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RTE NORMS से अटका परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों का प्रमोशन, 10 साल नहीं मिली है पदोन्नति

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Published : Feb 17, 2023, 4:37 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 5:28 PM IST

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE NORMS) लागू होने के बाद से 10 साल से पदोन्नित का इंतजार कर रहे परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों को झटका लगा है. शिक्षकों का कहना है कि अगर विभाग ने आरटीई के मानकों का संज्ञान लिया तो प्रमोशन लटकने तय हैं.

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प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह

लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत बच्चों की संख्या को प्रमोशन का आधार बनाने की प्रक्रिया का शिक्षक संगठनों में विरोध के स्वर उठ रहे है. करीब 10 सालों के लंबे अरसे से पदोन्नित की राह ताक रहे शिक्षकों को अब आरटीई मानकों के फेर में प्रमोशन लटकने की आशंका बढ़ गई है. शिक्षकों का कहना है कि सरकार खाली पदों के सापेक्ष प्रमोशन करें. अगर वह शिक्षा के अधिकार के नियम को लागू करता है. तो ऐसे में हजारों की संख्या में शिक्षकों को प्रमोशन से वंचित रहना पड़ जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो मानक दिए गए हैं. उसमें प्रधानाध्यापक के पद को तब सृजित माना जाएगा, जब स्कूलों में मानक के अनुसार बच्चे होंगे. अगर मानक के अनुसार बच्चे स्कूलों में नहीं होंगे तो प्रधानाचार्य का पद होता ही समाप्त हो जाएगा. ऐसे में जिन शिक्षकों को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति मिलनी है उनमें आरटीई के नियम को लेकर काफी रोष है.


शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जूनियर हाई स्कूलों (कक्षा 6 से 8 तक) 35 बच्चों पर एक शिक्षक 70 बच्चों पर 2 शिक्षक व 105 बच्चों पर 3 शिक्षक का मानक है. इसके साथ ही भाषा गणित विज्ञान व सामाजिक विषय का शिक्षक होना अनिवार्य है. वहीं प्राथमिक विद्यालय में 60 बच्चों पर 2 शिक्षक, 90 बच्चों पर 3, 120 बच्चों पर 4 व.150 बच्चों पर 5 शिक्षक का मानक है. इसके अलावा अधिनियम में कहा गया है कि अगर कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में छात्र संख्या 120 से अधिक है तो वहां प्रधानअध्यापक का एक पद सृजित होगा. वहीं कक्षा 1 से 5 तक डेढ़ सौ अधिक बच्चे होने पर 5 शिक्षक प्लस 1 प्रधानाध्यापक होगा. विभाग का कहना है कि प्रमोशन में तय मानक पूरे होने पर ही पूरे होने पर प्रधानाध्यापक का पद सृजित माना जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में इस तरह की कोई भी प्रावधान नहीं है कि मानक के अनुरूप बच्चे ना होने पर शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति नहीं दी जाएगी.

प्रमोशन में भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा विभाग : विभाग में बीते 10 सालों से अधिक समय से शिक्षकों के प्रमोशन लंबित पड़े हैं. प्रदेश के हजारों विद्यालयों में जिन शिक्षकों को प्रधानाध्यापक हो जाना चाहिए था. वह वरिष्ठ शिक्षक के तौर पर ही काम कर रहे हैं. विभाग इन शिक्षकों को पे बैंड तो दे रहा है पर प्रमोशन से वंचित कर रखा है. अब जब प्रमोशन की शिक्षकों की आस लगी है, तो उसमें मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज बच्चों के संख्या के आधार पर प्रमोशन की बात कह रहा है. ऐसे में जिन स्कूलों में तय मानक से कम बच्चे होंगे वहां प्रधानाध्यापक का पद नहीं दिया जाएगा. प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगभग 2 करोड़ बच्चे परिषदीय विद्यालयों में नामांकित है. 10 वर्षों से प्रमोशन नहीं हुआ है और विद्यालयों में शिक्षकों की भी कमी है. ऐसी परिस्थितियों में बेसिक शिक्षा विभाग क्या करना चाहता है समझ से परे है. प्रमोशन में विभाग जो आरटीआई अधिनियम का हवाला दे रहा है. उसमें कहीं भी ऐसा कुछ अंकित नहीं है कि छात्र मानक पूरे नहीं होंगे तो प्रधानाध्यापक का पद प्रमोशन में नहीं जोड़ा जाएगा.


