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Uttarakhand Kiwi Farming: सेब में पिछड़ा लेकिन कीवी से टक्कर देगा उत्तराखंड, किसान भी होंगे मालामाल

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Published : Jan 26, 2023, 9:54 PM IST

Updated : Jan 26, 2023, 10:27 PM IST

उत्तराखंड सेब उत्पादन के मामले में तीसरे नंबर पर है. शीर्ष पर जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश काबिज हैं, लेकिन अब कीवी के जरिए उन्हें टक्कर देने की कवायद की जा रही है. बकायदा उत्तराखंड को कीवी प्रदेश बनाने के लिए सरकार ने जीओ जारी भी कर दिया है. वहीं, किसानों को ट्रेनिंग के साथ सब्सिडी दी जा रही है.

Kiwi farming in Uttarakhand
कीवी की खेती

कीवी उत्पादन में उत्तराखंड को नंबर वन बनाने पर जोर.

देहरादूनः उत्तराखंड में कीवी उत्पादन को लेकर अपार संभावनाएं हैं. जिसे देखते हुए अब कीवी उत्पादन पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादन के मामले में आगे हैं. जबकि, उत्तराखंड तीसरे नंबर पर आता है. ऐसे में अब कीवी उत्पादन के जरिए कंपटीशन देने की तैयारी की जा रही है. लिहाजा, कीवी उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए सरकार कवायद में जुट गई है. बकायदा इसके लिए किसानों को सब्सिडी से लेकर पौधे समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है.

विशेषज्ञों की मानें तो उत्तराखंड राज्य की आबोहवा और प्राकृतिक माहौल कीवी उत्पादन के लिए बिल्कुल अनुकूल है. जबकि, सेब उत्पादन में पहले ही दो राज्य अग्रणी हैं. उद्यान विभाग के निदेशक एसएस बवेजा की मानें तो सेब उत्पादन में जम्मू कश्मीर और हिमाचल की बराबरी उत्तराखंड नहीं कर सकता है या फिर उसके लिए लंबा इंतजार और मेहनत करनी होगी, क्योंकि इन प्रदेशों में पहले से ही व्यवस्थाएं बनी हुई है और माहौल भी बना हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ कीवी फल उत्पादन का सेक्टर बिल्कुल नया है. ऐसे में कीवी उत्पादन मामले में जम्मू कश्मीर और हिमाचल भी बिल्कुल उत्तराखंड की तरह नए हैं.

कीवी से हिमाचल और जम्मू कश्मीर को दे सकते हैं टक्करः उत्तराखंड उद्यान विभाग के निदेशक हरविंदर सिंह बवेजा बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर सेब उत्पादन के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन कीवी अभी भी 85 फीसदी बाहर से इंपोर्ट हो रही है यानी इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि कीवी का देश में कितना बड़ा पोटेंशियल है. उनका कहना है कि सेब के क्षेत्र में चाहे हम कितनी भी मेहनत कर लें, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर को पीछे नहीं छोड़ पाएंगे, लेकिन कीवी ही एक ऐसा सेक्टर है, जहां पर हम बेहतर काम कर सकते हैं और खुद को अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर सकते हैं.

उद्यान विभाग के अधिकारी बताते हैं कि उत्तराखंड में कीवी का अच्छा उत्पादन हो सकता है. बस इसके लिए हमें गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए मेहनत करनी होगी. उद्यान निदेशक एचएस बवेजा बताते हैं कि यदि हम कीवी के इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को अगर छू लेते हैं तो निश्चित तौर से यह उत्तराखंड की एक बड़ी उपलब्धि होगी. उन्होंने कहा कि इसे छूने के लिए बस हमें इस बात का ध्यान रखना है कि अपने एक कीवी के साइज और वजन को 100 ग्राम तक लेकर जाएं.
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150 रुपए में बिक रहा बागेश्वर का एक कीवीः उत्तराखंड में कीवी उत्पादन की इस अपार संभावनाओं का एक संकेत अभी से मिलने लगा है. बागेश्वर जिले में उत्पादित कीवी का आज उपभोक्ताओं में काफी डिमांड देखने को मिल रहा है. उद्यान विभाग के निदेशक एचएस बवेजा बताते हैं कि बागेश्वर ने कीवी उत्पादन में नया इतिहास रचा है. यहां का कीवी लखनऊ के व्यापारी 150 रुपए में खरीदने के लिए किसानों के खेत पर ही आए थे.

