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काशी में कल 'गंगा' बनेगी यमुना, तुलसी घाट पर होगी विश्व प्रसिद्ध नागनथैया लीला

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Published : Oct 30, 2019, 11:47 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लक्खा मेले में शुमार प्रसिद्ध नागनथैया लीला गुरुवार को मनाई जाएगी. यह लीला पिछले 478 साल से अनवरत जारी है, जिसे देखने वाराणसी के महाराजा काशी नरेश भी आते हैं.

काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया लीला कल.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में प्रत्येक दिन कोई न कोई पर्व होता है. ऐसे में लक्खा मेला संग व्रत और त्योहार की अनगिनत कड़ियां जारी रहती है. इसी कड़ी में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी गुरुवार शाम तुलसी घाट पर भगवान श्री कृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी.

लीला में ठीक 4:40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदेंगे और कालिया नाग को नाथकर उसके फन पर नृत्य मुद्रण में वेणु वादन करते दर्शन देंगे. अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की ओर से यह लीला प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है. गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा प्रारंभ किया गया कृष्ण लीला का ही एक स्वरूप है. यह कृष्ण लीला 478 वर्ष पुरानी है.

काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया लीला कल.
काशी के लक्खा मेले में शुमार नागनथैया लीला कल
काशी में प्रतिवर्ष गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा स्थापित मानी जाने वाली नाग नथैया के आयोजन के मान्यता काशी ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में है. सुबह से ही घाट को साफ सफाई संग साज-सज्जा को देखने देश-विदेश से आस्थावान आएंगे.

इस दौरान शिव की नगरी काशी में अनोखा नजारा होगा. जब हर-हर महादेव के साथ मोर मुकुट बंसी वाले की जय जयकार का नारा एक साथ गूंज उठेगा. काशी का माहौल पूरी तरह भक्ति भाव में डूब जाएगा और गंगा नदी कुछ देर के लिए यमुना बन जाएगी. इस अनोखे और मनोरम दृश्य को देखने के लिए महाराजा काशी नरेश भी अपनी पुरानी परंपरा का निर्वहन करने के लिए आते हैं.


तुलसी घाट वृंदावन बन जाएगा और मां गंगा का पवित्र जल जो है वह यमुना के जल में परिवर्तित हो जाएगा. यहीं पर कल प्रसिद्ध लक्खा में नागनथैया होगा जो प्रसिद्ध है, लीला कहीं और नहीं हो सकती. भगवान गोस्वामी तुलसीदास जी का आशीर्वाद है. घाट काशी पर यही के लोग सुबह कदंब का पेड़ लगाएंगे और शाम को जब भगवान श्री कृष्ण यमुना जी में कूदेंगे. कालिया नाग पर वेणु वादन काशी की जनता को दर्शन देंगे और कालिया नाग को यहां से जाने के लिए कहेंगे.
- प्रो. विजय नाथ मिश्र, सदस्य, अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास

Intro:धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में प्रत्येक दिन कोई न कोई पर्व होता है। ऐसे में लक्खा मेलासंग पर व्रत और त्योहार की अनगिनत कड़ियां जारी रहती है। इसी कड़ी में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तदनुसार कल गुरुवार शाम तुलसी घाट पर भगवान श्री कृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी। लीला ठीक 4:40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदेंगे और कालिया नाग को नाथ कर उसके फन पर नृत्य मुद्रण में वेणु वादन करते दर्शन देंगे। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की ओर से यह लीला प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है। गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा प्रारंभ किया गया कृष्ण लीला का ही एक स्वरूप है। कृष्ण लीला 478 वर्ष पुराना है।


Body:काशी में प्रतिवर्ष गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा स्थापित मानी जाने वाली नाग नथैया के आयोजन के मान्यता काशी ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में है।सुबह से ही घाट को साफ सफाई संघ सात सज्जा को देखने देश-विदेश से आस्थावान आएंगे शिव की नगरी काशी में अनोखा नजारा होगा। जब हर हर महादेव के साथ मोर मुकुट बंसी वाले की जय जयकार का नारा एक साथ गूंज उठेगा काशी का माहौल पूरी तरह भक्ति भाव में डूब जाएगा और गंगा नदी कुछ देर के लिए यमुना बन जाएगी। इस अनोखे और मनोरम दृश्य को देखने के लिए महाराजा काशी नरेश भी अपनी पुरानी परंपरा का निर्वहन करने के लिए आते हैं।


Conclusion:प्रो विजय नाथ मिश्र ने बातया कल मां गंगा या तुलसी घाट वृंदावन बन जाएगा और मां गंगा का पवित्र जल है यमुना के जल में परिवर्तित हो जाएगा। यही पर कल प्रसिद्ध लक्खा में नागनथैया होगा जो प्रसिद्ध है। लीला कहीं और नहीं हो सकती। भगवान गोस्वामी तुलसीदास जी का आशीर्वाद है घाट काशी पर यही के लोग सुबह कदंब का पेड़ लगाएंगे शाम को जब भगवान श्री कृष्ण यमुना जी में कूदेंगे। कालिया नाग पर वेणु वादन काशी की जनता को दर्शन देंगे और कालिया नाग को यहां से जाने के लिए कहेंगे।

बाईट :-- प्रो विजय नाथ मिश्र, सदस्य, अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास

आशुतोष उपाध्याय
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