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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस : हर वर्ष बढ़ रही दर, जानें कारण

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Published : Sep 10, 2020, 7:59 AM IST

प्रत्येक आत्महत्या एक व्यक्तिगत त्रासदी है जो समय से पहले एक व्यक्ति के जीवन को छीन लेती है. यह क्षति परिवारों, दोस्तों और समुदायों को बहुत प्रभावित करती है. हमारे देश में हर साल एक लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं. पढ़ें विस्तार से...

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस

हैदराबाद : आत्महत्या को रोकने के लिए हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है. दुनियाभर में आत्महत्या के खिलाफ प्रतिबद्धता और कार्रवाई के लिए 2003 से यह जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है.

इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (IASP) विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस की मेजबानी करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ के साथ सहयोग करता है.

आत्महत्याओं को रोकना पूरे विश्व के लिए चुनौती बनी हुई है. हर साल, सभी उम्र के लोगों की आत्महत्या के मामले विश्व की प्रमुख चुनौतियों में से एक बने हुए हैं. हर 40 सेकंड में एक आत्महत्या गंभीर चिंता का विषय है. आत्महत्याओं के पीछे सबके अलग-अलग कारण हैं. अपने स्वयं के जीवन के मूल्य और उद्देश्य समझने की जरूरत है.

हर जीवन मूल्यवान होता है. खोया हुआ हर जीवन किसी न किसी का साथी, संतान, माता-पिता, दोस्त या सहकर्मी होता है. लगभग आत्महत्या के अधिकतर मामलों में लोग गहरे अवसाद में होते हैं. इसके कारण प्रति वर्ष 108 मिलियन लोग आत्मघाती व्यवहार से ग्रस्त पाए गए. आत्मघाती व्यवहार में आत्महत्या, विचार और प्रयासों को भी शामिल किया गया है.

पिछले 45 वर्षों में आत्महत्या के मामलों में दुनियाभर में 60% की वृद्धि हुई है. 15 से 44 वर्ष के लोगों की मौत में आत्महत्या एक महत्वपूर्ण कारण रहा है. आत्महत्या का प्रयास आत्महत्या की तुलना में 20 गुना अधिक हैं.

आत्महत्या विश्व स्तर पर मौत का 15वां प्रमुख कारण है. दुनियाभर में हुई मौतों में 1.4 प्रतिशत मौत आत्महत्या के कारण हुई हैं और प्रत्येक एक लाख की आबादी में आत्महत्या की दर 11.4 प्रतिशत है.

एक लाख पुरुषों की आबादी में आत्महत्या की दर 15.0 है. वहीं एक लाख महिलाओं की आबादी में आत्महत्या की दर 8.0 है.

कई यूरोपीय देशों में 15-24 वर्ष की आयु के लोगों में आत्महत्या मृत्यु का प्रमुख कारण है. इस आयु वर्ग के बीच विश्व स्तर पर आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक है.

विश्वभर में खुद को क्षति पहुंचाने की धारणा युवकों में ज्यादा होती है और विश्वभर में युवतियों की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण भी आत्महत्या है.

साल 2012 में 76% वैश्विक आत्महत्या निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुई, जिनमें से 39% दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में हुई.

25 देशों (जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य हैं) में आत्महत्या अब भी अपराध है. अतिरिक्त 20 देशों में शरिया कानून के तहत आत्महत्या की कोशिश करने वालों को जेल की सजा दी जा सकती है.

आत्मघाती भावनाएं क्या हैं?

  • आत्महत्या करने की कई सारी वजहें हो सकती हैं जिनमें आनुवंशिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कारण हो सकते हैं.
  • इनके अलावा और भी कारण हो सकते हैं जैसे कि गहरा सदमा, तनाव, दुख, निराशा, आदि.
  • आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण तनाव रहा है. आत्महत्या से मरने वाले लोगों में अवसाद सबसे आम मनोरोग है.
  • उच्च आय वाले देशों में 50% व्यक्ति जो आत्महत्या करके मरते हैं उनकी मृत्यु का कारण भी अवसाद ही होता है.
  • प्रत्येक आत्महत्या के मामले में देखा गया है कि 25 लोग आत्महत्या का प्रयास करते हैं, 135 लोग आत्महत्या की वजह से प्रभावित होते हैं. इस तरह से दुनिया भर में 108 मिलियन लोग आत्महत्या की वजहों से प्रभावित होते हैं.
  • आत्महत्या से मरने वाले लोगों के रिश्तेदार और करीबी अधिक खतरे वाले समूह में आते हैं. इसके मुख्य कारण हैं किसी की आत्महत्या से पैदा हुआ मनोवैज्ञानिक आघात, किसी की आत्महत्या से प्रभावित होकर उसका अनुसरण करना, किसी करीबी की आत्महत्या का बोझ झेलना आदि.

