मसूरी: भाजपा नेता रविंद्र जुगरान मसूरी शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों से मिलने मसूरी पहुंचे. जहां रविंद्र जुगरान ने बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव उत्तराखंड और राज्य मानव अधिकार आयोग में की है. जिसे लेकर 4 नवंबर को देहरादून जिलाधिकारी को जवाब तलब किया गया है. उन्होंने कहा अगर मानव अधिकार आयोग से शिफन कोर्ट के लोगों को न्याय नहीं मिला तो वह उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटायेंगे.
रविन्द्र जुगरान ने अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि करोड़ों रुपए की लागत से मसूरी पुरूकुल रोपवे का निर्माण करवाया जा रहा है. ऐसे में सरकार और ठेका लेना वाली कम्पनी की जिम्मेदारी बनती है कि वह शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों को विस्थापित करें. उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग ने शिफन कोर्ट को लेकर पालिका से किये गए एग्रीमेंट का ही उल्लंघन किया है. एग्रीमेंट में शिफन कोर्ट में रह रहे लोगों को विस्थापित करने की बात साफ तौर पर लिखी गई है.
पढ़ें- नैनीताल में गिनती भर के छात्र ही पहुंचे स्कूल, नहीं खुले निजी कॉलेज
रविंद्र जुगरान ने कहा कि सरकार जनता की है और अगर जनता हित में अपनी ही सरकार के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा तो उससे भी गुरेज नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि शिफन कोर्ट के लोगों को विस्थापित करने में सरकार असमर्थ है तो ठेका लेने वाली कंपनी को कॉरपोरेट सोशल फंड के माध्यम से इन लोगों को विस्थापित कर सामाजिक उत्तरदायित्व का भी निर्वहन करना चाहिये. जब तक शिफन कोर्ट के लोगों की स्थाई व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक कंपनी को इन लोगों की अस्थाई व्यवस्था तत्काल करनी चाहिये.
पढ़ें- उत्तराखंड शिक्षा विभाग की तैयारी पूरी, CM बोले- स्कूल खोलने में बरती जाएगी पूरी एहतियात
जुगरान ने कहा कि इस घटना को दो महीने से अधिक का समय बीत गया है मगर अभी तक राज्य मानव अधिकार आयोग ने इसमें कुछ नहीं किया, जो कि बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि मसूरी में मानव अधिकारों का हनन हो रहा है परन्तु मानव अधिकार आयोग इसका संज्ञान नहीं ले रहा है. ऐसे में राज्य के मानव अधिकार आयोग को तत्काल बंद कर कार्यलय में ताला लगा देना चाहिए.