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लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कानूनी दांव-पेंच में उलझी, जानिए क्यों उठ रहे हैं सवाल

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Published : Oct 8, 2021, 5:58 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कानूनी दांव-पेंच में उलझी.
लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कानूनी दांव-पेंच में उलझी.

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया कानूनी दांव-पेंच में फंस गई है. अभ्यर्थियों को शिकायत है कि विश्वविद्यालय बीते चार-पांच वर्षों से भर्ती के नाम पर करोड़ों का आवेदन शुल्क जुटा चुका है. लेकिन अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है.

लखनऊः लखनऊ विश्वविद्यालय (lucknow university) में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया कानूनी दांव पेंच में फंस गई है. भर्ती के लिए अपनाए गए आरक्षण फार्मूले से लेकर विश्वविद्यालय की प्रक्रिया पर अंगुलियां उठ रही हैं. शिकायत यह भी है कि विश्वविद्यालय बीते चार-पांच वर्षों में भर्ती के नाम पर कई बार आवेदन ले चुका है. करोड़ों रुपये का आवेदन शुल्क इकट्ठा कर लिया गया. लेकिन आज तक उसके संबंध में स्थितियां स्पष्ट नहीं की गई हैं. इसे लेकर कुछ अभ्यर्थी न्यायालय की शरण में पहुंच गए हैं.


आपको बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के करीब 199 स्थाई पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया बीती आठ सितंबर को शुरू की गई थी. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जा रहे हैं. भर्ती के लिए 89 असिस्टेंट प्रोफेसर, 70 एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर समेत कुल 199 पदों के लिए आवेदन विवरण जारी किया गया. कुलसचिव विनोद कुमार सिंह ने बताया कि यह भर्ती प्रक्रिया विश्वविद्यालय के स्तर पर चल रही है. न्यायालय के निर्देशों के हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी.

ये आपत्तियां उठाई गईं

  • विश्वविद्यालय के फिजिक्स और एन्थ्रोप्रोलॉजी विभाग में भर्ती के लिए निकाले गए पदों पर आपत्तियां उठाई गई हैं.
  • अभ्यर्थियों की शिकायत है कि पूर्व में निकाली गई भर्ती प्रक्रिया में जो पद सामान्य वर्ग के थे, उन्हें इस भर्ती में आरक्षित कर दिया गया.
  • विश्वविद्यालय ने वर्ष 2017 में भर्ती निकाली थी. अभी तक उसके संबंध में स्थितियां स्पष्ट नहीं की गई हैं.
  • 2020 में शुरू की गई भर्ती प्रक्रिया के संबंध में भी स्थितियां स्पष्ट नहीं की गई हैं.

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कई बार फंस चुकी है प्रक्रिया

  • लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते 2014 से भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी. लेकिन आज तक भर्ती की यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई.
  • वर्ष 2017 में दोबारा प्रक्रिया शुरू की गई. अभ्यर्थियों से आवेदन लिए गए. करोड़ों रुपये बतौर शुल्क जमा कराया गया. उसके बाद से विश्वविद्यालय चुप है. अभी तक कुछ नहीं हो पाया.
  • विश्वविद्यालय ने 16 दिसम्बर 2020 को शिक्षकों की भर्ती के लिए 180 स्थाई पदों पर विज्ञापन जारी कर आवेदन की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन राजभवन ने पारदर्शिता लाने के लिए इस पर रोक लगाते हुए मई 2021 के शासनादेश के अनुसार प्रक्रिया अपनाने के आदेश दिए. जिसकी वजह से विश्वविद्यालय ने विज्ञापन निरस्त कर दिया था.


    इस बार भर्ती प्रक्रिया में किया है बदलाव
    भर्ती प्रक्रिया में कुछ बदलाव किए गए हैं. इस बार असोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद पर चयन के लिए सिर्फ इंटरव्यू होगा. जबकि असिस्टेन्ट प्रोफेसर के लिए लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और पीपीटी प्रजेंटेशन के साथ साथ उन्हें पढ़ाकर भी दिखाना होगा.
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