व्यक्ति में आत्मघाती लक्षणों की पहचान कैसे करें

  • अत्यधिक उदासी या लगातार मिजाज बदलना
  • भविष्य के प्रति निराशाजनक विचार रखना
  • नींद न आना, अचानक शांत हो जाना जैसे कि व्यक्ति ने हार मान ली है और अपने जीवन को समाप्त करने का निर्णय ले रहा है
  • समाज से कटाव - अकेलापन, परिवार, दोस्तों आदि से दूरी बनाए रखना
  • खतरनाक या स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाला व्यवहार जैसे कि लापरवाह ड्राइविंग, ड्रग्स या शराब का सेवन करना

आत्महत्या की रोकथाम के कार्यक्रमों को चलाने में कई प्रकार की मुश्किलें आती हैं

  • अपर्याप्त संसाधन, अप्रभावी समन्वय, आत्महत्या पर निगरानी डेटा तक सीमित पहुंच, दिशानिर्देशों के लागू होने का अभाव, स्वतंत्र और व्यवस्थित मूल्यांकन का अभाव आदि से आत्महत्या की रोकथाम के कार्यक्रम प्रभावित होते हैं.
  • 2014 से डब्ल्यूएचओ द्वारा आत्महत्या को रोकने के प्रयास के कार्यक्रम अब भी जारी है. खासकर उन देशों में जहां आत्महत्या से बचाव के कोई कार्यक्रम नहीं चल रहे थे, जैसे कि गुयाना, सूरीनाम और भूटान.
  • स्कॉटलैंड, इंग्लैंड, आयरलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा कई देशों ने अपने राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम कार्यक्रम की शुरुआत की है.

समुदाय का महत्व

  • हम सभी एक समुदाय का हिस्सा हैं, जो परिवार, दोस्तों, कार्य, सहयोगियों, पड़ोसियों या टीमों से जुड़ा हुआ है.
  • कभी-कभी हम अपने समुदायों से अलग-थलग हो जाते हैं. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम ऐसे लोगों को मदद करें जो हमारे समाज में कमजोर पड़ गए हैं.

समुदाय में उन लोगों के वक्त बिताना

  • यदि आप अपने समुदाय के किसी व्यक्ति के बारे में चिंतित हैं, तो उनसे पूछें कि क्या आप ठीक हैं?

भारत के संदर्भ में

प्रत्येक आत्महत्या एक व्यक्तिगत त्रासदी है जो समय से पहले एक व्यक्ति के जीवन को छीन लेती है. यह क्षति परिवारों, दोस्तों और समुदायों को बहुत प्रभावित करती है. हमारे देश में हर साल एक लाख से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं. आत्महत्या के विभिन्न कारण हैं जैसे पेशेवर / कैरियर की समस्याएं, अलगाव की भावना, दुर्व्यवहार, हिंसा, पारिवारिक समस्याएं, मानसिक विकार, शराब की लत, वित्तीय नुकसान, दर्द आदि.

2019 के दौरान देश में कुल 1,39,123 आत्महत्याएं दर्ज की गईं, जिसमें 2018 की तुलना में 3.4% की वृद्धि देखी गई और 2019 में आत्महत्या की दर में 0.2% की वृद्धि हुई है.

भारत में एनसीआरबी 2019 की आत्महत्या की रिपोर्ट

2015 - 2019 के दौरान आत्महत्या की संख्या और आत्महत्या की दर

आत्महत्या की आत्महत्या की दर की कुल वर्ष संख्या

साल आत्महत्या के मामले दर

2015 1,33,623 10.6

2016 1,31,008 10.3

2017 1,29,887 9.9

2018 1,34,516 10.2

2019 1,39,123 10.4

2019 में हर दिन 381 लोगों ने आत्महत्या की और उसी साल लगभग 1 लाख 39 हजार 123 मौतें हुईं. देश में आत्महत्या की दर 10.4% से बहुत अधिक है. 32.4% मामलों के पीछे पारिवारिक विवाद, 5.5% आत्महत्या के पीछे शादी, 17.1% आत्महत्या के पीछे बीमारी के कारण बताए गए.

70.2% पुरुष और 29.8% महिलाएं में भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, बंगाल और कर्नाटक राज्य में ज्यादातर आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए.

देश में ज्यादातर मामले फांसी के

  1. फांसी - 53.6%
  2. जहर- 25.8%
  3. पानी में डूबकर - 5.2%
  4. आत्मदाह - 3.8%
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