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काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम 80% पूरा, देखिए गर्भगृह के आसपास की भव्य तस्वीरें

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Published : Nov 11, 2021, 8:23 PM IST

बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर में इस कॉरिडोर का उद्घाटन भी कर सकते हैं. बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के आसपास इस कॉरिडोर की भव्य तस्वीरें देखिए.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के गर्भगृह के आसपास की भव्य तस्वीरें.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के गर्भगृह के आसपास की भव्य तस्वीरें.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर हर किसी के मन में काफी उत्सुकता है. इसकी बड़ी वजह यह है कि 600 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने के बाद इस कॉरिडोर की भव्यता किस रूप में होगी, कैसा दिखेगा यह कॉरिडोर और क्या कुछ इसके अंदर खास होगा, इन सभी चीजों की जानकारी हर कोई हासिल करना चाह रहा है. लोगों में इसलिए भी उत्सुकता ज्यादा है, क्योंकि कॉरिडोर का काम इसी महीने पूरा किए जाने का टारगेट सेट किया गया है और माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर में इस कॉरिडोर का उद्घाटन भी कर सकते हैं.

ईटीवी भारत आपको आज श्री काशी विश्वनाथ धाम में लेकर चल रहा है. जहां निर्माणाधीन कॉरिडोर का 80% कार्य पूर्ण हो चुका है. बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के आसपास पहली बार आपको अपने कैमरे के जरिए ईटीवी भारत इस कॉरिडोर की भव्य तस्वीरें दिखाने जा रहा है.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के गर्भगृह के आसपास की भव्य तस्वीरें.

सिर्फ 20% कार्य है शेष

इन दिनों देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ के धाम को एक अद्भुत रूप देने का काम जोर-शोर से चल रहा है. 55,000 स्क्वायर फीट एरिया में बनाए जाने वाले भव्य विश्वनाथ कॉरिडोर के काम को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है, सिर्फ फिनिशिंग का काम बाकी है. कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि इस कॉरिडोर में टोटल 24 बिल्डिंग का निर्माण किया गया है. यह सभी बिल्डिंग अलग-अलग कार्यों में इस्तेमाल होंगी और सभी बिल्डिंग बनकर तैयार हैं. यहां 80% से ज्यादा कार्य पूर्णं हो चुका है और 20% शेष बचे हुए कार्य में चीजों को फाइनल टच दिया जा रहा है.

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स्थापित होंगी कई पुरानी प्रतिमाएं

सबसे बड़ी बात यह है कि कॉरिडोर के अंदर मंदिरों के ध्वस्तीकरण के बाद अब इनको एक बार फिर से स्थापित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. लाल पत्थरों के साथ ध्वस्त किए गए मंदिरों को नया रूप दिया जा रहा है. मंदिर प्रशासन का कहना है कि जब कॉरिडोर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था तो लगभग 350 मकानों की खरीद-फरोख्त के बाद इसके अंदर से 50 से ज्यादा मंदिर सामने आए थे. उनमें से कुछ मंदिर काफी पुराने थे, जिसे एक बार फिर से नया रूप देने का काम शुरू किया गया है. सभी मंदिर एक जैसे दिखाई दें, इसलिए लाल पत्थरों से इन्हें तराशा जा रहा है. इतना ही नहीं हाल ही में 100 साल पहले भारत से चोरी की गई माता अन्नपूर्णां की प्राचीन प्रतिमा के साथ ही माता पार्वती, कुबेर और कुछ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को 15 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों विश्वनाथ कॉरिडोर परिसर में पुनः स्थापित किया जाएगा.

कुछ ऐसा दिखेगा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर.
कुछ ऐसा दिखेगा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर.

