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जीका वायरस का पहला मामला सामने आते ही ये राज्य सरकार हाई अलर्ट पर

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Published : Dec 13, 2022, 1:03 PM IST

Updated : Dec 14, 2022, 3:21 PM IST

Karnataka govt and health ministry on alert after zika virus found karnataka health department
डिजाइन फोटो

देश में पहला जीका वायरस 2020 में केरल में पाया गया था. zika virus से प्रभावित व्यक्तियों में बुखार, शरीर में दर्द और जोड़ों में दर्द, दाने और कंजंक्टिवाइटिस के गंभीर लक्षण पाए जाते हैं. चिकित्सकों की राय है कि वायरस के लक्षणों को इग्नोर करना गर्भवती महिलाओंं व उनके शिशु के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. Karnataka health department alert after zika virus found .

कर्नाटक में जीका वायरस के पहले मामले की पुष्टि के बाद से स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर है. उत्तरी कर्नाटक के रायचूर जिले की पांच साल की बच्ची में इस वायरस (Zika virus in Raichur Karnataka ) की पुष्टि हुई है. राज्य सरकार ने इसका संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग (Karnataka health department) को मंगलवार से इस बीमारी की रोकथाम के लिए सभी एहतियाती उपाय शुरू करने का निर्देश दिया है. विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य में ठंड, बादल छाए रहने और बूंदाबांदी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है, क्योंकि इन परिस्थितियों में वायरस तेजी से फैलता है. Karnataka govt and health ministry on alert after zika virus found . zika virus .

स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर (Health Minister Dr K Sudhakar) ने कहा कि सरकार स्थिति को संभालने के लिए पूरी तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा किNational Institute of Virology , Pune द्वारा किए गए परीक्षणों में बीमारी की पुष्टि हुई है. बताया जा रहा है कि Zika virus से संक्रमित बच्ची को 13 नवंबर को बुखार आया था. माता-पिता ने उसे सिंधनूर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया. वहां पता चला कि वह Dengue fever से पीड़ित है. बाद में, लड़की को Vijayanagara Institute of Medical Sciences (VIMS) में शिफ्ट कर दिया गया और 15 नवंबर से 18 नवंबर तक इलाज किया गया. डॉक्टरों ने यूरिन और ब्लड के सैंपल पुणे लैब में भेजे.

देश में पहला जीका वायरस 2020 में केरल में पाया गया था. जीका वायरस से प्रभावित व्यक्तियों में बुखार, शरीर में दर्द और जोड़ों में दर्द, दाने और कंजंक्टिवाइटिस के गंभीर लक्षण पाए जाते हैं. जीका वायरस मुख्य रूप से संक्रमित एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलता है. ये मच्छर आमतौर पर दिन के समय काटते हैं. यह रोग असुरक्षित संभोग और रक्त संचरण से भी फैलता है. ऐसे में बच्चे हों या बूढ़े सभी को इसे लेकर सचेत रहने की जरूरत है. विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इसे लेकर पूरी सावधानी बरतनी होगी. साथ ही चिकित्सकों की राय है कि वायरस के लक्षणों को इग्नोर करना गर्भवती महिलाओंं व उनके शिशु के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.

क्या है माइक्रोसिफेली
बता दें कि वायरस के चपेट में आने के बाद शिशु का दिमागी विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता जिसे माइक्रोसिफेली (microcephaly) कहते हैं. यह एडीज इजिप्टी नाम के मच्छर से फैलता है. यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया आदि विषाणुओं को फैलाने के लिए जिम्मेदार होता है. लिहाजा जीका एक बड़ी जन-स्वास्थ्य समस्या बन गया है. साथ ही मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है और जिसके खून में वायरस मौजूद है तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है. ऐसे में प्रेग्नेंट महिलाओं को जीका से बेहद सावधान रहने की जरूरत है.

यह है जीका वायरस के लक्षण

  • सिर दर्द
  • शरीर पर चकत्ते
  • मांसपेशियों में दर्द
  • जोड़ों में दर्द
  • आंख लाल होना

दहशत फैलाने वाले जीका को लेकर डॉक्टर वर्तिका ने कहा कि वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को मस्तिष्क रोग हो सकता है. चिंताजनक है कि संक्रमण के लिए अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में विशेष रूप से प्रेगनेंट महिलाओं को मच्छरों से भली भांति अपना बचाव करना चाहिए. यदि प्रेगनेंट महिला वायरस से संक्रमित हैं तो नवजात में भी यह आसानी से फैल सकता है. साथ ही जिस व्यक्ति के शरीर में वायरस होता है उससे शारीरिक संबंध बनाने पर यह एक इंसान से दूसरे के शरीर में प्रवेश कर जाता है. वहीं गर्भ में पल रहे शिशु में भी यह फैल जाता है.

प्रेगनेंसी में जीका वायरस के लक्षण
यदि आप प्रेगनेंट हैं और जीका से संक्रमित हैं तो आपको तेज बुखार के साथ-साथ शरीर पर लाल रैशेज होंगे. इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर को जरूर दिखाएं. इस वायरस का पता ब्लड टेस्ट से ही चलता है.

ब्रेस्टफीडिंग करवा सकती है मां
डॉक्टर ने आगे बताया कि मां अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड करवा सकती हैं, क्योंकि स्तनपान कहीं न कहीं जीका के खतरे से कहीं ज्यादा ही फायदे मंद होता है.

जीका वायरस से बचाव के उपाय

  • चिंताजनक है कि इस वायरस का कोई इलाज नहीं है. ऐसे में इससे बचने का एकमात्र विकल्‍प इसके जोखिम को कम करना है. यदि आप प्रेगनेंट हैं, तो अपना विशेष ख्याल रखें और खासकर अपने घर के आसपास से मच्छरों को दूर रखें.
  • मच्छरों को घर से दूर रखने के लिए कीट नाशकों का उपयोग करें
  • पूरी बाजू के कपड़े पहनें
  • शाम के समय खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखें
  • मच्छरदानी में सोएं
  • ऐसे मच्‍छर रुके हुए पानी में अपने अंडे देते हैं, इसलिए पानी को घर या घर के आसपास इकट्ठा होने से रोकें.
  • महिलाओं को प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचना चाहिए.

(Extra Input IANS)

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Last Updated :Dec 14, 2022, 3:21 PM IST
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