रामपुर: उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद में प्रशासन की अनोखी और नायाब पहल ने गरीब परिवार के 10 साल के बच्चे की मदद करते हुए उसे नई जिंदगी दी है. एक हादसे में बच्चे ने अपने दोनों हाथ गवां दिए थे. रामपुर जिला प्रशासन ने मिशन सामर्थ के तहत बच्चे के लिए अमेरिका से सेंसर बेस्ड हाथ मंगवाए और बच्चे के लगवा दिए. अब इन अमेरिकी हाथों के जरिए बच्चा अपनी तकदीर लिखेगा.
रामपुर के सैदनगर ब्लाक के ग्राम बेजना निवासी हिदायत अली मजदूर हैं. उनका एक बच्चा वसीम जो 10 साल का है. करीब 4 साल पहले छत के ऊपर से गुजर रही 11000 की बिजली की लाइन को वसीम ने पकड़ लिया था, जिसमें उसके दोनों हाथ झुलस गए थे. उसके बाद वसीम के हाथ काटना पड़े थे. इसके बावजूद वसीम ने हिम्मत नहीं हारी और हाथ नहीं होने के बाद भी स्कूल पढ़ने जाता रहा. उसने अपने पैरों से लिखना शुरू किया और स्कूल में कोई भी प्रतियोगिता हो उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता. वसीम के जज्बे को देखते हुए जिला प्रशासन ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए और उसके लिए कृत्रिम हाथ अमेरिका से मंगवा कर लगवाए. इसका सारा खर्च जिला प्रशासन ने उठाया.
वसीम के पिता हिदायत अली ने बताया कि बेटा तीसरी कक्षा में कमपोजिट विद्यालय घाटमपुर में पड़ता है. वे पहले टेलर का काम करते थे लेकिन जब से यह हादसा हुआ है तो तब से वह घर पर ही रह कर आसपास मजदूरी करते हैं. हिदायत अली के 4 बच्चे हैं जिसमें दूसरे नंबर का बच्चा वसीम है. हिदायत अली ने बताया कि जिलाधिकारी ने उनके बच्चे के हाथ लगवाने में काफी सहयोग किया है. 6 लाख रुपये के अमेरिके से उनके बच्चे के लिए कृत्रिम हाथ मंगवा कर लगवाए हैं. वसीम के पिता ने जिलाधिकारी का धन्यवाद किया है.
हिदायत अली ने बताया कि उनके बेटे ने उनसे कहा कि जिलाधिकारी का और डीपीआरओ का एक फोटो लाकर मुझे दे दीजिए. रोज सुबह उनका फोटो देखकर उठूंगा. बरहाल वसीम का हाथ लगने से परिवार में खुशी का माहौल है. जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मादड़ ने बताया कि मिशन समर्थ के तहत जो दिव्यांग बच्चे हैं उनको सर्जरी कराकर उन्हें ठीक कराने प्रयास किया जा रहा है. 3 माह पूर्व वसीम नाम का बच्चा हमें एक कार्यक्रम में मिला था.
हमने तय किया था इस बच्चे के हाथ लगवाए जाएंगे. उसके बाद हमने दिल्ली की एक संस्था से संपर्क किया. उन के माध्यम से अमेरिका से sensor-based हाथ मंगवाए और लगवाए गए हैं. इसमें ₹6 लाख का खर्चा आया. जो चाइल्ड केयर प्रोटक्शन फंड के माध्यम से किया गया था. इस पूरे अभियान में हमने 51 बच्चों की सर्जरी कराई है. अभी 10 और बच्चे हैं. इस महीने हम उनकी भी सर्जरी कराएंगे. 102 बच्चे हमने चयनित किए थे और 61 बच्चे सर्जरी के लिए पाए गए थे.