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जिला अस्पतालों में दवाएं न होने के कारण रेफर किए जा रहे मरीज, जानिए वजह

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Published : Apr 25, 2023, 9:42 PM IST

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अस्पतालों में दवाई उपलब्ध नहीं होने के कारण गरीब तबके के मरीजों को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है. मरीजों का कहना है कि कई बार पैसों के अभाव में इलाज बीच में छोड़ना पड़ता है.

जिला अस्पतालों में दवाएं न होने के कारण रेफर किए जा रहे मरीज.


लखनऊ : अस्पतालों में दवाई उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. जाहिर तौर पर जिस बीमारी से संबंधित अस्पताल में मेडिसिन उपलब्ध नहीं होगी तो विशेषज्ञ मरीज का इलाज किस तरह से कर सकता है. जिला अस्पतालों में बहुत से के ऐसे आ रहे हैं जिसमें मरीज को गंभीर बीमारी होती है जैसे किडनी का फेल होना या लिवर का खराब हो जाना. इस तरह के मरीज का इलाज तो जिला अस्पताल में हो सकता है, लेकिन दवाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण मजबूरी में विशेषज्ञ डॉक्टरों को अन्य अस्पताल रेफर करना पड़ रहा है.

सिविल अस्पताल की फिजीशियन ओपीडी में बीते सोमवार को एक मरीज अपनी मां के इलाज के लिए पहुंचा. यहां पर डॉक्टर ने देखा और रिपोर्ट देखने के बाद बताया कि महिला की किडनी खराब है. कहा कि इसका लंबा इलाज चलेगा और दवाएं लिखीं. कुछ समय बाद ही तीमारदार वापस लौटा और डॉक्टर से बोला कि यह दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं. जिस पर डॉक्टर ने कहा कि अगर तुम सक्षम हो तो बाहर से ही दवा खरीद लो. इस समय मरीज की स्थिति पर काबू करना जरूरी है. तभी तीमारदार ने कहा कि सर मैं बाहर से दवाएं नहीं खरीद सकता हूं. कृपया आप कोई दूसरा उपाय बताएं. जिस पर विशेषज्ञ डॉक्टर ने कहा कि मैं मरीज को केजीएमयू सेंटर में रेफर कर देता हूं. वहां पर दवाएं उपलब्ध हो जाएंगी."

सिविल अस्पताल में इलाज करा रहे लोगों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि सिविल अस्पताल में इलाज बढ़िया होता है यहां पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी हैं जो अच्छी दवा लिखते हैं और अस्पताल में ही दवाई मिल जाती हैं. कुछ दवाएं बाहर से लेनी पड़ती हैं, बाकी सारी दवा अस्पताल की ओर से मिलती है. अगर वेंटिलेटर नहीं है तो यहां पर वेंटिलेटर की व्यवस्था भी होनी चाहिए. ताकि जो दूरदराज से मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं उन्हें सुविधा मिल सके.

मोहम्मद शाइ ने कहा कि हम गरीब हैं हमारे पास इतने रुपये नहीं होते हैं कि बाहर के दवाओं को खरीद सकें. मजदूरी कर कर परिवार पालते हैं घर में दो बच्चियां भी हैं. सिविल अस्पताल में मंगलवार को दिखाने के लिए आए थे. यहां पर दवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, जिस कारण दिक्कतें होती है. कई बार हम बाहर की दवाएं नहीं खरीद पाते हैं और अक्सर ऐसा होता है कि अस्पताल में सिर्फ एक दो दवा ही मिलती हैं और जो दवा महंगी होती है वही दवा नहीं मिलती है.

शाहिदा बानो ने कहा कि उन्हें सांस संबंधित दिक्कतें हैं. साथ ही वह हार्ट की भी मरीज हैं. अस्पताल में बिल्कुल भी दवा उपलब्ध नहीं हो पाती है. हार्ट से संबंधित डॉक्टर जो भी दवाई लिखते हैं. वह यहां पर मिलती नहीं है. यहां पर डॉक्टर अच्छे से देखते हैं, लेकिन दवा ही उपलब्ध नहीं होती है तो इलाज पूरा नहीं हो पाता है. बाहर की दवाएं इतनी महंगी होती हैं कि उसे खरीद पाना हर बार संभव नहीं हो पाता है. जिस कारण इलाज अधूरे में ही छोड़ना पड़ता है. यह कहते हुए शाहिदा की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने सरकार से मांग की है कि अस्पताल में दवाएं उपलब्ध कराए.

सकीना ने अस्पताल की ओपीडी में डॉक्टर को दिखाया. डॉक्टर ने जो दवा लिखी वह दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं हुई. अस्पताल के काउंटर पर कहा गया कि यहां पर दवाएं उपलब्ध नहीं है. इसके अलावा जन औषधि केंद्र में भी कर्मचारी ने कहा कि अस्पताल में यह दवा खत्म हो चुकी है. बातचीत के दौरान सकीना ने कहा कि यहां पर दवाएं उपलब्ध नहीं हो पाती हैं. जिस वजह से बड़ी दिक्कत होती है. पति मजदूरी करते हैं. आय का दूसरा साधन नहीं हैं. इतनी महंगी दवाई होती हैं जिसे खरीदने में भी सोचना पड़ता है. कई बार ऐसा होता है कि महंगी दवाई होने के चलते खरीद भी नहीं पाते हैं. वहीं चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. लिली सिंह ने बताया कि अस्पतालों में कुछ दवाओं की कमी है. कई जिलों से इसकी जानकारी भी मिली है. मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन से दवाएं मिलने में विलंब के कारण ऐसा हुआ है. काॅरपोरेशन को जल्द दवा सप्लाई के लिए लिखा गया है.

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