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देहरादून में बसा है अफगानी बादशाह का परिवार, बासमती इन्हीं की देन, देश के हालात देख छलके आंसू

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Published : Aug 18, 2021, 12:28 PM IST

Updated : Aug 19, 2021, 10:56 PM IST

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है. देहरादून में रह रहे अफगानिस्तान के लोग तालिबान की वापसी पर काफी चिंतित हैं. चार पीढ़ियों से देहरादून में रह रहे और बासमती की खुशबू से इलाके को महकाने वाले बादशाह दोस्त मोहम्मद खान के परिजनों ने विश्व के सभी देशों से मदद की गुहार लगाई है.

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अफगान बादशाह परिवार के सदस्य.

देहरादून: तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं. अफगान जनता अब तालिबानों के रहमो-करम पर हैं. तालिबान के कब्जे के बाद वहां के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. साथ ही पूरे विश्व की नजर अफगानिस्तान के ताजा हालात पर है.

देहरादून में अफगानी मूल के लोग: देहरादून में अफगानी मूल के लोग रहते हैं. इनमें से एक परिवार है बादशाह दोस्त मोहम्मद खान का. अभी यहां बादशाह की चौथी पीढ़ी रह रही है. बादशाह का परिवार 1876 में यहां शिफ्ट हुआ था. परिवार के सदस्य मोहम्मद अली खान देहरादून के राजपुर रोड इलाके में रह रहे हैं. वो अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति से काफी दुखी नजर आ रहे हैं. उन्होंने विश्व के सभी देशों से मदद की गुहार लगाई है.

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बादशाह दोस्त मोहम्मद खान की तस्वीर.

अफगानिस्तान के हालात से चिंतित: अफगानिस्तान के हालात बेहद खराब होने के कारण लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं. जब से सत्ता तालिबान के हाथों में आई है, तब से अफगानिस्तान से जुड़े हर शख्स को सबसे बड़ी चिंता महिलाओं और बच्चों की सता रही है. अफगान बादशाह दोस्त मोहम्मद खान की चौथी पीढ़ी जो वर्तमान समय में देहरादून के राजपुर रोड पर रह रही है वो अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति से काफी दुखी नजर आ रहे हैं. वो विश्व के सभी देशों से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद देहरादून में रहने वाले अफगान बादशाह परिवार के सदस्य मोहम्मद अली खान ने बताया कि इस समय अफगानिस्तान को विश्व से मदद की दरकार है. खासकर वहां रहने वाली बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा काफी अहम है. क्योंकि, वहां के लोगों को यह बात अच्छी तरह से पता है कि तालिबानी उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं.

काबुल में हालात डरावने: मोहम्मद अली खान ने वहां के हालात बयां करते हुए कहा कि अभी काबुल में रहने वाले एक डॉक्टर से बात हुई. बात करके पता चला है कि पूरे देश की जनता घबराई हुई है. वो तालिबान के चंगुल से आजाद होना चाहते हैं. जो लोग अमीर और सक्षम हैं, वो देश छोड़कर भाग रहे हैं. जो लोग मजबूरी में वहां फंसे हुए हैं, वो काफी डरे हुए हैं. क्योंकि, अफगानिस्तान के दूर-दराज के प्रांतों में तालिबान ने अपना धार्मिक एजेंडा खुलकर लागू कर दिया है. इससे महिलाओं और बच्चों का जीना मुश्किल हो गया है.

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1876 में देहरादून शिफ्ट हुआ बादशाह परिवार: बता दें कि अफगान बादशाह परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य मोहम्मद अली खान अपने परिवार के साथ देहरादून के राजपुर रोड पर रहते हैं. 1876 में उनका परिवार देहरादून शिफ्ट हुआ था. उनकी चचेरी बहन सुहैला करजई, अफगानिस्तान में करीब 7 महीने पहले तक जनरल रह चुकी हैं. अफगानिस्तान के हालत को देखते हुए खान परिवार विश्व के सभी देशों से सहयोग की उम्मीद कर रहा है. ताकि वहां के हालात सामान्य हो सकें. परिवार के सदस्य मोहम्मद अली कहते हैं तालिबान के हाथ सत्ता आ चुकी है. ऐसे में जरूरत है कि वहां अमन चैन बना रहे. हालांकि इसकी उम्मीद कम ही है.

बासमती चावल का तोहफा: देहरादून की बासमती विश्व प्रसिद्ध है. इसकी खुशबू और स्वाद की दुनिया दीवानी है. दून में बासमती लाने का श्रेय अफगानों को ही जाता है. प्रथम अफगान युद्ध के बाद ब्रिटिश फौजों ने 1839 में तत्कालीन बादशाह दोस्त मोहम्मद खान को मसूरी में बतौर राजनीतिक बंदी रखा था.

देहरादून के इतिहासकार के मुताबिक दोस्‍त मोहम्‍मद खान को पुलाव बेहद पसंद था. लेकिन अपने निर्वासन के दौरान वह उसे बहुत याद करते थे. वह दून घाटी में बासमती लाए. यहां उसकी जेनेटिक में भी इजाफा हुआ. अब बादशाह के पोते याकूब खान ने इसे आगे बढ़ाया. उन्‍होंने बासमती चावल के बीज पलटन बाजार में व्‍यापारियों को दिए और इसकी खेती करने को कहा. इसके बाद दून घाटी का मौसम बासमती चावल के लिए बेहद अच्‍छा साबित हुआ और उसकी अफगानिस्‍तान से भी अच्‍छी वैराइटी उत्‍पन्‍न होने लगी.

Last Updated :Aug 19, 2021, 10:56 PM IST
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