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एक से बढ़कर एक अफसर दिए भारतीय सैन्य अकादमी ने, गौरवमयी रहा है इतिहास

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Published : Jun 8, 2019, 8:27 AM IST

1 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासन काल के तहत देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना की गई.आइएमए ने भारतीय थल सेना को एक से बढ़कर एक नायाब और जांबाज अफसर दिए हैं.सन 1934 में आइएमए से 40 जेंटलमैन कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ

आइएमए पासिंग आउट परेड

देहरादूनः भारतीय सैन्य अकादमी आइएमए का 87 साल का गौरवमयी इतिहास हर सैनिक का सीना गर्व से चौड़ा कर देता है. आइएमए ने भारतीय थल सेना को एक से बढ़कर एक नायाब और जांबाज अफसर दिए हैं. वर्ष 1930 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल सर फिलिप चेटवुड की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी जिसके द्वारा जुलाई 1931 में भारतीय सैन्य अकादमी खोलने की सिफारिश की गई.

1 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासन काल के तहत देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना की गई. अकादमी के पहले सत्र का औपचारिकता उद्घाटन 10 दिसंबर 1932 को तत्कालीन कमांडर इन चीफ फील्ड सर मार्शल चेटवुड ने किया. उन्हीं के नाम से आईएमए मुख्य भवन का नाम चेटवुड बिल्डिंग रखा गया है, जहां पासिंग आउट परेड संपन्न होती है.

8 व 9 के दशक से पहले तक यह रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था. इस जगह पर कॉलेज का 206 एकड़ कैंपस को आईएमए की स्थापना के बाद सभी चीजों के लिए ट्रांसफर कर दिया गया.

सन 1934 में आइएमए से 40 जेंटलमैन कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ. 1971 के भारत पाकिस्तान ऐतिहासिक युद्ध के नायक रहे भारत के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ आइएमए से पास आउट होने वाले पहले बैच के कैडेट् थे. इसके अलावा आइएमए के पहले बैच से पास आउट होने वालों में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा और वर्मा देश के सेना अध्यक्ष स्मिथ डून थे.

देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय सैन्य अकादमी की कमान 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह को दी गई. 1950 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसका एक विंग क्लेमेंट टाउन में खोला गया बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस रखा गया.

क्लेमेंट टाउन में स्थित सेना के तीनों अंगों को ट्रेनिंग दी जाती थी. बाद में 1954 में एनडीए को पुणे ट्रांसफर कर दिया गया और 1960 में संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया.

10 दिसंबर 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार भारतीय सैन्य अकादमी को ध्वज प्रदान किया. IMA में साल में दो बार परेड का आयोजन किया जाता है जून और दिसंबर के माह में दूसरे शनिवार को परेड का आयोजन किया जाता है.

7 नवंबर 2013 में प्रिंस चार्ल्स और उनकी पत्नी आईएमए में आए थे. भारतीय डाक विभाग में आईएमए के नाम पर डाक टिकट भी जारी कर चुका है.
भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड साल में दो बार होती है.

यह भी पढ़ेंः धोनी ग्लव्स विवाद: पाक मंत्री के ट्वीट से भड़के फैंस, कहा- मैदान में नमाज़ पढ़ने से क्यों नहीं होता ऐतराज?

जून और दिसंबर महीने के दूसरे शनिवार को अकादमी में परेड आयोजित होती है. छह-छह महीने के अंतराल पर पासिंग आउट परेड को IMA के मुख्य चेटवुड भवन के सामने किया जाता है. परेड संपन्न होने के बाद पासआउट होने वाले कैडेट्स इसी मुख्य भवन में अंतिम पग रखते ही सेना में बतौर अफसर बन जाते हैं.

भारतीय सैन्य अकादमी में कठोर प्रशिक्षण प्राप्त कर सेना में अफसर बनने वालो के परिजन भी परेड के दौरान मौजूद रहते हैं. इस यादगार पल के साक्षी बनने वाले परिजनों को यह नजारा गर्व महसूस कराता है.

Intro:देहरादून भारतीय सैन्य अकादमी आईएमए का 87 साल का गौरवमई इतिहास हर सैनिक का सीना गर्व से चौड़ा कर देता है आईएमए भारतीय थल सेना को एक से बढ़कर एक नायाब और जांबाज अफसर दी हैं। वर्ष 1930 में तत्कालीन भारत में स्थित ब्रिटिश काल सरकार के कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल सर फिलिप चेटवुड की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी जिसके द्वारा जुलाई 1931 में भारतीय सैन्य अकादमी खोलने की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से सिफारिश की गई। 1 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासन काल के तहत देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना की गई। अकादमी के पहले सत्र की औपचारिकता उद्घाटन 10 दिसंबर 1932 तत्कालीन कमांडर इन चीफ फील्ड सर मार्शल चेटवुड ने किया। उन्हीं के नाम से आईएमए मुख्य भवन का नाम चेटवुड बिल्डिंग रखा गया है जहां पासिंग आउट परेड संपन्न होती है।
8 व 9 के दशक से पहले तक यह रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था इस जगह पर कालेज का 206 एकड़ कैंपस को आईएमए की स्थापना के बाद सभी चीजों के लिए ट्रांसफर कर दिया गया।

सन 1934 में आईएमए से 40 जेंटलमैन कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ। 1971 कि भारत पाकिस्तान ऐतिहासिक युद्ध के नायक रहे भारत के पहले फील्ड मार्शल जनरल मानेक्शा आईएमए से पास आउट होने वाले पहले बेच के कैडेट्स थे। इसके अलावा आईएमए के पहले वेब से पास आउट होने वाले ने पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा और बर्मा देश के सेना अध्यक्ष स्मिथ डून थे।



Body:देश की स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसी भारतीय सैन्य अकादमी की कमान 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने 1950 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसका एक विंग क्लेमेंट टाउन में खोला गया बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस रखा गया क्लेमेंट टाउन में स्थित सेना के तीनों अंगों को ट्रेनिंग दी जाती थी बाद में 1954 में एनडीए को पुणे ट्रांसफर कर दिया गया। और 1960 में संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया।

10 दिसंबर 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार भारतीय सैन्य अकादमी को ध्वज प्रदान किया। IMA में साल में दो बार परेड का आयोजन किया जाता है जून और दिसंबर के माह में दूसरे शनिवार को आईने की परेड का आयोजन किया जाता है।

7 नवंबर 2013 में प्रिंस चार्ल्स और उनकी पत्नी एक साथ आइए में आए थे भारतीय डाक विभाग में आईने के नाम पर डाक टिकट भी जारी कर चुका है


Conclusion:भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड साल में दो बार होती है जून 4 दिसंबर महीने के दूसरे शनिवार को अकादमी में रेड आयोजन होती है छह छह महीने के अंतराल में पासिंग आउट परेड को IMA के मुख्य चेटवुड भवन के सामने किया जाता है। परेड संपन्न होने के बाद पासआउट होने वाले क्या गेट्स इसी मुख्य भवन में अंतिम पग पार करते ही सेना में बतौर अफसर बन जाते हैं।

भारतीय सैन्य अकादमी मैं कठोर प्रशिक्षण प्राप्त कर सेना में अफसर बनने वाले लोगों के परिजन भी परेड में प्रमुख हिस्सा होते हैं अपने वीर पुत्रों की शानदार प्रेत के साक्षी बनने वाले परिजनों को यह नजारा गर्व महसूस कराता है।
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