उद्यान विभाग के अधिकारी बताते हैं कि कीवी उत्पादन करने वाले किसानों को उसके बाजार की चिंता फिलहाल करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि कोविड 19 के बाद कीवी फल की विशेषता को अब लोगों में बताने की जरूरत नहीं है. वहीं, इसके अलावा जानकारों का यह भी कहना है कि कीवी फल का अच्छा दाम मिले, इसके लिए काश्तकारों और किसानों को उसके साइज को भी ध्यान रखना होगा.

उत्पादन में कीवी छोड़ देगा सेब को पीछेः उत्तराखंड राज्य हिमाचल और जम्मू कश्मीर की तरह ही एक ठंडा प्रदेश है. यहां पर शीतोष्ण फलों के उत्पादन की संभावनाएं जम्मू कश्मीर और हिमाचल जैसी ही है. लिहाजा, लंबे समय से सरकार मंथन करती रही कि जिस तरह से हिमाचल और जम्मू कश्मीर सेब के क्षेत्र में काम कर रहे हैं तो उत्तराखंड क्यों नहीं कर पा रहा है? हालांकि, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर की व्यवस्था पुरानी है और स्थायी भी है.
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वहीं, हाल ही में युवा हुए उत्तराखंड में इन व्यवस्थाओं को बनने में समय लगेगा. ऐसे में कीवी के क्षेत्र में संभावनाओं को तलाशना होगा. कीवी उत्पादन और सेब उत्पादन की तुलना की जाए तो उत्तराखंड में कीवी, सेब उत्पादन को पीछे छोड़ता नजर आ रहा है. इसके सबसे बड़ी वजह उत्पादन में आने वाली समस्याएं हैं. सेब उत्पादन में जहां एक तरफ जंगली जानवरों का खतरा और देखरेख में अत्यधिक ध्यान देने की जरूरत पड़ती है तो वहीं दूसरी तरफ मौसम का अनुकूल रहना भी जरूरी होता है.

जबकि, कीवी फल उत्पादन में यह सारी समस्याएं आड़े नहीं आती हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि कीवी फल को बंदर नहीं खाते हैं. कीवी फल के देखरेख में इतनी सारी समस्याएं नहीं है. दूसरी तरफ मौसम के हिसाब से कीवी खुद को ढाल लेता है. कीवी के लिए वेदर डिस्टरबेंस भी चुनौती नहीं है. इससे साफ है कि कीवी की खेती मुनाफे की साबित हो सकती है.

कीवी उत्पादन को लेकर सरकार के प्रयासः उत्तराखंड में कीवी उत्पादन के लिए सरकार प्रयासरत है. उद्यान विभाग में कोऑर्डिनेटर डॉ सुरभि पांडे का कहना है कि उत्तराखंड में कीवी उत्पादन के अनुकूल माहौल को देखते हुए सरकार की ओर से इस पर लगातार फोकस किया जा रहा है. इसी के तहत कीवी उत्पादन के लिए इस बार 12 लाख रुपए की सब्सिडी निर्धारित की गई है.
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किसान सब्सिडी के तहत उच्च गुणवत्ता वाले कीवी के पौधे, प्लांटिंग मैटेरियल और अन्य तरह की सुविधाएं ले सकता है. इतना ही नहीं कीवी उत्पादन के लिए किसानों को ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उसके लिए उद्यान विभाग बड़े स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चला रहा है. एक किसान कम से कम 2 नाली जमीन पर भी कीवी उत्पादन का काम शुरू कर सकता है.

कीवी खाने के फायदेः कीवी विटामिन सी से भरपूर होते हैं. साथ ही पर्याप्त एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. जो कई तरह के इंफेक्शन से सुरक्षित रखने में मदद करता है. इसके अलावा कीवी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में सहायक होता है. कीवी दिल से जुड़ी कई बीमारियों में भी फायदेमंद होता है.

कीवी फल में इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है. जो अर्थराइटिस की शिकायत में नियमित सेवन से काफी फायदा पहुंचाता है. इसके अलावा कीवी बॉडी के अंदरूनी घावों को भरने और सूजन को कम करता है. इसके अलावा कीवी में फाइबर भी पाया जाता है. नियमित सेवन से कब्ज की समस्या भी दूर होती है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है.
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Last Updated : Jan 26, 2023, 10:27 PM IST
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