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स्मार्ट मीटर मामले में दोषी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट करने पर सरकार कर रही विचार

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Published : Sep 19, 2020, 3:45 PM IST

उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर मामले का खुलासा कर दिया है. जांच के दौरान मानक स्तर पर स्मार्ट मीटर नहीं पाए गए. इसीलिए भार जंपिंग मामले में ऊर्जा मंत्री से दोषी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.

ब्लैकलिस्ट करने पर सरकार कर रही विचार
ब्लैकलिस्ट करने पर सरकार कर रही विचार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों ने घटिया गुणवत्ता के मीटर सप्लाई किए थे. इस बात का खुलासा हो गया है. नोएडा की एक लैब में टेस्टिंग के दौरान यह स्मार्ट मीटर गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं पाए गए. ऐसे में स्मार्ट मीटर सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने पर सरकार विचार कर रही है.

स्मार्ट मीटर में लगातार भार जंपिंग की तमाम शिकायतें आ रही थीं. इसके बाद इन मीटरों को जांच के लिए नोएडा भेजा गया. काफी दिन से लैब में इन मीटरों की जांच हो रही थी. जांच पूरी हो गई और लैब की तरफ से रिपोर्ट भी दे दी गई, लेकिन अभियंताओं ने इस रिपोर्ट को उजागर नहीं किया. जानकारी के मुताबिक लैब जांच में स्मार्ट मीटर घटिया क्वॉलिटी के पाए गए हैं.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा बताते हैं कि बिजली कम्पनियों से स्मार्ट मीटर के सैम्पल सेन्ट्रल पावर रिचर्च इंस्टिट्यूट (सीपआरआई) नोएडा में एक्सेप्टेन्स टेस्ट के लिए भेजे गये थे. ज्यादातर स्मार्ट मीटर के सैम्पल मुख्य पैरामीटर में ही फेल हो गए हैं.

वे बताते हैं कि लैब में जांच किए गए स्मार्ट मीटर को अच्छी क्वॉलिटी के स्मार्ट मीटर के मानकों के सापेक्ष सही नहीं पाया गया, जो अपने आप में बड़ा मामला है. उपभोक्ता परिषद ने कहा कि उनकी मांग है कि अब जब मीटर फेल साबित हुए हैं तो प्रदेश सरकार को अविलम्ब दोषी मीटर निर्माता कंपनी को ब्लैकलिस्ट कराकर कठोर कार्रवाई करानी चाहिए.

अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि मामले पर लगभग नौ माह पहले भार जंपिंग का खुलासा हुआ था. उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्री को एक प्रस्ताव देकर बताया था कि 4518 स्मार्ट मीटर, जिनका भार तीन गुना से भी ज्यादा जम्प कर गया था. मामले में स्मार्ट मीटर की जांच कराई जाए.

ऊर्जा मंत्री के निर्देश पर पावर कार्पोरेशन ने चार सदस्यीय टीम गठित की थी. कमेटी ने सभी कम्पनियों से स्मार्ट मीटर के सैम्पल लेकर सीपीआरआई नोएडा को जांच के लिए भेजा. वर्मा का कहना है कि कोरोना का बहाना लेकर बहुत दिनों तक जांच लंबित रखी गई. जब उपभोक्ता परिषद को शक हुआ तो सीपीआरआई नोएडा के एक उच्चाधिकारी से बात की.

इसके बाद पता चला कि सीपीआरआई नोएडा ने बिजली कम्पनियों को रिपोर्ट भेज दी है. परिषद ने पावर कार्पोरेशन के उच्चाधिकारियों सहित प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को अवगत कराया. रिपोर्ट दबाने वाले अभियंता कह रहे हैं कि रिपोर्ट का अध्ययन करते वक्त जांच रिपोर्ट मिसप्लेस हो गई थी. ऐसे में इन अभियंताओं पर भी एक्शन लेना चाहिए.

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