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अलविदा धरतीपुत्र: काशी के जेल में पड़ी थी समाजवादी पार्टी की नींव

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Published : Oct 10, 2022, 2:21 PM IST

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अलविदा धरतीपुत्र

वाराणसी की सेंट्रल जेल में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की नींव के बारे में सोचा और जेल से छूटने पर लखनऊ में एक बड़े सम्मेलन के जरिए समाजवादी पार्टी की घोषणा की थी.

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का काशी से बेहद गहरा लगाव रहा है. काशी के इस गहरे लगाव को समाजवादी पार्टी के स्थापना के जरिए भी समझा जा सकता है. जब नेता जी ने वाराणसी के सेंट्रल जेल में समाजवादी पार्टी के नीवं के बारे में सोचा और जेल से छूटने पर लखनऊ में एक बड़े सम्मेलन के जरिए समाजवादी पार्टी की घोषणा कर दी.

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किसानों के मसीहा बने मुलायम सिंह यादव

बता दें कि, यह मामला 1992 का है, जब इस समय देवरिया में 5 सितंबर को रामकोला के किसानों पर बर्बर घटना हुई थी, जिसने समाजवादी पार्टी की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उस समय इस घटना में किसानों की आवाज बनकर देवरिया पहुंचे मुलायम सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद उन्हें और वाराणसी के सेंट्रल जेल में रखा गया. जहां वह लगभग 20 दिन तक जेल में बंद रहे. इस दौरान उन्होंने समाजवाद की विचारधारा को एक मजबूत स्तम्भ प्रदान करने के लिए समाजवादी पार्टी की नींव के बारे में सोचा और जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने पार्टी की घोषणा भी कर दी.

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मुलायम सिंह यादव
रामकोला के किसानों से मिले ऊर्जा, तो नेता जी ने जेल में लिख दी समाजवादी पार्टी की पटकथाइस बारे में समाजवादी पार्टी के पुराने नेता विजय नारायन सिंह बताते हैं कि देवरिया के रामकोला में गन्ना मिल किसानों का आंदोलन समाजवादी पार्टी के लिए जहां एक बड़ा स्तंभ साबित हुआ तो वही इस स्तंभ को खड़ा करने का काम वाराणसी के केंद्रीय कारागार ने किया. उन्होंने बताया कि रामकोला में गन्ना मिल में किसानों का आंदोलन चल रहा था, जहां गोली चलने के कारण कई किसानों की मौत हो गई थी. सैकड़ों किसानों को जेल में बंद कर दिया गया था, किसानों पर हो रही बर्बरता को देखते हुए 23 सितंबर 1992 को नेताजी रामकोला पहुंचे, जहां उन्होंने सरकार के विरोध में जमकर आंदोलन किया और किसानों को उनके हक दिलाने का वादा किया. उस समय उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार थी. इस दौरान सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया. उन्होंने बताया इस क्रम में नेता जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें शिवपुर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया. जेल में बंद होने के दौरान ही उनके मन मे पार्टी की स्थापना की बात आई.
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मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक इतिहास
बनारस से समाजवादी विचारधारा को किया था मजबूतउन्होंने बताया कि मुलायम सिंह एक समाजवादी नेता थे, उनकी विचारधारा का उदय समाज के संघर्षों से ही हुआ है. इसलिए उन्हें धरतीपुत्र कहा जाता है. उस समय उनका सम्बंध बड़े सोशलिस्ट नेता राजनारायण और प्रभु नारायण से था. बाद में वह चौधरी चरण सिंह से भी जुड़ गए. इन लोगों से सम्पर्क के कारण बनारस और उनका रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत हो गया था. ये 1980 की बात है. जब उन्हें लोकदल में उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया था. उसके बाद इनका अक्सर बनारस आना जाना लगा रहा. इस दौरान सभी समाजवाद के लोग एकजुट हुए और मजबूत एक बड़ी ताकत बनारस में हो गई. ताकतों की बदौलत जब वह जेल में बंद थे तो उन्होंने समाजवादी पार्टी के स्थापना के बारे में सोचा और 14 अक्टूबर को जेल से रिहा हुए तो, उन्हें आम जनमानस का एक बड़ा समर्थन मिला, जिसके लगभग 20 दिन बाद लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क में एक विशाल जन सम्मेलन के आयोजन के दौरान मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के घोषणा की.
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वाराणसी जेल में मुलायम सिंह यादव
सीर आंदोलन में भी बनारस के साथ खड़े थे नेताजीसमाजवादी पार्टी के पुराने कार्यकर्ता वरुण सिंह बताते हैं कि सीर आंदोलन के समय भी नेता जी ने बनारस के किसानों का साथ दिया था. इस दौरान आंदोलन में जेल में बंद कार्यकर्ताओं से मिलने वह वाराणसी आया करते थे. उन्होंने बताया कि सिर आंदोलन उन किसानों का आंदोलन है, जो भू माफियाओं के खिलाफ अपनी जमीन को बचाने में का काम रहे थे. इस दौरान कई किसानों को जेल में बंद कर दिया गया था. उस दौरान नेता जी ने आंदोलन में किसानों का साथ दिया था और जो लोग जेल में बंद थे. उनसे मिलने के लिए नेताजी वाराणसी आया करते थे. नेता जी अपने कार्यकर्ताओं के प्रति समर्पित रहते थे.

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