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स्वामी प्रसाद मौर्य जबसे चुनाव हारे तब से चर्चा में बने रहने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं : परिवहन मंत्री

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Published : Aug 1, 2023, 2:34 PM IST

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राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कड़ा जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि 'भारतीय जनता पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता ने उन्हें चुनाव में हराया था.'

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों दो मुद्दे काफी चर्चा में चल रहे हैं. इनमें एक है ज्ञानवापी तो दूसरा सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का हिंदू मंदिरों और बौद्ध मठों को लेकर दिया गया बयान. ज्ञानवापी को लेकर जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान सामने आया कि उसे मस्जिद कहना ठीक नहीं है, लेकिन ये अपने आप में सवाल है कि मस्जिद के अंदर त्रिशूल कहां से आया? इसके अलावा सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का यह बयान कि 'तमाम हिंदू मंदिरों के नीचे बौद्ध मठ हैं'. उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. अब योगी सरकार के मंत्री ने स्वामी प्रसाद मौर्य पर कड़ा प्रहार किया है. कहा है कि जब से चुनाव हारे हैं चर्चा में रहने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं.




हाल ही में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें आड़े हाथों लिया और कहा था कि 'सपा नेता धार्मिक विवाद पैदा करना चाहते हैं.' अब स्वामी प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कड़ा जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि 'वे जबसे चुनाव हारे हैं तबसे उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है. चर्चा में बने रहने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं. उनके बयान का कोई मतलब है ही नहीं. भारतीय जनता पार्टी के एक सामान्य कार्यकर्ता ने उन्हें चुनाव में हराया था. चर्चा में रहना है तो यही सब करना है. इसके अलावा इन दिनों बनारस के ज्ञानवापी मामले को लेकर सियासत गर्म है. लिहाजा, परिवहन मंत्री ने इस मामले पर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मामला न्यायालय में है. न्यायालय जो फैसला करेगा वह सभी को मान्य होगा.'

स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान पर प्रतिक्रिया
स्वामी प्रसाद मौर्या के बयान पर प्रतिक्रिया



बता दें कि जहां स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर पूरे देश से अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं तो ज्ञानवापी मामले पर भी तमाम राजनीतिक दल और संगठन अपनी-अपनी बात रख रहे हैं, हालांकि मामला न्यायालय में होने पर लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. एएसआई ने यहां पर सर्वे शुरू किया था जिस पर फिलहाल रोक लगी है, लेकिन दोनों ही मामलों पर बयानबाजी का दौर जारी है.

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