तैयार हो गए कई भव्य द्वार

बाबा विश्वनाथ के गर्भ गृह के आसपास लाल पत्थरों का भव्य संकुल तो तैयार हो ही चुका है, साथ ही साथ कॉरिडोर के अंदर प्रवेश करने और गर्भगृह तक पहुंचने के लिए चार अलग-अलग द्वार तैयार किए गए हैं. लाल पत्थरों से नक्काशी दार भव्य द्वार देखकर ही आपको विश्वनाथ कॉरिडोर की भव्यता का अंदाजा लग जाएगा. परिसर के अंदर लाल पत्थरों का भव्य संकुल अहमदाबाद और गांधीनगर के अलावा मिर्जापुर से आएगा, जो लाल पत्थरों से तैयार किया जा रहा है.

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जमीनों पर लग रहा है मकराना मार्बल

गर्भगृह परिसर के आसपास के पूरे क्षेत्र में जमीन पर मकराना मार्बल लगाए जाने का काम भी शुरू हो चुका है. दीवारों को भी मकराना मार्बल से कवर किया जा रहा है. कॉरिडोर के निर्माण के दौरान सामने आए मंदिरों को एक अलग रूप देने की तैयारी करते हुए इनकी भव्यता को भी ध्यान में रखा गया है. कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि 24 बिल्डिंगों की देखरेख और अन्य कार्यों के लिए अलग से टेंडर प्रक्रिया की जाएगी. बाहर की कंपनियों के जरिए इनको मेंटेन करने का काम होगा.

कुछ ऐसा दिखेगा भव्य द्वार.
कुछ ऐसा दिखेगा भव्य द्वार.

नई डेडलाइन 30 नवंबर

दरअसल, श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को किया था. शिलान्यास के बाद इस कॉरिडोर का काम मार्च 2020 में ही पूरा होना था, लेकिन कोविड-19 की लहर की वजह से लगातार डेडलाइन आगे बढ़ती रही और नई डेडलाइन 30 नवंबर की तय की गई है, जिसके बाद दिसंबर के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका उद्घाटन किया जाना है.

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खास होगा यह कॉरिडोर

इस कॉरिडोर के अंदर प्रशासनिक भवन, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, पुलिस चौकी, दो मुमुक्षु भवन, म्यूजियम, गंगा व्यूइंग गैलरी के अलावा बहुत कुछ खास होने जा रहा है. यहां पर भक्तों के लिए भोजनशाला भी मौजूद रहेगी. इसके अलावा गर्भगृह के आसपास के क्षेत्र को रुद्राक्ष वन के नाम से तैयार किया जा रहा है, जहां रुद्राक्ष के पेड़ों के साथ बेलपत्र के पेड़ लगाए जाएंगे. मंदिर परिसर के अंदर महारानी अहिल्याबाई होल्कर की भी भव्य प्रतिमा लगाए जाने की तैयारी की जा रही है. मंदिर का 55 हजार स्क्वायर मीटर का परिक्षेत्र है. 28 हजार स्क्वायर मीटर में निर्माण हो रहा है. पहले जो मंदिर परिसर 3 हजार स्क्वायर फीट में था, अब वह 30 हजार स्क्वायर फीट में हो गया है. पूरे परिसर के अलावा मंदिर के मुख्य परिसर का निर्माण भी हुआ है. मंदिर तक कोई भी दिव्यांग श्रद्धालु आसानी से पहुंचे इसकी व्यवस्था भी की जा रही है.

कॉरिडोर का काम 80% पूरा
कॉरिडोर का काम 80% पूरा

2000 से ज्यादा मजदूर 24 घंटे कर रहे काम

ललिता घाट, मणिकर्णिका घाट के बीच में स्थित जला सेन घाट से इस कॉरिडोर की शुरुआत की जा रही है. वर्तमान समय में लगभग 2 हजार से ज्यादा मजदूर इस कॉरिडोर को फाइनल टच देने में जुटे हुए हैं. मंदिर के मुख्य द्वार पर गेट नंबर 4 के पास भव्य द्वार तैयार हो चुका है. इसके अलावा अंदर कैंपस में भी 24 बिल्डिंग तैयार हैं और इन्हें फाइनल टच दिया जा रहा है. कमिश्नर दीपक अग्रवाल का कहना है कि मेले में टारगेट के मुताबिक जल्द ही यह पूरा कार्य संपन्न हो जाएगा और यह पूरा कॉरिडोर भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा.

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