ETV Bharat / state

आईं और गईं से नहीं चलेगा काम, कहीं कांग्रेस को चुकाना न पड़े दाम

author img

By

Published : Sep 13, 2021, 10:48 PM IST

प्रियंका गांधी.
प्रियंका गांधी.

पिछले बार के दौरे से अगर प्रियंका गांधी के इस बार के दौरे की तुलना की जाए तो कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों को ज्यादा समय दिया. लगातार सुबह से लेकर रात तक कार्यालय पर मौजूद रहीं. प्रदेशभर से जो कार्यकर्ता अपनी नेता का दीदार करने प्रदेश कार्यालय आए थे जो पिछले दौरे में नाराज होकर गए थे.

लखनऊः डेढ़ साल से ज्यादा समय के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी जुलाई माह में लखनऊ के तीन दिन के दौरे पर आई थीं. 16 से 18 जुलाई के बीच प्रियंका का यह दौरा हुआ था. उसके बाद फिर कार्यकर्ताओं को प्रियंका गांधी के आने का इंतजार था. प्रियंका को वापस आने में करीब दो माह का समय लगा. इस बार फिर लखनऊ के साथ ही रायबरेली को मिलाकर तीन दिन तक प्रियंका गांधी का आधिकारिक दौरा हुआ. अब फिर प्रियंका गांधी दिल्ली वापस हो गई हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं के बीच यह चर्चा है कि जब यूपी विधानसभा चुनाव करीब हैं तो भला बार-बार दिल्ली वापस लौटने से पार्टी कहां खड़ी हो पाएगी.

तीन दिन में फिर सिमट गया लखनऊ-रायबरेली दौरा

16 जुलाई को कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी लखनऊ आई थीं. 18 जुलाई तक उनका ऑफिशियल कार्यक्रम लखनऊ का था, लेकिन 17 जुलाई को वे लखीमपुर खीरी चली गईं. ऐसे में यह दौरा दो दिन में ही सिमट कर रह गया. इसके बाद दो माह में फिर से 10 सितंबर को प्रियंका की लखनऊ वापसी हुई. हालांकि ऑफिशियल दौरा 10 सितंबर से था, लेकिन प्रियंका गांधी 9 सितंबर को ही लखनऊ पहुंच गईं. वह सीधे कौल निवास गईं. इसके बाद 10 सितंबर से कांग्रेस पार्टी मुख्यालय पर बैठकों का सिलसिला शुरू किया. 11 सितंबर की रात तक प्रियंका ने लगातार बैठक की. इसके बाद 12 सितंबर को सुबह वह रायबरेली रवाना हो गईं. यहां पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात और बैठक करने के बाद अमेठी में पीड़ित परिवार से मिलने गईं. 13 सितंबर की सुबह लखनऊ से वापस दिल्ली चली गईं.

कांग्रेस की राजनीति.

इस बार कार्यकर्ताओं को दिया ज्यादा समय

पिछले बार के दौरे से अगर प्रियंका गांधी के इस बार के दौरे की तुलना की जाए तो कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों को ज्यादा समय दिया. लगातार सुबह से लेकर रात तक कार्यालय पर मौजूद रहीं. प्रदेशभर से जो कार्यकर्ता अपनी नेता का दीदार करने प्रदेश कार्यालय आए थे जो पिछले दौरे में नाराज होकर गए थे. इस दौरे में साथ में फोटो खिंचाकर चेहरे पर खुशी वापस लेकर लौटे. प्रियंका गांधी ने इस बार लखनऊ के दो दिन के दौरे में चुनाव को लेकर विशेष तौर पर पदाधिकारियों से चर्चा की. संगठन को मजबूत करने के लिए विचार-विमर्श किया. इसके साथ ही ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने के लिए पदाधिकारियों को निर्देशित किया. पार्टी के तमाम अभियानों और कार्यक्रमों को लेकर पदाधिकारियों से फीडबैक ली थी.

लखनऊ में प्रियंका गांधी.
लखनऊ में प्रियंका गांधी.

बार-बार आने जाने को लेकर पशोपेश में कार्यकर्ता

प्रियंका गांधी के दो से तीन दिन के दौरे ही उत्तर प्रदेश में लग रहे हैं, जिससे कार्यकर्ताओं में हताशा भी है. कार्यकर्ताओं में यह चर्चा भी है कि विधानसभा चुनाव जब इतने करीब आ गए हैं तो दिल्ली जाने के बजाय प्रियंका गांधी को लखनऊ में ही रहकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न मंडलों का दौरा करना चाहिए. जिससे मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस को संजीवनी मिल सके. कार्यकर्ता मानते हैं कि अगर इसी तरह दो दिन के लिए यूपी आएंगी तो फिर कांग्रेस के पक्ष में परिणाम आना काफी मुश्किल होगा.

इसे भी पढ़ें- हुत कठिन है डगर प्रियंका गांधी की, कैसे साबित होंगी कांग्रेस की खेवनहार ?

प्रियंका के दौरे पर क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार

वरिष्ठ पत्रकार अशोक मिश्रा कहते हैं कि सबसे पहले तो प्रियंका और राहुल गांधी को इस मुगालते से बाहर आना होगा कि नेहरू और गांधी परिवार के होने के नाते लोग उनको वोट देंगे. जो पीढ़ी उनको वोट देती थी या तो वह निष्क्रिय हैं या अब हैं नहीं. अभी बाहर निकलें तो तमाम लोग कांग्रेस से रूठे हुए मिल जाएंगे. अब राजनीति बिल्कुल बदल चुकी है. आपको सिलेक्टिव अप्रोच छोड़ना होगा. सिलेक्टिव अप्रोच नहीं छोड़ेंगे तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है. प्रियंका गांधी पहले 18 महीने के बाद जुलाई में लखनऊ आई थीं. तीन दिन तक रुककर वापस लौट गईं. फिर करीब दो माह बाद सितंबर में आईं. यहां भी तीन दिन का लखनऊ और रायबरेली का दौरा लगाया और फिर वापस दिल्ली चली गईं. अगर ऐसे दौरों से कांग्रेस पार्टी ये उम्मीद करती है कि उत्तर प्रदेश में फिर से जीवंत हो सकेगी तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल साबित होगी. यहां पर लगातार अन्य पार्टियां चुनाव को लेकर सक्रिय हैं, ऐसे में कांग्रेस की दाल गलना मुश्किल होगा. अब उन्हें अपनी रणनीति बदलनी चाहिए.

कांग्रेस.
कांग्रेस.

क्या कहते हैं कांग्रेस नेता

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश प्रवक्ता जावेद अहमद का कहना है कि अगर यह चर्चा है कि प्रियंका गांधी दो या तीन दिन के लिए आती हैं और वापस दिल्ली चली जाती हैं. इससे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का कुछ होने वाला नहीं है तो यह उनकी गलतफहमी है. प्रियंका गांधी 24 घंटे सक्रिय रहती हैं. लगातार पार्टी के कार्यकर्ताओं से कांटेक्ट करती हैं. रात में कार्यकर्ताओं से फोन पर बात करती हैं. पदाधिकारियों को दिशा-निर्देशित करती हैं. यह कहना बिल्कुल भी गलत है कि प्रियंका गांधी सक्रिय नहीं हैं. उनकी सक्रियता का ही नतीजा है कि आज उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का कैडर तैयार हो चुका है. जनता का समर्थन आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को जरूर मिलेगा और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 1989 का इतिहास दोहराएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.