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'निमंत्रण के बाद जो अयोध्या नहीं जा रहे वो भाग्यहीन, शंकराचार्यों की नाराजगी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा'

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 12, 2024, 8:43 PM IST

Updated : Jan 12, 2024, 10:12 PM IST

Ram Mandir राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर शंकराचार्यों की नाराजगी सुर्खियों में है. वहीं, कांग्रेस ने भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बनाई है, जिस पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी का बयान आया है. उन्होंने कहा है कि निमंत्रण के बाद भी जो अयोध्या नहीं जा रहे वो भाग्यहीन है.

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शंकराचार्यों की नाराजगी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा

हरिद्वार: आगामी 22 जनवरी को आयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर राजनीति भी होने लगी है. एक तरफ जहां दो शंकराचार्यों स्वामी निश्चालनंद सरस्वती और स्वामी अवमुक्तेश्वरा नंद ने इस समारोह से दूर रहने का ऐलान किया है तो वहीं कांग्रेस ने भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण अस्वीकर किया है, जिस पर राजनीति पार्टियों और साधु-संतों की तरफ से तरह-तरह के बयान आ रहे है. वहीं अब इस मामले पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने जहां एक तरफ शंकराचार्य से निवेदन किया है कि वो राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह जाए तो वहीं कांग्रेस के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि राम किसी एक के नहीं, बल्कि सबके है. इसीलिए राजनीति से ऊपर उठकर सभी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाना चाहिए.

जो राम के नहीं, वो किसी काम के नहीं: अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि निमंत्रण मिलने के बाद भी जो लोग राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जा रहे है, वो भाग्यहीन है. इस तरह के लोगों को वो किसी काम के नहीं समझते है. सनातन धर्म में लोगों की भगवान राम के प्रति बड़ी आस्था है. आज पुरी दुनिया राममयी हो रखी है. सनातनियों के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. 500 सालों के बाद सनातनियों को ये अवसर मिला है.
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भगवान राम के खुद पीएम मोदी को दिया सौभाग्य: अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी का कहना है कि भगवान राम के खुद पीएम मोदी को ये सौभाग्य दिया है कि वो अपने हाथों से आयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करें. बाकी कुछ लोग विरोध कर रहे है. संत भी इसका विरोध कर रहे है, लेकिन उनके अनुसार राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का विरोध करना उचित नहीं है. सभी को अयोध्या जाना चाहिए और भगवान राम का साक्षी बनना चाहिए.

शंकराचार्यों के विरोध पर दिया जवाब: अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने शंकराचार्यों के विरोध पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जो शंकराचार्य आज इसका विरोध कर रहे है, वो 2014 से पहले कहा था, जब तत्कालीन सरकार ने रामनाम को ही समाप्त करने का प्रयास किया था, वो तो राम को ही नहीं मानते थे. उन्होंने तो रामरेतू को ही नकार दिया था, तब सभी शंकराचार्य खामोश बैठे हुए थे. अब जब प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो आप विरोध कर रहे है.

अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने शंकराचार्य के इस विरोध को सोची-समझी रणनीति बताया है, जिसके वो खिलाफ है. अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि वो खुद राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के पक्ष में है. प्रधानमंत्री मोदी के हाथों ही प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए.
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अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी ने सभी शंकराचार्यों से निवेदन किया है कि अगर वो राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होगे तो बहुत अच्छा होगा. क्योंकि शंकराचार्यों को भी भगवान राम का आशिर्वाद प्राप्त होगा. इससे ज्यादा वो कुछ कहना नहीं चाहते है.

उन्होंने बताया कि वो खुद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होगे. उनकी चंपक राय से बात हुई है, वह हरिद्वार के गंगा जल लेकर जाएंगे और उसी गंगा जल से रामलाल का स्नान प्राण प्रतिष्ठा से पहले जरूर करवाएंगे, इसीलिए वे 17 जनवरी को ही हरिद्वार से अयोध्या के लिए निकल जाएगे.

Last Updated :Jan 12, 2024, 10:12 PM IST
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