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इंड्रस्टी डिपार्टमेंट में दागी अफसरों की पोस्टिंग के मुद्दे पर सरकार ने साधी चुप्पी, सदन में कही ये बात

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Published : Aug 10, 2023, 11:11 PM IST

सरकार के जीरो टॉलरेंस पर कई विभाग बट्टा लगा रहे हैं. प्रदेश में निवेश लाने की जिम्मेदारी जिस विभाग पर है, उसी महत्वपूर्ण विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर जमकर खेल किए गए और यह सवाल भाजपा से जुड़े एमएलसी ही सदन में पूछ रहे हैं. बहरहाल इस सवाल पर सरकार की तरफ से चुप्पी साध ली गई है.
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इंड्रस्टी डिपार्टमेंट में दागी अफसरों की पोस्टिंग के मुद्दे पर सरकार ने साधी चुप्पी. देखें खबर

लखनऊ : इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के अंतर्गत आने वाले यूपीसीडा में भ्रष्ट और दागी छवि के अधिकारियों की पोस्टिंग के मामले में सरकार ने चुप्पी साध रखी है. विधान परिषद सदन में भी इस मामले पर सरकार ने गोलमोल जवाब दिया है. जिसको लेकर विपक्षी सदस्यों की तरफ से सरकार पर हमला बोला गया है. दागी अफसरों और अभियंताओं की पोस्टिंग गलत तरीके से की गई है. एफआईआर बर्खास्तगी जैसे मामलों को छिपाकर पोस्टिंग दी गई है. जिससे सरकार के जीरो टॉलरेंस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण में भ्रष्टाचार.
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण में भ्रष्टाचार.

बता दें, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण यूपीसीडा में तबादलों में जमकर अनियमितताएं बरती गईं. इस कदर खेल हुआ हुआ कि जिन अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस जांच, एफआईआर और बर्खास्तगी जैसे मामले लंबित हैं उन्हें मलाईदार पोस्टिंग आखिर कैसे और किसके संरक्षण में दे दी गई है. सबसे चौंकाने वाली तो यह है कि सत्तारूढ़ भाजपा के विधान परिषद सदस्य वरिष्ठ नेता देवेंद्र प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण यानी यूपीसीड़ा में ट्रांसफर सत्र के दौरान हुए गलत तरीके से ट्रांसफर की अनियमितता के मामले को खुद विधान परिषद सदन में उठाया है. देवेंद्र प्रताप सिंह ने सदन में औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता से पूछा है कि यूपीसीडा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में किन परिस्थितियों के कारण भ्रष्ट और दागी अधिकारियों अभियन्ताओं को महत्वपूर्ण तैनाती दी गई है. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कब की जाएगी. इस सवाल पर विधान परिषद सदन में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ने कहा कि वह इसकी जांच कराएंगे. ऐसा किन परिस्थितियों कारण किया गया है.

उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण में भ्रष्टाचार.
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण में भ्रष्टाचार.

बहरहला सवाल यह है कि विदेशी निवेश लाने की कवायद में जुटी पूरी सरकार जीरो टॉलरेंस के अंतर्गत काम करने का दावा कर रही है, लेकिन औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्ट और दागी छवि वाले अधिकारियों को महत्वपूर्ण पोस्टिंग देकर शासन की आंख में धूल झोंकने वाले जिम्मेदार अफसरों पर आखिर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई. जब यह मामला उच्च सदन में उठाया गया तो फिर कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है. इंडस्ट्री डिपार्टमेंट में इस कारनामे की खूब चर्चा हो रही है. कुछ बड़े अधिकारियों की मनमानी के चलते सारे नियम कायदे कानून ताक पर रखकर बड़े बड़े खेल किए जा रहे हैं.

इन अफसरों को दी गई है महत्वपूर्ण जिम्मेदारी, जिनके ऊपर हैं गम्भीर आरोप

  • एपी कौशिक के खिलाफ फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने के गम्भीर आरोप लगे हैं. FIR भी दर्ज है. यूपीसीडा में महाप्रबंधक के पद पर तैनात थे और इन्हें इसी पद पर नोएडा प्राधिकरण में तैनात कर दिया गया है.
  • प्रदीप सत्यार्थी के खिलाफ कई गम्भीर आरोप के चलते विजिलेंज जांच चल रही है. प्रयागराज से इन्हें कानपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर पोस्टिंग दी गई है.
  • सीमा सिंह को गाजियाबाद से आरएम अलीगढ़ बनाया गया है. इनके खिलाफ भी विजिलेंस जांच चल रही है. इनकी नियुक्ति प्रक्रिया ही गलत होने के आरोप हैं.
  • अजय कुमार यादव विजिलेंस जांच से घिरे हैं. अलीगढ़ से इन्हें क्षेत्रीय प्रबंधक अयोध्या की जिम्मेदारी दी गई है. इनके खिलाफ भी कई जांच चल रही हैं.
  • शर्मिला पटेल यूपीसीडा मुख्यालय में कार्यरत थीं. अब इन्हें गाजियाबाद में ट्रोनिका सिटी के परियोजना अधिकारी की पोस्टिंग दी गई है. इन्हें नियुक्ति संबंधी मामले में बर्खास्त किया गया था, लेकिन हाईकोर्ट से स्टे लेकर नौकरी कर रही हैं. छवि दागदार है, अब मलाईदार पोस्टिंग भी मिल गई.
  • मसूर कटियार भी मुख्यालय में तैनात थे और इनकी नियुक्ति सहायक प्रबंधक पद पर हुई थी और अब इन्हें बरेली का क्षेत्रीय प्रबंधक बना दिया गया है. इनके खिलाफ विजिलेंस जांच जारी है. इसके साथ ही जमीन ट्रांसफर मामले में भी अनियमितता की अलग जांच भी प्रचलित है.
  • अजयदीप सिंह क्षेत्रीय प्रबंधक बनाए गए हैं. पहले ये मुख्यालय में कार्यरत थे और उनके खिलाफ सूरजपुर में परियोजना अधिकारी रहते गम्भीर अनियमितता की शिकायत हुई थी, जिसपर निलंबित किए गए थे. विजिलेंस जांच भी जारी है, लेकिन अफसरों के संरक्षण जुगाड़ तंत्र से फिर से पोस्टिंग पाने में सफल हो गए हैं.

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