यह भी पढ़ें : Accident In Bijnor : तेज रफ्तार कार पलटने से पति-पत्नी की मौत, दो बच्चे घायल

प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह

लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में पंजीकृत बच्चों की संख्या को प्रमोशन का आधार बनाने की प्रक्रिया का शिक्षक संगठनों में विरोध के स्वर उठ रहे है. करीब 10 सालों के लंबे अरसे से पदोन्नित की राह ताक रहे शिक्षकों को अब आरटीई मानकों के फेर में प्रमोशन लटकने की आशंका बढ़ गई है. शिक्षकों का कहना है कि सरकार खाली पदों के सापेक्ष प्रमोशन करें. अगर वह शिक्षा के अधिकार के नियम को लागू करता है. तो ऐसे में हजारों की संख्या में शिक्षकों को प्रमोशन से वंचित रहना पड़ जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो मानक दिए गए हैं. उसमें प्रधानाध्यापक के पद को तब सृजित माना जाएगा, जब स्कूलों में मानक के अनुसार बच्चे होंगे. अगर मानक के अनुसार बच्चे स्कूलों में नहीं होंगे तो प्रधानाचार्य का पद होता ही समाप्त हो जाएगा. ऐसे में जिन शिक्षकों को प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति मिलनी है उनमें आरटीई के नियम को लेकर काफी रोष है.


शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जूनियर हाई स्कूलों (कक्षा 6 से 8 तक) 35 बच्चों पर एक शिक्षक 70 बच्चों पर 2 शिक्षक व 105 बच्चों पर 3 शिक्षक का मानक है. इसके साथ ही भाषा गणित विज्ञान व सामाजिक विषय का शिक्षक होना अनिवार्य है. वहीं प्राथमिक विद्यालय में 60 बच्चों पर 2 शिक्षक, 90 बच्चों पर 3, 120 बच्चों पर 4 व.150 बच्चों पर 5 शिक्षक का मानक है. इसके अलावा अधिनियम में कहा गया है कि अगर कक्षा 6 से 8 तक के स्कूलों में छात्र संख्या 120 से अधिक है तो वहां प्रधानअध्यापक का एक पद सृजित होगा. वहीं कक्षा 1 से 5 तक डेढ़ सौ अधिक बच्चे होने पर 5 शिक्षक प्लस 1 प्रधानाध्यापक होगा. विभाग का कहना है कि प्रमोशन में तय मानक पूरे होने पर ही पूरे होने पर प्रधानाध्यापक का पद सृजित माना जाएगा. शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में इस तरह की कोई भी प्रावधान नहीं है कि मानक के अनुरूप बच्चे ना होने पर शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति नहीं दी जाएगी.

प्रमोशन में भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा विभाग : विभाग में बीते 10 सालों से अधिक समय से शिक्षकों के प्रमोशन लंबित पड़े हैं. प्रदेश के हजारों विद्यालयों में जिन शिक्षकों को प्रधानाध्यापक हो जाना चाहिए था. वह वरिष्ठ शिक्षक के तौर पर ही काम कर रहे हैं. विभाग इन शिक्षकों को पे बैंड तो दे रहा है पर प्रमोशन से वंचित कर रखा है. अब जब प्रमोशन की शिक्षकों की आस लगी है, तो उसमें मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज बच्चों के संख्या के आधार पर प्रमोशन की बात कह रहा है. ऐसे में जिन स्कूलों में तय मानक से कम बच्चे होंगे वहां प्रधानाध्यापक का पद नहीं दिया जाएगा. प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के प्रान्तीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदेश में लगभग 2 करोड़ बच्चे परिषदीय विद्यालयों में नामांकित है. 10 वर्षों से प्रमोशन नहीं हुआ है और विद्यालयों में शिक्षकों की भी कमी है. ऐसी परिस्थितियों में बेसिक शिक्षा विभाग क्या करना चाहता है समझ से परे है. प्रमोशन में विभाग जो आरटीआई अधिनियम का हवाला दे रहा है. उसमें कहीं भी ऐसा कुछ अंकित नहीं है कि छात्र मानक पूरे नहीं होंगे तो प्रधानाध्यापक का पद प्रमोशन में नहीं जोड़ा जाएगा.


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Last Updated : Feb 17, 2023, 5:28 PM IST
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