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चमोली में जिला योजना मद बनी वरदान, लीलियम की खेती से महक रही किसानों की बगिया, कमा रहे अच्छा खासा मुनाफा

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 7, 2023, 10:53 PM IST

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producing lilium in Chamoli चमोली में जिला योजना मद वरदान साबित हो रही है, क्योंकि काश्तकार लिलियम का उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है. पढ़ें पूरी खबर

गैरसैंण: जिला योजना मद से चमोली जिले में उद्यान विभाग की ओर से संचालित फूलों की खेती काश्तकारों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. योजना के संचालन के बाद विभागीय अधिकारियों के साथ ही काश्तकारों में खासा उत्साह बना हुआ है. उद्यान विभाग ने वर्तमान में जिले के 16 प्रगतिशील काश्तकारों के साथ मिलकर शादी, पार्टी और समारोहों में सजावट के लिए उपयोग आने वाले लिलियम (लिली) के फूलों की व्यावसायिक खेती शुरू की है. जिसके परिणाम आने के बाद काश्तकार फूलों के उत्पादन को लाभ का सौदा बता रहे हैं.

बाजार में लिलियम फूल की मांग ज्यादा: लिलियम के फूल की एक पंखुड़ी की बाजार में कीमत 50 से 100 रुपये तक है. ऐसे में फूल के बेहतर बाजार को देखते हुए उद्यान विभाग चमोली ने जिला योजना मद से 80 फीसदी सब्सिडी पर लिलियम के 25 हजार ब्लब 16 प्रगतिशील काश्तकारों के 26 पॉलीहाउस में लगवाए हैं. जिनसे काश्तकारों ने 23 हजार 500 फूलों की स्टिक बेचकर अच्छी आय प्राप्त की है.

producing lilium in Chamoli
लिलियम का उत्पादन कर मुनाफा कमा रहे काश्तकार

70 दिनों में तैयार हो जाता है लिलियम फूल : लिलियम के उत्पादन के लिए जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड की आबोहवा सही है. जिसे लेकर काश्तकारों की आय को मजबूत करने के लिए 16 काश्तकारों के साथ योजना संचालित की जा रही है. भारत में इसके फूल ऋतु में उगाए जाते हैं. उद्यान विशेषज्ञों के अनुसार पॉलीहाउस में यह फूल 70 दिनों में उपयोग के लिए तैयार हो जाता है.

क्या है लिलियम का फूल: लिली के नाम से पुकारे जाने वाले फूल का वैज्ञानिक नाम लिलियम है. यह लिलीयस कुल का पौधा है. यह 6 पंखुड़ी वाला सफेद, नारंगी, पीला, लाल और गुलाबी रंगों के फूल होते हैं. जापान में सफेद लिली को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जबकि नारंगी फूल को वृद्धि और उत्साह का प्रतीक माना जाता है. लिली का पौधा अर्द्ध कठोर होता है. इसके फूल कीप आकार के होते हैं. इसका उपयोग सजावट के साथ ही सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में भी किया जाता है.

लाखों कमा रहे काश्तकार: गोपेश्वर निवासी नीरज भट्ट ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में उन्होंने गोपेश्वर के समीप रौली-ग्वाड़ में 10 नाली भूमि क्रय और 20 नाली भूमि लीज पर लेकर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी से पॉलीहाउस स्थापित किया था. जिसमें उन्होंने 200 किवी के पौधे और 400 वर्ग मीटर में लिलियम का उत्पादन शुरु किया. जिससे वर्तमान में वह दो लाख रुपये की शुद्ध आय प्राप्त कर चुके हैं.

सरतोली गांव के महेंद्र सिंह ने बताया कि वो साल 2019 में दिल्ली से नौकरी छोड़ घर लौटे थे. जिसके बाद उन्होंने ग्रामीणों से 200 नाली बंजर भूमि 20 वर्ष के लिए लीज पर लेकर सब्जी का उत्पादन शुरु किया था. उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग की ओर से जिला योजना मद से फ्लोरीकल्चर योजना के तहत लिलियम का उत्पादन शुरू किया. जिससे अब उन्हें अच्छी आय प्राप्त हो रही है.

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