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मुरादाबाद: पितृ अमावस्या पर लावारिस शवों के गंगा में प्रवाहित किए जाते हैं अस्थि कलश

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Published : Sep 28, 2019, 3:12 PM IST

लावारिश शवों का गंगा में प्रवाहित किए गए अस्थि कलश.

यूपी के मुरादाबाद में पिछले एक साल में लावारिश मिले ऐसे ही सैकड़ों शवों के मोक्ष के लिए उनके अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा में प्रवाहित किये जाते हैं. पिछले 18 सालों में पांच हजार से ज्यादा लावारिस शवों को अंतिम विदाई दी जा चुकी है.

मुरादाबाद: पितृ विसर्जन अमावस्या 28 सितंबर को है. यह इस साल श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन है. अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए हिंदू समाज में श्राद्ध करने की परंपरा है. श्राद्ध के आखिरी दिन उन पितरों को भी लोग श्राद्ध कर विदाई देते हैं, जिनकी मृत्यु का समय ज्ञात नहीं होता है. दुनिया में बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं, जिनकी मौत की जानकारी उनके परिजनों को भी नहीं हो पाती. जिले में आज पूरे साल लावारिश मिले ऐसे ही सैकड़ों शवों के मोक्ष के लिए उनके अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा में प्रवाहित किये जाते हैं. साथ ही आज के दिन उनका श्राद्ध भी किया जाता है.

लावारिश शवों का गंगा में प्रवाहित किए गए अस्थि कलश.


लावारिस शवों के प्रवाहित किए गए अस्थि कलश
जनपद में पिछले एक साल में सड़क, रेलवे स्टेशन, अस्पताल और अन्य जगहों पर मौत के गाल में समाने वाले इन शवों का अंतिम संस्कार पुलिस रिकार्ड में मौजूद है. इन शवों के मिलने के बाद पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम कराया जाता है और इनके परिजनों की तलाश में शवों को तीन दिन तक मोर्चरी में रखा जाता है. परिजनों के न आने पर पुलिस इन शवों को अंतिम संस्कार के लिए भिजवा देती है. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर उन्हें अंतिम विदाई दी जाती है.

पढ़ें:- आज है महालया, पितृ विसर्जन पर पितरों को खुश करने के लिए करें ये उपाय

जनपद में इस साल लावारिस मिले शवों की संख्या 250 से अधिक है. लावारिस मिले शवों में 191 हिंदू शव और 78 मुस्लिम शव का अंतिम संस्कार किया गया. पितृ विसर्जन अमावस्या पर 191 हिंदू शवों के अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा नदी में प्रवाहित करने के लिए भेजे गए हैं. अंतिम संस्कार कराने में योगदान देने वाले लोगों के मुताबिक उनके द्वारा पिछले 18 सालों में पांच हजार से ज्यादा लावारिस शवों को अंतिम विदाई दी गई है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: पितृ विसर्जन अमावस्य का आज का दिन इस साल श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन है. अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए हिन्दू समाज में श्राद्ध करने की परम्परा रही है. श्राद्ध के आखिरी दिन उन पितरों को भी लोग श्राद्ध कर विदाई देते है जिनकी मृत्यु का समय ज्ञात नहीं होता है. पितरों के मोक्ष के बीच दुनिया में बहुत से ऐसे लोग भी होते है जिनकी मौत की जानकारी उनके अपने परिजनों को भी नहीं हो पाती. कानूनी भाषा में लावारिश शव के रूप में रिकार्ड में दर्ज होने वाले ऐसे लोगों के अंतिम संस्कार और श्राद्ध परिवार भी नहीं कर पाता. मुरादाबाद में आज पूरे साल लावारिश मिलें ऐसे ही सैकड़ों शवों के मोक्ष के लिए उनके अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा में प्रवाहित किये जाते है.


Body:वीओ वन: लाल रंग के सैकड़ों कलशों में रखी इन अस्थियों का मौत से पहले हर किसी की तरह एक नाम हुआ करता था लेकिन मौत के बाद इन सभी का बस एक ही नाम रह गया है और वह है लावारिश शव. मुरादाबाद जनपद में पिछले एक साल में सड़क, रेलवे स्टेशन, अस्पताल और अन्य जगहों पर मौत के गाल में समाने वाले इन शवों का अंतिम संस्कार पुलिस रिकार्ड में मौजूद है. इन शवों के मिलने के बाद पुलिस द्वारा पोस्टमार्टम कराया जाता है और इनके परिजनों की तलाश में शवों को तीन दिन तक मोर्चरी में रखा जाता है. परिजनों के न आने पर पुलिस इन शवों को अंतिम संस्कार के लिए भिजवा देती है जहां शवों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर अंतिम विदाई दी जाती है.
बाईट: अशोक अग्रवाल: अध्य्क्ष ह्यूमन वैलफेयर सोसाइटी

वीओ टू: जनपद में इस साल लावारिश मिले शवों की संख्या ढाई सौ से अधिक है. लावारिश मिलें शवो में 191 हिन्दू शवो और 78 मुस्लिम शवों का अंतिम संस्कार किया गया. पितृ विसर्जन अमावस्य पर 191 हिन्दू शवों के अस्थि कलश पूजा के बाद गंगा में प्रवाहित करने के लिए भेजे गए है. अंतिम संस्कार कराने में योगदान देने वाले लोगों के मुताबिक उनके द्वारा पिछले 18 सालों में पांच हजार से ज्यादा लावारिश शवों को अंतिम विदाई दी गयी है. अंतिम संस्कार के बाद भी कई परिजन अपनो की तलाश में पहुंचते है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. अंतिम संस्कार के काम में लगे लोग हर व्यक्ति को अपने पास अपनी पहचान से सम्बंधित दस्तावेज रखने की सलाह देते है जिससे कोई अनहोनी होने पर परिजनों को जानकारी हो सकें.
बाईट: आरिफ मलिक: सदस्य


Conclusion:वीओ तीन: लावारिश शवों के अंतिम संस्कार के बाद रखे इन अस्थि कलशों में आज भी ऐसे कई परिवार है जिनके परिजन अपनो की तलाश में दर-दर भटक रहे होंगे. पितृ अमावस्या पर इन लावारिश शवो को अपनों का साथ तो नहीं मिला लेकिन गंगा में प्रवाहित होकर इनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी. घर से दूर पराए शहर में अंजान लोगों के हाथों मोक्ष की कामना कर रहें ये अस्थि कलश आज गंगा की लहरों में अपने आखिरी सफर को तय करेंगे लेकिन अफशोस इनके परिजन अब भी इनके वापस आने की उम्मीद दिलों में रख इनका इंतजार करते रहेंगे.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
9634544417
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