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Joshimath Strategically Importance: जोशीमठ के हालात पर सेना और रक्षा मंत्रालय की नजर, ये है कारण

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Published : Jan 13, 2023, 1:16 PM IST

Updated : Jan 13, 2023, 5:22 PM IST

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जोशीमठ के हालातों पर सेना और रक्षा मंत्रालय की नजर

जोशीमठ भू धंसाव (joshimath landslide) के चलते यहां से सेना के जवानों को शिफ्ट (army personnel shift from joshimath) किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि जवानों को औली समेत दूसरी जगहों पर भी शिफ्ट किया जा रहा है. जोशीमठ में सेना की करीब 20 इमारतों में दरारें (Cracks in 20 army buildings in Joshimath) आई हैं. जिसके कारण जवानों को अस्थाई रूप से शिफ्ट किया जा रहा है. जोशीमठ के सामरिक महत्व (Joshimath important Strategically) को देखते हुए यहां की सड़कों और हालातों पर भी सेना और रक्षा मंत्रालय (Army and Defense Ministry eye on Joshimath) नजर बनाए हुए है.

जोशीमठ के हालातों पर सेना और रक्षा मंत्रालय की नजर.

देहरादून: जोशीमठ शहर केवल धार्मिक लिहाज से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि देश की सुरक्षा और सामरिक महत्व (Joshimath important Strategically) के लिए भी यह शहर बेहद खास है. जोशीमठ में भू धंसाव के चलते स्थानीय लोगों को तो बेघर होना ही पड़ा है, साथ ही सेना के जवानों के लिए भी दरारों ने परेशानियां खड़ी कर दी है. स्थिति यह है कि अब सैन्य जवानों को मजबूरन यहां से हटना (army personnel shift from joshimath) पड़ रहा है. यहां चीन बॉर्डर नजदीक होने के कारण हमेशा ही भारी संख्या में सेना के जवान तैनात रखे जाते हैं. इन स्थितियों पर रक्षा मंत्रालय सीधे तौर पर नजर रखे हुए है.

जोशीमठ से महज 100 किमी दूर चाइना बॉर्डर: जोशीमठ पर बढ़ता संकट केवल एक शहर के अस्तित्व का सवाल नहीं है, बल्कि यह खतरा देश की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. जोशीमठ शहर एक ऐसी जगह पर है, जिसे सामरिक महत्व के रूप में रक्षा मंत्रालय की तरफ से खास माना गया है. शायद यही कारण है कि चमोली जिले से लगी चीन सीमा के सबसे करीब जोशीमठ ही वो क्षेत्र है, जहां बड़ी तादाद में सेना और आईटीबीपी के जवानों को तैनात (Joshimath for Indian Army) किया गया है. बदरीनाथ समेत बॉर्डर पर भी आईटीबीपी की कई टुकड़िया मौजूद हैं, लेकिन जोशीमठ, बदरीनाथ और नीती, माणा दोनों ही बॉर्डर को देश से जोड़ते हैं. जोशीमठ से बॉर्डर करीब 100 किलोमीटर दूर है. ऐसे में यहां सड़क मार्ग को बेहतर कर सीमा तक बनाया गया है. जिससे चीन की किसी भी हिमाकत के दौरान सेना और हथियार बॉर्डर तक आसानी से पहुंचाये जा सकें.
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जोशीमठ सेना का सेंटर प्वाइंट: जोशीमठ के सामरिक महत्व को लेकर रिटायर्ड ब्रिगेडियर केजी बहल (Retired Brigadier KG Behl) कहते हैं कि जोशीमठ एक सेंटर प्वाइंट (Joshimath Army Center Point) है. यहां से बॉर्डर क्षेत्र जुड़ता है. इसीलिए भारतीय सेना ने अपना एक बड़ा कैंप जोशीमठ में तैनात किया हुआ है. जिस तरह से सड़कों पर दरारों की जानकारी आ रही है, वह सेना के लिए दिक्कत पैदा करने वाली है.

