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सेन्टीनियल-क्रिश्चियन कॉलेज को कब्जाने के लिए कौन कर रहा था फंडिंग?

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Published : Jul 9, 2022, 11:00 AM IST

सेन्टीनियल-क्रिश्चियन कॉलेज कब्जाने के लिए किए गए फर्जीवाड़े का खुलासा जिला प्रशासन ने कर दिया है. जिलाधिकारी के हस्ताक्षेप के बाद इस पूरे खेल का पर्दा गिर गया है. फर्जीवाड़ा का असली मास्टरमाइंड जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर.

सेन्टीनियल क्रिश्चियन कॉलेज.
सेन्टीनियल क्रिश्चियन कॉलेज.

लखनऊः सेन्टीनियल-क्रिश्चियन कॉलेज कब्जाने के लिए किए गए फर्जीवाड़े का खुलासा जिला प्रशासन ने कर दिया है. इस पूरे मामले में लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल अणिमा रिसाल सिंह, मैथेडिस्ट चर्च कॉलेज के प्रबंधक और अणिमा रिसाल सिंह के बेटे अक्षय रिसाल सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स लखनऊ लखनऊ विनय श्रीवास्तव, तत्कालीन मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक पीएन सिंह, तत्कालीन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह, तत्कालीन खण्ड शिक्षा अधिकारी शिवनन्दन सिंह को दोषी बताते हुए कार्रवाई शुरू की गई है. जिलाधिकारी के हस्ताक्षेप के बाद इस पूरे खेल पर पर्दा गिरा दिया गया है.

उठे सवाल, कहां से आया करोड़ों का निवेश
लखनऊ में सेन्टीनियल-क्रिश्चियन कॉलेज की अरबों खरबों की संपत्ति है. इसका असली मालिक अल्पसंख्यक समुदाय है. बीते कुछ वर्षों में इनको कब्जाने का खेल शुरू किया गया. लालबाग इंटर कॉलेज से लेकर सेंटीनियल इंटर कॉलेज तक करोड़ों रुपये लगाए गए. सेंटीनियल इंटर कॉलेज में निजी स्कूल खोलने से पहले उसके परिसर की मरम्मत से लेकर दूसरे काम कराए गए. इसमें, मोटी कमाई की चाहत में इस पर करोड़ों का खर्च किया गया. जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट में अब तक लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल अणिमा रिसाल सिंह का नाम मुख्य रूप से सामने आया है. इन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार किए. वह खुद एक स्कूल की शिक्षिका रही हैं. इतने बड़े खेल के लिए करोड़ों रुपये उनके पास कहां से आए ? यह है बड़ा सवाल है.

विभागीय सूत्रों की मानें तो, इस पूरे खेल में शिक्षा विभाग में अंदर तक जुड़ा कोई काकस काम कर रहा है. जिसे इन अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त संस्थाओं के बारे में अंदरखाने की जानकारियां प्राप्त हैं. उसी के प्रभाव में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस पूरे खेल में अपनी अपनी भूमिका को बखूबी अंजाम दिया. लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल अणिमा रिसाल सिंह भी इस खेल का सिर्फ एक मोहरा मात्र हैं.

इनके खिलाफ की गई कार्रवाई

1. अक्षय रिसाल सिंह, प्रबंधक, मेथोडिस्ट चर्च स्कूल: सेन्टीनियल हायर सेकेण्ड्री स्कूल लखनऊ जो पूर्व से उस भवन में संचालित था और संस्था दि लखनऊ क्रिश्चियन कालेज, गोलागंज, लखनऊ की भूमि इस स्कूल के उपयोगार्थ थी. इस विद्यालय के अंदर अवैधानिक तरीके से कुछ बाहरी लोगों ने अन्य स्कूल की मान्यता प्राप्त की गई. मान्यता के समय फर्जी तरीके से सेन्टीनियल हायर सेकेण्ड्री स्कूल, लखनऊ के वक्षा-कक्षों को दिखाकर मान्यता प्राप्त की गई. इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा अक्षय रिसाल सिंह, प्रबंधक, मेथोडिस्ट चर्च स्कूल , गोलागंज , के विरूद्ध भादं सं 1860 के 420, 467, 468, 471, 120-बी धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है.

2. शिवनन्दन सिंह, सेवानिवृत्त खण्ड शिक्षा अधिकारी: मौके पर जाकर भूमि का सत्यापन किया और अक्षय रिसाल सिंह के पक्ष में रिपोर्ट लगाई. इनके खिलाफ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा भादं सं 1860 के 420 , 467 , 468 , 471 , 120 - बी धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है. साथ ही, शिवनन्दन सिंह की पेन्शन पर रोक लगाने तथा नियमानुसार विधिक / विभागीय कार्यवाही करने का निर्देश प्रदान किया गया है.

3. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी , लखनऊ विजय प्रताप सिंह एवं मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक, पष्ठ मण्डल लखनऊ पीएन सिंह के विरूद्ध विभागीए कार्यवाही की संस्तुति की गई.
4. डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स , लखनऊ मण्डल लखनऊ को फर्जी / अनियमित तरीके से सोसाइटी का पंजीयन करने के लिये प्रथम दृष्ट्या दोषी पाये जाने के कारण विधिक / विभागीय कार्यवाही किये जाने की संस्तुति की गई.

5. अनिमा रिसाल सिंहः यह लालबाग गर्ल्स इण्टर कालेज , लखनऊ में कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत थी. 31 मार्च को सेवानिवृत्त हुई. आरोप है कि इन्होंने प्रधानाचार्य पद पर रहते हुये अनियमित / फर्जी तरीके से संस्था " दि लखनऊ क्रिश्चियन कालेज , गोलागंज , लखनऊ " की प्रबन्ध समिति की दिनांक 31 मार्च 2021 को डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स सोसाइटी एवं चिट्स , लखनऊ मण्डल लखनऊ के यहां संशोधित सूची में प्रबन्धक पद पर पंजीयन कराया गया. इस प्रकार अनिमा रिसाल सिंह द्वारा राजकीय कोष से वेतन प्राप्त करने के साथ - साथ अनियमित रूप से प्रबन्धक के पद का कार्यभार ग्रहण किया गया. जिसके कारण अनिमा रिसाल के पेन्शन भुगतान पर रोक लगाते हुए संस्था में प्रबन्धक पद पर पंजीयन तिथि से कार्यवाहक प्रधानाचार्य के रूप में राजकोष से वेतन के रूप में प्राप्त धनराशि की वसूली के लिए एवं पेन्शन के रूप में भुगतान की गयी धनराशि की वसूली एवं पेन्शन भुगतान पर रोक लगाने के लिए विधिक / विभागीय कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं.

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