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हाई कोर्ट ने कहा- सरकार बताए कैसे तय किया 30 दिन में मौत का समय, जानें क्‍या है मामला

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Published : Dec 18, 2021, 5:41 PM IST

हाई कोर्ट
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यूपी पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना से 30 दिन में हुई मौत पर मिलने वाली अनुग्रह राशि के आदेश को, हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से सवाल किया है कि सरकार बताए कैसे तय किया 30 दिन में मौत का समय.

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से यदि चुनाव के 30 दिन में मौत हुई है, तो ही अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा. राज्य सरकार द्वारा जारी इस शासनादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

कोर्ट ने सरकार से य‌ह पूछा है कि उसने यह कैसे तय किया कि चुनाव डयूटी करने के 30 दिन के भीतर जिनकी मौत हुई है, वे ही चुनाव के दौरान कोरोना संक्रमित हुए थे. क्या 31वें दिन मरने वाले को चुनाव में कोराना संक्रमित नहीं माना जाएगा. कोर्ट ने प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में याचिका पर अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.

हापुड़ के सुभाष चंद्र और कई अन्य की याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने सुनवाई की. याची अ‌धिवक्ता महेश शर्मा का कहना था कि प्रदेश सरकार ने एक जून को शासनादेश जारी कर पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले ऐसे सरकारी कर्मचारियों, जिनकी ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से मृत्यु हो गई है, 30 लाख रुपये अनुग्रह राशि देने का निर्णय लिया है.

शासनादेश के प्रस्तर 12 में कहा गया है कि निर्वाचन ड्यूटी की तिथि से 30 दिन के भीतर कोविड से मृत्यु होने पर ही अनुग्रह राशि पाने के लिए पात्र माना जाएगा. अधिवक्ता का कहना था कि जबकि सरकार ने इसी शासनादेश में खुद स्वीकार किया है कि कई प्रकार से टेस्ट में भी कई बार कोरोना संक्रमण पकड़ में नहीं आता है. इसलिए संक्रमित होने की रिपोर्ट की तिथि को आधार नहीं बनाया जा सकता है.

अधिवक्ता महेश की दलील थी कि ऐसा कोई मानक तय नहीं किया जा सकता कि चुनाव में कोरोना से संक्रमित होने वाले कर्मचारी की 30 दिन में मृत्यु हो ही जाएगी. कई बार मरीज की मृत्यु 40 दिन या उससे ज्यादा समय के बाद भी हो सकती है. ऐसे में 30 दिन की समय अवधि तय करना अतार्किक है.

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याची की पत्नी शिक्षा मित्र थीं. उनकी पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी थी. 29 अप्रैल 21 को उन्होंने ड्यूटी की, जहां वह कोरोना से संक्रमित हो गई. दो जून 21 को उनकी मृत्यु हो गई. याची ने अनुग्रह राशि भुगतान के लिए जिलाधिकारी को आवेदन किया. उसका आवेदन यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि चूंकि मृत्यु 30 दिन के भीतर नहीं हुई है, इसलिए याची अनुग्रह राशि पाने का हकदार नहीं है. इसी को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है.

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