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ट्राउट फिश की विदेशों में भारी डिमांड, हुकुम सिंह राणा स्वरोजगार को दे रहे नया आयाम

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Published : Dec 9, 2019, 7:54 PM IST

Updated : Dec 10, 2019, 3:42 PM IST

ट्राउट फिश मूल रूप से विदेशी मछली है, जिसकी पश्चिमी देशों में भारी मांग है. हुकुम सिंह राणा ने बताया कि ट्राउट फिश का पालन उत्तराखंड में स्वरोगार का एक अच्छा जरिया बन सकता है.

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ट्राउट फिश पालन.

चमोली: यूरोपीय देशों में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली ट्राउट फिश का पालन अब उत्तराखंड में स्वरोजगार की दिशा को नया आयाम देता दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड के ऊंचाई वाले और ठंडे इलाकों में ट्राउट फिश के पालन के लिए उपयुक्त मौसम है.

जिसे देखते हुए यहां के लोग इस ट्राउट फिश पालन की ओर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. सुतोल गांव के हुकुम सिंह राणा नाम के काश्तकार लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं. हुकुम सिंह के अलग-अलग तालाबों में करीब 4000 ट्राउट फिश हैं. जिसे देखकर गांव के अन्य लोग भी ट्राउट फिश पालन में दिलचस्पी दिखाते हुए अपने घरों के आसपास ट्राउट फिश पालन के लिए तालाबों का निर्माण करा रहे हैं.

ट्राउट फिश की विदेशों में भारी डिमांड.

चमोली जिले के सुतोल गांव में हुकम सिंह ने साल 2017 में परीक्षण के तौर पर ट्राउट फिश पालन शुरू किया था. हिमालय के करीब होने के कारण सुतोल गांव में मछलियों को ठंडे पानी के साथ-साथ उपयुक्त मौसम भी मिला. जिससे मछलियों के उत्पादन में लगातार वृद्धि होने लगी. नतीजन आज हुकुम सिंह राणा के तालाबों में 4000 ट्राउट फिश हैं.

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ईटीवी से खास बातचीत में हुकम सिंह ने बताया कि ट्राउट फिश मूल रूप से विदेशी मछली है, जिसकी पश्चिमी देशों में भारी मांग है. उन्होंने बताया कि ट्राउट फिश का पालन उत्तराखंड में स्वरोगार का एक अच्छा जरिया बन सकता है. सरकार और मत्स्य विभाग के द्वारा भी ट्राउट फिश पालन के लिए समय-समय पर ग्रामीणों को प्रेरित किया जाता रहा है. यहां मत्स्य पालन के लिए विशेष अनुदान का भी प्रावधान भी रखा गया है.

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हुकम सिंह राणा ने कहा कि ट्राउट फिश का उत्पादन ठंडे और साफ पानी में ही संभव है. ऊंचाई और ठंड वाले इलाकों में ही तालाब बनाकर ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी भी वह 6 और तालााब गेरी गांव में बना रहे हैं. राणा ने कहा कि ट्राउट पालन को लेकर ग्रामीणों में भी दिलचस्पी बढ़ी है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में उत्तराखंड में ट्राउट फिश को स्थाई बाजार मिलने के बाद इससे ग्रामीण इलाके के लोगों की आजीविका में वृद्धि होगी.

क्यों खास है ट्राउट
ट्राउट मछलियों का बाजार भारत में ही नहीं, पश्चिमी राष्ट्रों में भी है. यूरोप, अमेरिका की ठंडी नदियों मे ट्राउट मछलियां पायीं जातीं हैं. डिब्बा बंद मीट में इसका बड़ा बाजार है. स्वाद और पौष्टिकता में ट्राउट सबसे अलग है. बड़े-बड़े फाइव स्टार होटलों में भी इनकी डिमांड है. चमोली में मत्स्य के क्षेत्र में ये एक और नयी पहल है.

Intro: यूरोपीय देशों में सार्वधिक पसंद की जाने वाली मछली ट्राउट फिश का पालन अब उत्तराखंड में स्वरोजगार की दिशा को नया आयाम दिखा सकता है।क्योकि उत्तराखंड के ऊंचाई वाले और ठंडे इलाके ट्राउट फिश के पालन के लिए उपयुक्त है।

इन सबके बीच काश्तकार अब ट्राउट फिश पालन की ओर भी ध्यान देने लगे है ,चमोली के सुतोल गांव में काश्तकार हुकम सिंह राणा के द्वारा ट्राउट फिश पालन के लिए एक दर्जन से अधिक तालाबो का निर्माण कर तालाबो में ट्राउट फिश का उत्पादन किया जा रहा है।वर्तमान में हुकम सिंह के तालाबो में 4000 के करीब ट्राउट फिश मौजूद है।हुकम सिंह के मछली के तालाबो और ट्राउट मछलियों को देखकर गांव के अन्य लोग भी ट्राउट फिश पालन में दिलचस्पी दिखा रहे है,साथ ही अपने घरों के आसपास ट्राउट फिश पालन के लिए तालाबो का निर्माण भी कर रहे है।

विस्वल मेल से भेजा है।




Body:चमोली जनपद के सुतोल गांव में हुकम सिंह के द्वारा वर्ष 2017 में परीक्षण के तौर पर ट्राउट मछली का पालन किया गया।हिमालय के करीब होने के कारण सुतोल गांव में मछलियो को ठंडे पानी के साथ साथ मौसम भी उपयुक्त मिला ,जिससे मछलियो के उत्पादन में वृद्धि होने लगी।

काश्तकार हुकम सिंह राणा ने बातचीत के दौरान बताया कि ट्राउट फिश मूल रूप से विदेशी मछली है,और पश्चिमी देशों में ट्राउट मछली की भारी मांग है।उन्होंने बताया कि ट्राउट फिश का पालन उत्तराखंड में बेरोजगार युवकों के लिए स्वरोगार का एक अच्छा जरिया बन सकता है,और सरकार और मत्स्य विभाग के द्वारा भी ट्राउट फिश पालन के लिए समय समय पर ग्रामीणों को आगे आने के लिए प्रेरित किया जाता है,साथ ही मत्स्य पालन के लिए अनुदान का भी प्रावधान रखा गया है।

वन 2 वन--लक्ष्मण राणा।




Conclusion:हुकम सिंह राणा का कहना है कि ट्राउट फिश का उत्पादन ठंडे और साफ पानी मे ही संभव है ,ऊंचाई और ठंड वाले इलाकों में ही तालाब बनाकर ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा सकता है।उन्होंने कहा कि अभी भी वह करीब 6 अन्य तालाब सुतोल गांव के पास ही गेरी गांव में बना रहे है,और जल्द ही तालाबो का कार्य पूरा होने के बाद उन तालाबो में ट्राउट पालन किया जाएगा,उन्होंने बताया कि ट्राउट पालन को लेकर ग्रामीणों में भी दिलचस्पी बढ़ी है ,और ग्रामीण भी अपने अपने घरों में ट्राउट फिश का पालन कर रहे है,जो कि आने वाले समय में उत्तराखंड में ट्राउट फिश को स्थाई बाजार मिलने के बाद उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों की आजीविका में सार्थक सिद्ध होगा।
Last Updated :Dec 10, 2019, 3:42 PM IST
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