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'उत्तराखंड के लिए सशक्त भू-कानून जरूरी, प्राकृतिक संसाधनों पर चाहिए अधिकार'

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Published : Aug 22, 2021, 5:10 AM IST

Updated : Aug 22, 2021, 8:07 AM IST

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी से ईटीवी भारत ने उनके पुराने दिनों से लेकर आने वाले विधानसभा चुनाव की रणनातियों को लेकर बात की.

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उपपा केंद्रीय अध्यक्ष PC तिवारी से खास बातचीत

अल्मोड़ा: प्रदेश में सभी राजनीतिक दल 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं. राष्ट्रीय दलों के साथ क्षेत्रीय दल भी हाईटेक होकर जनता से जुड़ाव की कोशिश भी कर रहे हैं. वहीं, क्षेत्रीय पार्टियां अपने-अपने स्तर से चुनाव की रणनीतियों और चुनौतियों से निपटने के लिए ब्लूप्रिंट बनाने में लगी है. लिहाजा, आने वाले विस. चुनाव से लेकर प्रदेश ज्वलंत मुद्दों पर ईटीवी भारत ने क्षेत्रीय दल उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी से बात की. जिसमें उन्होंने खुलकर सारे सवालों के जवाब दिए.

राज्य आंदोलनकारी रहे और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी से पहला सवाल पूछा कि क्या अलग राज्य की अवधारणा पूरी हुई. जिस पर पीसी तिवारी ने कहा कि हमारे सपनों का उत्तराखंड नहीं बन सका है. उत्तराखंड आंदोलन ने राज्य को राजनीतिक और सामाजिक रूप से जोड़ा था. लेकिन राज्य बनने के बाद सब बिखर गया. पीसी तिवारी ने बीजेपी और कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वो हमेशा बूथ पर कब्जा करने की प्लानिंग करते हैं. विकास कार्य नहीं करने के कारण इन पार्टियों को बूथ को कब्जा की रणनीति बनानी पड़ रही है.

उपपा केंद्रीय अध्यक्ष PC तिवारी से खास बातचीत.

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पांच साल बूथ को कब्जा करने की सोच के कारण ही उत्तराखंड के गांव भुतहा हो गए हैं. उत्तराखंड बनने के 21 साल बात सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही 1600 गांव घोस्ट विलेज बन गए हैं. इनकी सुध तो कोई ले ही नहीं रहा है. नैनीसार जैसा बड़ा भू-आंदोलन करने वाले पीसी तिवारी से जब दूसरा सवाल भू-कानून की मांग को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम तो छात्र जीवन से ही इन मांगों को मुखरता से उठाते रहे हैं.

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बिंदुखत्ता और वनगांव जैसे आंदोलनों में हम लोगों ने हिस्सा लिया. राज्य बनने के बाद हिमालय की विशिष्ट रचना का ध्यान ही नहीं रखा गया. पीसी तिवारी ने कहा कि अगर उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के बाद कोई तीसरा वाटर टावर है तो वो हिमालय है. हिमालय को कब्जाने के लिए पूंजीपति हर तिकड़म लगा रहे हैं. हिमालय को अगर बचा कर नहीं रख सकते तो इसका मतलब है हम देश और दुनिया के लोगों के साथ धोखा कर रहे हैं.

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पीसी तिवारी ने कहा कि जिनके पास करोड़ों-अरबों रुपए का काला धन है अगर वो पूरे पहाड़ और हिमालय को कब्जा लेंगे तो बाकी आम लोग कहां जाएंगे. राज्य बनने के दो दिन पहले हमने 'खबरदार होशियार' रैली के माध्यम से सरकार के सामने इन चिंताओं को रखा था. दुर्भाग्य से जो लोग सत्ता में आए उन्हें इन सवालों से कुछ लेना देना नहीं था.

पीसी तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि हरीश रावत पहाड़ की बड़ी मीठी-मीठी बातें करते हैं. मंडुए और झंगोरे की बात करते हैं. लेकिन पहाड़ की जमीनें उन्होंने जिंदल को दी. पीसी तिवारी ने कहा कि उनकी मशीनरी ने फर्जी दस्तावेज बनवाए. हमारे संवाद की मांग को उन्होंने ठुकरा दिया और आंदोलनकारियों का दमन किया.

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भू कानून पर बोलते हुए पीसी तिवारी ने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश की जमीनों को बेचने का काम किया है. उन्होंने कहा कि भू कानून के मामले पर कांग्रेस और बीजेपी का दोगला चेहरा सबके सामने हैं. पीसी तिवारी ने कहा आज भू कानून पर गंभीर बहस की जरूरत है. केवल सोशल मीडिया पर हल्ला मचाने से कुछ नहीं होगा. उन्होंने बताया पिछले कई सालों से हम इसके लिए लड़ रहे हैं. आने वाले दिनों में भी इसके लोगों को सड़कों पर उतरना होगा क्योकिं, प्रदेश को सशक्त भू-कानून की जरूरत है.

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उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी की मौजूदगी, फ्री बिजली के सवाल पर बोलते हुए पीसी तिवारी ने कहा कि बातें कितनी ही कर ली जाए, जब तक आपको पहाड़ की जटिलताओं, समस्याओं का पता नहीं होगा तब तक यूं ही हवा में बातें होगी रहेंगी.

तिवारी ने कहा कि उत्तराखंड और दिल्ली की भौगोलिक परिस्थितियां अलग-अलग हैं. उत्तराखंड के लोगों को यहां के प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार चाहिए. जिससे वे स्वाभिमान से जी सके. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों को निशुल्क बिजली मिलनी चाहिए. हमारे प्रदेश को केवल 12 प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है, जबकि सारा नुकसान हमारी जनता उठाती है. उन्होंने कहा जब तक हम जनता की समस्याओं को समझेंगे नहीं, तब तक हम मुद्दों को सही से नहीं उठा पाएंगे.

Last Updated :Aug 22, 2021, 8:07 AM IST
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