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सतयुग काल एक ऐसा मंदिर, जहां संतान की प्राप्ति के लिए पहुंचते हैं लोग

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Published : Jul 27, 2021, 7:36 AM IST

Updated : Jul 27, 2021, 8:19 AM IST

मानेश्वर महादेव मंदिर.
मानेश्वर महादेव मंदिर.

सीतापुर के सिधौली क्षेत्र की ग्राम पंचायत मनवा के मजरा रसूलपनाह गांव में मानेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. इस मंदिर में ऐसे लोगों का विशेष आना होता है, जो निसंतान होते हैं. शिवलिंग की पूजा आर्चना करने से संतान की प्राप्ति होती है.

सीतापुर: जिले के सिधौली क्षेत्र की ग्राम पंचायत मनवा के मजरा रसूलपनाह गांव में सतयुग का एक ऐसा शिव मंदिर स्थित है, जिसका शिवलिंग भारत के सभी शिव मंदिरों से बड़ी बताई जाती है. लोगों का मानना है कि इस मंदिर की शिवलिंग स्वयंभू है. इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. यह मंदिर मानेश्वर महा देव के नाम से विख्यात है. इस मंदिर में ऐसे लोगों का विशेष आना होता है, जो निसंतान होते हैं. इस मन्दिर में शिवलिंग की पूजा आर्चना करने से संतान की प्राप्ति होती है.

यह है मान्यता
जिले के सिधौली विकास खंड की ग्राम पंचायत मनवा के मजरा रसूलपनाह गांव में यह शिव मंदिर स्थापित हैं. इस मानेश्वर महादेव मंदिर की गणना सतयुग काल से की जाती हैं. लोगों की मान्यता हैं कि इस मंदिर में ऐसे लोगों का ज्यादा आना जाना होता हैं जो दंपत्ति निसंतान होते हैं. मान्यता हैं कि इक्ष्वाकु वंश में भगवान श्री राम के पहले राजा युवनाथ हुए थे, जिनकी कोई सन्तान नहीं थी, इसलिए उन्होंने राजपाट छोड़कर वन में जाकर तप करने का निर्णय लिया और वन में जाकर तप करना आरंभ किया. इसी दौरान वन में राजा की मुलाकात ऋषि च्यवन से हुई. ऋषि च्यवन ने राजा से पुत्रेष्टि यज्ञ करने की बात कही, जिस पर राजा ने यज्ञ करना आरंभ किया. यज्ञ में रखे कलश के जल को धोखे से राजा ने प्यास लगने पर पी लिया. इस कलश का जल अभिमंत्रित था, जो कि राजा को नहीं बल्कि रानी को पीना था. पुत्रेष्टि यज्ञ के कारण पानी पीने से राजा युवनाथ को गर्भ धारण हो गया. राजा के दाहिनी कोख चीरकर पुत्र का जन्म हुआ, जिनका नाम इंद्रदेव ने मांधाता रखा, जिसके कारण राजा युवनाथ ने इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया. इस मंदिर की शिवलिंग सतयुग काल की बताई जाती है. इस मंदिर का उल्लेख विष्णु पुराण सहित कई अन्य ग्रंथों में इस मंदिर व राजा मांधाता के किले का वर्णन किया गया है.

मानेश्वर महादेव मंदिर.

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कालान्तर में राजा मांधाता द्वारा इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया बताया जाता है. वहीं समय-समय पर क्षेत्रीय लोगों द्वारा मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया जाता रहता है. इस गांव के दूसरी ओर पूर्व-दक्षिण में राजा मांंधाता के किले के अवशेष आज भी विद्यमान हैं. जो पुरात्तव विभाग के आधीन है.

शिवलिंग में उभरती रहती विभिन्न आकृतियां
इस मंदिर की शिवलिंग भारत के सभी शिव मंन्दिरों से बड़ी बताई जाती है. लोगों का मानना है, इस मन्दिर की शिवलिंग स्वयंभू है. मंदिर की विशाल शिवलिंग श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. इस शिवलिंग में विभिन्न आकृतियां उभरती रहती है. यहां वर्ष भर लोग पूजन अर्चन के लिए आते रहते हैं. इस मन्दिर में संतान की कामना रखने वाले लोगों का विशेष आना होता है. इस मन्दिर में जो भी सच्चे मन से संतान की प्राप्ति की कामना करता है, उसकी मूराद भगवान शिव अवस्य ही पूर्ण करते है.

Last Updated :Jul 27, 2021, 8:19 AM IST
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