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नाबालिग को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार, हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 15, 2023, 10:55 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नाबालिग को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार है. साथ ही नाबालिग की अभिरक्षा उसके पति को सौंपने की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली.

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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नाबालिग लड़की जो कि अपने हित और भविष्य के जीवन के लिए समझदारी भरा निर्णय लेने में सक्षम है, उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि अपने भविष्य के लिए बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने की क्षमता रखने वाली नाबालिग की अभिरक्षा का निर्णय लेते समय उसके हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए. कोर्ट ने परिवारवालों की इच्छा के विरुद्ध अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने वाली नाबालिग की अभिरक्षा उसके पति को सौंपने की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है.

अलीगढ़ के शिवानी और मनीष प्रताप सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति बीके बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने दिया है. शिवानी की मां ने उसके पति मनीष प्रताप के खिलाफ अलीगढ़ के गांधी पार्क थाने में नाबालिग लड़की को भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए प्राथमिक दर्ज कराई थी. बाद में पुलिस ने शिवानी को बरामद किया और उसे नारी निकेतन भेज दिया गया. जबकि मनीष को जेल जाना पड़ा. बाद में वह जमानत पर छूटा.

दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि उन्होंने अपनी इच्छा से शादी की है और पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं. शिवानी के शैक्षिक रिकार्ड से पता चला कि घटना के समय उसकी आयु 16 वर्ष 4 माह थी. इस आधार पर बाल कल्याण समिति ने उसे नारी निकेतन भेजने का आदेश दिया. पति मनीष ने शिवानी की अभिरक्षा की याचिका में मांग की.

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि नाबालिग जो अपने जीवन को लेकर समझदारी भरा चयन करने की क्षमता रखती हो, उसकी अभिरक्षा उसके पति या अभिभावक को देने का निर्णय लेते समय सर्वोच्च प्राथमिकता नाबालिग के हित को देनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस अदालत की अन्य पीठों ने लगातार यह दृष्टिकोण अपनाया है कि जो नाबालिग अपने भविष्य के जीवन के लिए निर्णय लेने की क्षमता रखती है और स्वेच्छा से वैवाहिक रिश्ते में बंधी है, उस पर विचार करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि नाबालिग की मां ने उसकी अभिरक्षा लेने से इनकार कर दिया है. इस स्थिति में वह अपने पति के साथ जाने के लिए स्वतंत्र है. जहां तक नाबालिग के विवाह की वैधता का प्रश्न है, वह पीठ के समक्ष नहीं है. इसलिए उसे उचित फोरम पर आवश्यकता पड़ने पर रखा जाए.

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