देहरादून/हल्द्वानी: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद सरकार जहां आपदा पीड़ितों को हर संभव मदद देने का दावा कर रही है तो वहीं विपक्षी दल इन दावों को खोखला बता रहे हैं. केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने हाल ही में जोशीमठ का दौरा करके हल्द्वानी लौटे हैं. हल्द्वानी में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जोशीमठ आपदा को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार पूरी तरह से गंभीर है.
अजय भट्ट का दावा: केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि जोशीमठ आपदा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद नजर बनाए हुए हैं. लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने का काम किया जा रहा है इसके अलावा प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आर्मी की टीमें भी लोगों की मदद में जुटी हुई है. सरकार ग्राउंड में उतारकर हर संभव कार्य कर रही है, जिससे जोशीमठ के लोगों को बचाया जा सके. वहां घरों के धंसने से पहले विस्थापन का काम पूरा हो सके, इस पर सरकार गंभीरता से काम कर रही है.
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केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि सरकार पहले दिन से ही मौके पर जाकर लोगों के साथ खड़ी है और पूरी सरकारी मशीनरी प्रभावित है. जैसे ही भारत सरकार और वाडिया इंस्टीट्यूट के भूगर्भ वैज्ञानिकों की सर्वे रिपोर्ट आएगी उसी के आधार पर तत्काल आगे की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल लोगों को कैसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए और उनके रखरखाव की व्यवस्था की जाए, इन सबको लेकर सरकार पूरी संजीदगी के साथ काम कर रही है. सरकार की पहली प्राथमिकत लोगों की सुरक्षा करना है.
आप ने साधा निशाना: जोशीमठ में सरकार ने जो दावे किए हैं, उन पर आम आदमी पार्टी ने निशाना साधा है. आप ने संगठन समन्वय जोत सिंह बिष्ट ने देहरादून में जोशीमठ के हालात को लेकर प्रेस वार्ता की. उन्होंने कहा कि आप के नेताओं ने जोशीमठ में जाकर हालात का जायजा लिया है. वह हालात बहुत खराब है, सरकार लक्षण के आधार पर उपचार की पद्धति पर काम कर रही है. आपदा प्रभावितों को राहत देने के लिए सरकार ने अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई है.
जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि चमोली में बीते कुछ सालों में लगभग 22 जलविद्युत परियोजनाएं स्वीकृत करके उन पर काम शुरू कराया गया था. इन 22 परियोजनाओं में से करीब 10 पर काम बंद है, जबकि 12 परियोजनाओं का काम अभी भी चल रहा है. 2013 में केदारनाथ आपदा का असर कर्णप्रयाग तक देखा गया था और 2021 की रैणी की आपदा से सरकार ने सबक नहीं लिया. ऐसे में इन परियोजनाओं का भू-सर्वेक्षण नहीं कराया गया और अवैज्ञानिक तरीके से विकास के नाम पर पहाड़ों का दोहन जारी रहा.
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उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारों के गैर-जिम्मेदाराना आचरण के कारण आज जोशीमठ जैसी त्रासदी देखने को मिल रही है. यह कोई दैवीय आपदा नहीं बल्कि साफ तौर पर मानव जनित आपदा है. उन्होंने इसके लिए तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना को भी जिम्मेदार ठहराया है.
उनका कहना है कि जोशीमठ केवल कुछ परिवारों का आशियाना नहीं बल्कि इसका 1500 साल का इतिहास भी है. सरकार दैवीय आपदा मानकर काम कर रही है, जबकि प्रभावित इसको बाईपास टनल के निर्माण के कारण आई आपदा बता रहे हैं. उन्होंने बताया कि जोशीमठ शहर लगातार भू-धंसाव की भेंट चल रहा है और एनटीपीसी ने जोशीमठ की आपदा से अपने को पूरी तरह से अलग कर लिया है. वहीं, सरकार भी कंपनी को बचाने का प्रयास कर रही है.