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विजयदशमी पर बदरीनाथ के कपाट बंद होने की तिथि हुई घोषित, 19 नवंबर को बंद होंगे कपाट

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Published : Oct 5, 2022, 3:49 PM IST

आज विजयदशमी पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकालीन में बंद करने की तिथि घोषित कर दी गई. 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल में बंद हो जाएंगे.

Badrinath temple kapat
बदरीनाथ के कपाट बंद होने की तिथि हुई घोषित

चमोली: विजयदशमी के अवसर पर भगवान बदरी विशाल की कपाट बंद होने की तिथि घोषित कर दी गई है. आगामी 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. मंदिर परिसर में ज्योतिष गणना के बाद भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा की गई. बदरीनाथ मंदिर परिसर में तीर्थपुरोहित, वेदपाठी, धर्माधिकारी ने ज्योतिष और पंचाग गणना के बाद तिथि घोषित की.

बता दें कि 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ (Kedarnath Dham) के कपाट बंद होने की तिथि विजयदशमी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी है. इस बार भगवान केदारनाथ के कपाट 27 अक्टूबर(Kedanath doors will be closed on October 27) को भैयादूज पर्व पर तुला लगन में सुबह आठ बजे शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे. कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी. प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी. 29 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दींस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगी.

18 नवम्बर को बंद होंगे मदमहेश्वर के कपाट: वहीं, दूसरी ओर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट बन्द होने की तिथि भी विजयदशमी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में पंचाग गणना के अनुसार घोषित कर दी गयी है. इस बार मदमहेश्वर धाम के कपाट 18 नवम्बर को सुबह आठ बजे वृश्चिक लगन में शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे. भगवान मदमहेश्वर के कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होगी. प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी. 21 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी.

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7 नवम्बर को तुंगनाथ के कपाट होंगे बंद: पंच केदारो में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने की तिथि भी आज घोषित की गई. इस बार भगवान तुंगनाथ के कपाट 7 नवम्बर को शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगें. कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. 9 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी.

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बता दें छः माह ग्रीष्मकाल में मनुष्य भगवान केदारनाथ, तुंगनाथ व मदमहेश्व धाम की पूजा अर्चना करते हैं, जबकि शीतकाल में देवतागण पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसे में हर साल छः माह ग्रीष्मकाल में तीनों केदारों के कपाट खोले जाते हैं. शीतकाल में बंद कर दिये जाते हैं. भगवान केदारनाथ में शंकर भगवान के पृष्ठ भाग की पूजा की जाती है.

केदारनाथ पहुंच रहे रिकॉर्ड तीर्थयात्री: बता दें अभी तक 13 लाख श्रद्धालु केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं. यह आंकड़ा अपने आप में एक रिकॉर्ड है, लेकिन इस वर्ष यात्रा समाप्ति तक ये आंकड़ा 15 लाख तक पहुंच सकता है. अगर ऐसा होता है तो यह आंकड़ा केदारनाथ यात्रा का सबसे बड़ा रिकार्ड बन जायेगा.

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