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आज है लोकप्रिय गायक नरेंद्र सिंह नेगी का जन्मदिन, लगा बधाइयों का तांता

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Published : Aug 12, 2022, 2:19 PM IST

आज उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी का जन्मदिन है. नरेंद्र सिंह नेगी उन गायकों में हैं जिन्होंने अपनी रचनात्मकता से अलग ही छाप छोड़ी है. जल, जंगल, जमीन से लेकर रीति-नीति, तीज-त्यौहार तक उनके गीत हर रंग में रचे गए हैं. राजनीति जब अपने रास्ते से भटक गई तो नेताओं को अहसास कराने वाले गीत भी उन्होंने लिखे और गाए.

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नरेंद्र सिंह नेगी जन्मदिन

देहरादून: नरेंद्र सिंह नेगी (Narendra Singh Negi) उत्तराखण्ड के गढ़वाल हिस्से के मशहूर लोक गीतकारों में से एक हैं. कहा जाता है कि अगर आप उत्तराखण्ड और वहां के लोगों, समाज, जीवनशैली, संस्कृति, राजनीति आदि के बारे में जानना चाहते हो तो, या तो आप किसी महान-विद्वान की पुस्तक पढ़ लो या फिर नरेंद्र सिंह नेगी के गाने/गीत सुन लो. उनकी श्री नेगी नामक संस्था उत्तराखण्ड के कलाकारों के लिए एक लोकप्रिय संस्थाओं में से एक है. नरेंद्र सिंह नेगी सिर्फ एक मनोरंजन-कार ही नहीं बल्कि एक कलाकार, संगीतकार और कवि हैं जो कि अपने परिवेश को लेकर काफी भावुक व संवेदनशील हैं.

पौड़ी में हुआ जन्म: नरेंद्र सिंह नेगी का जन्म 12 अगस्त 1949 को पौड़ी जिले के पौड़ी गांव में हुआ. उन्होंने अपनी जीवन-वृती (करियर) की शुरुआत पौड़ी से की थी. अब तक वे दुनिया भर के कई बड़े बड़े देशों में गा चुके हैं. गढ़वाल के इस मशहूर गायक के गानों में गुणवत्ता होने के कारण ही लोग उनके गानों को बहुत पसंद करते हैं. समय के साथ-साथ गढ़वाल म्यूजिक इंडस्ट्री में नये गायक भी शामिल हुए, लेकिन नए गायकों की नई आवाज के होते हुए भी पूरा उत्तराखण्ड नरेंद्र सिंह नेगी के गानों को वही प्यार और सम्मान के साथ आज भी सुनता है.
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गीतों के बोल होते हैं दमदार: नरेंद्र सिंह नेगी के गानों में अहम बात है उनके गानों के बोल (लिरिक्स) और उत्तराखण्ड के लोगों के प्रति भावनाओं की गहरी धारा. उन्होंने अपने गीतों के बोल और आवाज के माध्यम से उत्तराखण्डी लोगों के सभी दुख-दर्द, खुशी, जीवन के पहलुओं को दर्शाया है. किसी भी लोकगीत की भावनाओं और मान-सम्मान को बिना ठेस पहुंचाते हुए उन्होंने हर तरह के उत्तराखण्डी लोक गीत गाए हैं.

नरेंद्र सिंह नेगी निवासी गायकों के साथ साथ गैर-निवासी गायकों में से एक मशहूर गायक हैं. उत्तराखण्ड को अपने लोकगीत संग्रह में नेगी के हर एक हिट गानों के साथ साथ बहुत सारे समर्थक भी संग्रह करने के लिए मिले हैं. उनके प्रभावशाली गीतों के लिए उन्हें कई बार पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

गढ़वाली गीतमाला से की शुरुआत: नरेंद्र सिंह नेगी के म्यूजिक करियर की शुरुआत गढ़वाली गीतमाला से हुई थी. यह गढ़वाली गीतमाला 10 अलग-अलग हिस्सों में थी. जैसे कि यह गढ़वाली गीतमाला अलग अलग कंपनियों से थी, जिसके कारण नरेंद्र सिंह नेगी को थोड़ी सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. इस कारण उन्होंने अपनी कैसेट्टस को अलग नाम से प्रदर्शित करना शुरू किया.

