने झूठा करार दिया है. साथ ही बदरीनाथ में यूपी पर्यटक आवास गृह के लिए भूमि आवंटन मामले को लेकर सवाल उठाए हैं.

देहरादून/मसूरी: यूपी-उत्तराखंड के बीच परिसंपत्ति बंटवारे का निस्तारण के दावे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए हैं. वहीं सीएम योगी इन दिनों केदारनाथ और बदरीनाथ के दौरे पर आए हुए हैं. इस दौरान उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बदरीनाथ धाम में पर्यटक आवास निर्माण को लेकर भूमि आवंटन किया है. जिसको को लेकर कांग्रेस तिलमिलाई हुई हैं.

परिसंपत्ति बंटवारा का दावा सत्य नहीं- कांग्रेस

कांग्रेस का कहना है कि यूपी और उत्तराखंड की भाजपा सरकार का परिसंपत्ति बंटवारा का दावा दूर-दूर तक सत्य नहीं है. हरिद्वार जिले में ही तमाम ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका अब तक 20 वर्षों में उत्तर प्रदेश से निस्तारण नहीं हो सका हैं. वही, उत्तराखंड सरकार जिस तरह से बदरीनाथ धाम में उत्तर प्रदेश सरकार को पर्यटन आवास निर्माण के लिए भूमि आवंटित की है, यह कहां का न्याय है? ऐसे तो उत्तर प्रदेश के कई धार्मिक स्थलों में भी उत्तराखंड को पर्यटन भूमि आवंटित होनी चाहिए. आगरा, मथुरा, वृंदावन, अयोध्या जैसे तमाम धार्मिक स्थलों में यूपी सरकार को उत्तराखंड के लिए बदरीनाथ धाम की तर्ज पर संपत्ति आवंटित करनी चाहिए.

परिसंपत्ति बंटवारे पर किशोर उपाध्याय की प्रतिक्रिया.

कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप

पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से निकलकर उत्तराखंड एक छोटा राज्य बना है. ऐसे में उत्तर प्रदेश हमेशा से ही राज्य का बड़ा भाई है, लेकिन पहले दिन जब से बंटवारा हुआ, तभी से परिसंपत्ति बंटवारे के पुनर्गठन विधेयक में उत्तराखंड की उपेक्षा हो रही है. आज भी दोनों राज्यों में बीजेपी सरकार होने के बावजूद संपत्ति बंटवारे मामले में उत्तराखंड की उपेक्षा हो रही है. उत्तराखंड के जल, जंगल, जमीन पर उत्तर प्रदेश हक जमाए हुए बैठा है. सबसे बड़े जल (गंगा जैसी नदियों ) पर आज भी उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार का अधिकार है. इतना ही नहीं धर्म नगरी हरिद्वार की 80 फीसदी भूमि पर उत्तर प्रदेश का कब्जा है. साथ ही पूरे उत्तराखंड राज्य की 40 फीसदी भूमि उत्तर प्रदेश के हाथों गिरवी रख दी गई है.

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परिसंपत्ति बंटवारे के सभी दावों को किया खारिज

किशोर उपाध्याय ने परिसंपत्ति बंटवारे के सभी दावों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, वृंदावन, काशी, मथुरा जैसे अलग-अलग हिस्सों में भूमि और संपत्ति आवंटित होनी चाहिए, लेकिन यहां इसका उल्टा हो रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य बड़ा भाई होने के नाते उत्तराखंड का गला दबा रहा है. उसी का नतीजे है कि बदरीनाथ धाम में यूपी को संपत्ति दी जा रही है. हालांकि, किशोर उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ का इस मामले पर राजनीतिक मजबूरी गिनाते हुए कहा कि अगर आदित्यनाथ उत्तराखंड के साथ न्याय करते हैं तो उन पर भेदभाव का आरोप लगता है. ऐसे में वह सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने में जुटे हुए हैं.

राजनीतिक मजबूरियां

कांग्रेस ने परिसंपत्ति बंटवारे में साफ तौर पर कहा कि उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस मामले में राजनीतिक मजबूरियों के चलते न्याय नहीं कर पाएंगे. ऐसे में अगर कोई कह रहा है कि परिसंपत्ति बंटवारे का हल हो गया है तो यह बेईमानी है.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने भी साधा निशाना

मसूरी में कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की परिसंपत्तियों का मामला काफी समय से लंबित है. यूपी और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में मौके का फायदा उठाते हुए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की परिसंपत्तियों का मामला बड़े आराम से सुलझाया जा सकता है.

उन्होने कहा कि 4 साल में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार ने विकास के नाम पर कुछ नहीं किया. मात्र जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है. परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर की जाने वाली कार्रवाई अभी तक नहीं की गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि दोनों सरकारों को मिलकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की परिसंपत्तियों का मामले को निपटारा कर देना चाहिए.

वहीं, जोत सिंह बिष्ट ने योगी आदित्यनाथ और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की केदारनाथ की यात्रा पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि दोनों मुख्यमंत्रियों के केदारनाथ जाने के लिए की जानी वाली व्यवस्था में भारी खामिया देखने को मिली है. मौसम विभाग ने पूर्व में अनुमान जताया था कि 16 और 17 नवंबर को ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी और बारिश हो सकती है. ऐसे में सरकार द्वारा केदारनाथ में किये गए इंतज़ामों की पोल खुल गई है.

उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री केदारनाथ फंस सखते हैं, तो आम जनता का क्या हाल होगा. प्रदेश सरकार चार धामयात्रा में श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर रही है. परंतु इस साल पहली बर्फबारी ने सरकार के सभी दावों की पोल खोल दी है.

Last Updated :Nov 16, 2020, 9:45 PM IST
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