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जज्बा हो तो ऐसा : एक के बाद एक छोड़ दीं पांच सरकारी नौकरियां, अब बने नगर आयुक्त

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 31, 2023, 4:14 PM IST

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इरादे मजबूत हों तो मंजिल भी कदम चूमने लगती है. वाराणसी के जय कुमार पांडेय (Jai Kumar Pandey) ऐसे ही शख्स हैं, जो अपना मकसद पूरा होने तक रुके नहीं. एक के बाद एक सरकारी नौकरियां छोड़ते गए, जब तक सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Examination) में सफलता नहीं मिल गई.

वाराणसी : कवि सोहन लाल द्विवेदी की एक कविता है, 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.' इसे चरितार्थ कर दिखाया है वाराणसी के जय कुमार पांडेय ने. जय का जीवन संघर्षों से भरा रहा. पिता किसान थे. घर की आर्थिक दशा ठीक नहीं थी. फिर भी पिता किसी तरह जय की पढ़ाई के लिए पैसे का इंतजाम करते थे. जय घर के हालात से वाकिफ थे, इसलिए कुछ बनने की ठान ली. पढ़ाई में ऐसे रमे रहे कि एक के बाद एक भर्ती परीक्षाएं पास कीं. इस बार उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में सफलता पाई है. उनका चयन नगर आयुक्त पद के लिए हुआ है.

किसान पिता मुश्किल से कर पाते थे पढ़ाई के लिए पैसों का इंतजाम : वाराणसी के हरहुआ स्थित आरा गांव के जय कुमार पांडेय के पिता किसान हैं. उन्होंने जय को पढ़ाने के लिए काफी तकलीफों का सामना किया. किसानी से जब पढ़ाई का खर्च नहीं निकल पाया तो टॉफी की दुकान खोल ली. जय बताते हैं, उनके पिता 20-20 रुपये बचाकर 600 रुपये उनकी पढ़ाई के खर्च के लिए भेजा करते थे.

वाराणसी के जय कुमार बने मिसाल.
वाराणसी के जय कुमार बने मिसाल.

जेब खर्च के लिए पढ़ाया ट्यूशन-कोचिंग : जय ने प्रयागराज में रहकर कंपटीशन की तैयारी की. पिता से मिले रुपये किराए पर खर्च करते थे. जबकि जेब खर्च के लिए वे ट्यूशन-कोचिंग पढ़ाते थे. इससे पहले की पढ़ाई उनकी वाराणसी में ही पूरी हुई है. उनकी स्कूलिंग गांव के स्कूल से हुई. ग्रेजुएशन उन्होंने साल 2004 में यूपी कॉलेज से किया. इसके बाद साल 2005 में वह SSC की तैयारी के लिए प्रयागराज चले गए. उनकी मेहनत ने रंग दिखाना शुरू किया और उन्होंने लगातार 5 सरकारी परीक्षाएं पास कीं. छठवीं परीक्षा BPSC की थी.

असिस्टेंट कमांडेंट, सब सब इंस्पेक्टर की नौकरी भी रास नहीं आई : जय ने CISF में सब इंस्पेक्टर. CPF में असिस्टेंट कमांडेंट, दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर और SSC मैट्रिक लेवल परीक्षा में सफलता पाई, लेकिन इन नौकरियों में उनका मन नहीं लगा. इसके बाद उनका चयन नेशनल हाईवे अथॉरिटी अथॉरिटी आफ इंडिया में एकाउंटेंट के पद पर हो गया. फिलहाल जय इसी नौकरी में हैं. इस बार बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में उन्होंने कामयाबी पाई. उनका चयन नगर आयुक्त पद के लिए हुआ है. जय बताते हैं कि एकाउंटेंट बनने के बाद से सिविल सेवा में 10 से ज्यादा बार प्री, मेंस और इंटरव्यू दिया है.

हफ्ते में 100 घंटे की पढ़ाई में रिवीजन : जय बताते हैं कि परीक्षा से पहले सेल्फ स्टडी सबसे जरूरी है. वह परीक्षा के चार महीने पहले ही अभ्यास शुरू कर देते थे. सभी विषयों के अलग-अलग नोट्स बनाकर उनका रिवीजन करते. कहते हैं, मैंने परीक्षा की तैयारी में किसी तरह का भटकाव नहीं आने दिया. परीक्षा से एक महीने पहले रिवीजन के लिए हर हफ्ते 100 घंटे पढ़ाई करता था.

सेल्फ स्टडी और टाइम मैनेजमेंट है सफलता का आधार : सोशल मीडिया के दौर में जहां युवा फॉलोअर्स के पीछे भाग रहे हैं, वहीं जय का मानना है कि फोन से ज्यादा नजदीकी करियर बिगाड़ सकती है. कहते हैं, हमारा रास्ता फूहड़ता की ओर नहीं बल्कि सृजन की ओर जाना चाहिए. समाज के युवा वर्ग को अच्छी दिशा देने वाला होना चाहिए. इसके लिए सबसे अधिक जरूरी है सेल्फ स्टडी और टाइम मैनेजमेंट. इसका सही बैलेंस ही सफलता का आधार बनता है.

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