बुरांस था पहला अल्बम: उन्होंने पहले अल्बम का नाम रखा बुरांस जो कि पहाड़ों में पाया जाने वाला एक जाना माना एवं सुंदर सा फूल है. नरेंद्र सिंह नेगी ने अब तक सबसे ज्यादा गढ़वाली सुपरहिट अल्बम रिलीज की हैं. उन्होंने कई गढ़वाली फिल्मों में भी अपनी आवाज दी है. चक्रचाल, घरजवाई, मेरी गंगा होलि त मैमा आलि आदि में उनके गीत बहुत पसंद किए गए. अब तक नरेंद्र सिंह नेगी 1000 से भी अधिक गाने गा चुके हैं. दुनिया भर में उन्हें कई बार अलग अलग अवसरों पर पुरस्कार से नवाजा गया है.
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लोगों के ईमेल ने दिलाया लोकप्रिय गीतकार सम्मान: बड़े समय के बाद आकाशवाणी, लखनऊ ने नेगी को 10 अन्य कलाकारों के साथ अत्यधिक लोकप्रिय लोक गीतकार (Most Popular Folk Singers) के पुरस्कार से सम्मानित किया. यह पुरस्कार फरमाइशी गीत के लिए आकाशवाणी को लोगों द्वारा भेजे गए मेल्स (mails) की संख्याओं पर आधारित था. अब तक नेगी ने कई देशों में भी गीत गाये हैं जैसे कि यूएसए (USA), ऑस्ट्रेलिया (Australia), कनाडा (Canada), न्यूजीलैंड (New Zealand), मस्कॅट (Muscat), ओमान (Oman), बहरीन (Bahrain) और यूएइ (U.A.E.) आदि. गढ़वाली-कुमाऊंनी एनआरआई (Garhwali & Kumaoni NRIs) द्वारा संचालित किया जाने वाला गढ़वाली और कुमाऊंनी समाज उन्हें अक्सर विदेशों में गाने के लिए आमंत्रित करते ही रहते हैं. भारत और विदेशों में रहने वाले लोग नेगी जी के गानों को बहुत पसंद करते हैं.

नरेंद्र सिंह नेगी की 3 किताबें प्रकाशित हुईं: अब तक नरेंद्र सिंह नेगी की 3 पुस्तकें प्रकाशित (publish) हो चुकी हैं. नेगी की पहली पुस्तक खुच कंडी (मतलब अर्सा और रोट ले जाने के लिए गन्ने से बनाई गई टोकरी) 1999 में प्रकाशित हुई थी. नरेंद्र सिंह नेगी की दूसरी पुस्तक गाणियौं की गंगा, स्यणियौं का समोदर (मतलब कल्पनाओं की गंगा, लालसा का समुद्र) 2000 में प्रकाशित की गयी थी. उनकी तीसरी पुस्तक मुठ बोटी की राख (मतलब मुट्ठी बंद करके रखना और तैयार रहना) को शेखर पाठक ने प्रकाशित किया था. इस पुस्तक में नेगी के सभी आंदोलन गीतों का संग्रह को भी शामिल किया गया था.

नौछमी नारेणा गीत पर भी लिखी किताब: इसके अलावा उनके चर्चित राजनीतिक गीत नौछमी नारेणा पर 250 पृष्ठों की एक क़िताब गाथा एक गीत की द इनसाइड स्टोरी ऑफ नौछमी नारेणा वर्ष 2014 में प्रकाशित हो चुकी है और काफी चर्चित रही है. इस पुस्तक के लेखक वरिष्ठ टेलीविज़न पत्रकार मनु पंवार हैं. यह पुस्तक श्रीगणेशा पब्लिकेशन दिल्ली ने प्रकाशित की गई है.

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला: संगीत नाटक अकादमी 2022: नरेंद्र सिंह नेगी को 9 अप्रैल 2022 को दिल्ली में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित होने पर बधाई दी थी. उन्होंने कहा कि पारंपरिक लोकगीतों के क्षेत्र में नरेंद्र सिंह नेगी को दिया जाने वाला सम्मान भी राज्य का सम्मान है.
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आवाज रत्न पुरस्कार: हिंदी दिवस (15 सितंबर 2021) के अवसर पर उत्तराखंड के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी को आवाज रत्न पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया था.

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