जोशीमठ में सेना की 20 इमारतों में दरारें: उधर जोशीमठ में लगातार दरारों के चलते तमाम घर प्रभावित हो रहे हैं. इसमें अब सेना के वह कैंप और इमारतें भी शामिल हो चुकी हैं, जहां आईटीबीपी और सेना की तमाम यूनिट स्थापित की गई हैं. नई खबर यह है कि इन दरारों के चलते अब सेना के जवानों को भी यहां से शिफ्ट किया जा रहा है. खबर है कि इन जवानों को औली समेत दूसरी जगहों पर भी शिफ्ट किया जा रहा है. आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे भी यह बता चुके हैं कि करीब 20 इमारतों में दरारें आई हैं. इसके कारण जवानों को अस्थाई रूप से शिफ्ट किया जा रहा है.
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बॉर्डर को जोड़ने वाली सड़कों पर भी दरारें: जोशीमठ पर भारत सरकार के साथ ही रक्षा मंत्रालय भी नजर बनाए हुए है. चिंता की बात यह है कि न केवल सेना के कैंप वाली इमारतें दरारों की भेंट चढ़ गई हैं, बल्कि महत्वपूर्ण सड़कों पर भी दरारें आ गई हैं. हालांकि, बीआरओ को इन सड़कों के जल्द से जल्द मरम्मत को लेकर काम की जिम्मेदारी दे दी गई है. दूसरी तरफ उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन विभाग भी हर लिहाज से इस संकट से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है. सेना से जुड़ा होने के कारण उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी इस पर कुछ ज्यादा बोलने को तैयार नहीं हैं. सचिव आपदा रंजीत सिन्हा इतना जरूर कहते हैं कि सेना से जुड़ी इमारतों में दरारें आई हैं, यह दरारें हल्की हैं. इसको लेकर फिलहाल किसी भी तरह की चिंता की बात नहीं है.
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इस इलाके में आती रहती हैं चीन के अतिक्रमण की खबरें: चमोली जिले के जोशीमठ शहर से ही होकर माणा और नीती बॉर्डर की तरफ जाया जा सकता है. इन्हीं बॉर्डर क्षेत्र पर पहले चीन के अतिक्रमण की भी खबरें आती रही हैं. जाहिर तौर पर करीब 100 किलोमीटर से ज्यादा के बॉर्डर क्षेत्र पर निगरानी के लिए बड़ी संख्या में सेना की भी तैनाती यहां पर की गई है. जोशीमठ को सेंटर प्वाइंट मानते हुए यहां सेना और आईटीबीपी को डिप्लॉय किया गया था. मौजूदा हालातों में पूर्व सैन्य अधिकारी यह मानते हैं कि रक्षा मंत्रालय को हर तरह की संभावनाओं पर विचार करते हुए वैकल्पिक मार्गों पर भी विचार करना होगा. जिससे इस मार्ग के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में सेना द्वारा दूसरे रास्तों का उपयोग किया जा सके. उधर जिस तरह से सड़कों पर दरार आई हैं, वह भी काफी चिंता की बात है. सेना के भारी-भरकम हथियारों के लिए मजबूत सड़कों के साथ बेहतर रास्तों का होना बहुत जरूरी है.
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वैसे बताया जाता है कि चीन इस क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों तक अपनी तरफ से सड़कों का निर्माण कर चुका है. इन्हीं बातों को समझते हुए भारत सरकार भी इस क्षेत्र में चौड़ी सड़कों के निर्माण के काम में जुटी हुई है. जानकारी के अनुसार माणा बॉर्डर क्षेत्र से भारत भी सड़क का निर्माण कर चुका है, लेकिन जिस तरह जोशीमठ शहर भू धंसाव की भेंट चढ़ रहा है, उसके चलते रक्षा मंत्रालय इन परिस्थितियों पर नजर बनाए हुए है. रास्तों के साथ ही शहर के भविष्य को लेकर सुरक्षित विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.

Last Updated :Jan 13, 2023, 5:22 PM IST
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