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एसीपी के पुत्र की मृत्यु मामले में आरोपी की जमानत खारिज, नामिश श्रीवास्तव की गैर इरादतन हत्या का है आरोप

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 8, 2023, 10:09 PM IST

एसीपी श्वेता श्रीवास्तव के पुत्र नामिश श्रीवास्तव (9) की मौत के मामले में आरोपी की जमानत अर्जी पर सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने खारिज कर दी है.

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लखनऊ : जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर 6 के बाहर एसीपी श्वेता श्रीवास्तव के पुत्र नामिश श्रीवास्तव की तेज गति से वाहन चलाकर गैर इरादतन हत्या करने के आरोपी देवश्री वर्मा की जमानत अर्जी को अपर सत्र न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने खारिज कर दिया है.


जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अभय त्रिपाठी एवं अरुण पांडे का तर्क था कि लखनऊ में तैनात एसीपी श्वेता श्रीवास्तव के 9 वर्षीय पुत्र नामिश श्रीवास्तव की आरोपी द्वारा अपने साथी को उकसाकर वाहन को तेज गति से चलवाकर 21 नवंबर 2023 की सुबह करीब 5:30 बजे जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर 6 के बाहर टक्कर मारकर गैर इरादतन हत्या कर दी थी. अदालत को बताया गया कि श्वेता श्रीवास्तव ने स्वयं इस घटना की रिपोर्ट गोमतीनगर थाने में दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने कहा है कि जब वह गेट नम्बर 6 से बाहर निकाल कर जी-20 रोड पर सड़क के किनारे पहुंचीं तभी अचानक एक चौपहिया वाहन इकाना स्टेडियम की तरफ से तेजी से हमारी तरफ आता दिखाई दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तक वह कुछ समझ पाती कि उसके पहले वाहन चालक ने बिना ब्रेक लगाए उसके पुत्र को वाहन से टक्कर मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया. जिसे सहारा हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

जमानत के विरोध में अदालत को बताया गया कि वाहन स्वामी द्वारा अपने बयानों में कहा गया है कि आरोपी घटना वाली सुबह करीब 4:00 बजे जनेश्वर मिश्र पार्क में चाय पीने के लिए गाड़ी मांग कर ले गया था. इसके अलावा आरोपी देवश्री वर्मा ने भी अपने बयानों में कहा है कि सार्थक सिंह के पास डीएल नहीं था फिर भी उसे गाड़ी चलाने को देकर बगल की सीट पर बैठ गया. बयानों ने कहा गया है कि सार्थक सिंह 100 की स्पीड से गाड़ी चला रहा था तब मैंने उससे कहा कि हिम्मत हो तो 150 की स्पीड से चला कर दिखाओ जिस पर सार्थक सिंह ने कहा था कि अगर कोई सामने आ गया तो क्या होगा. इस पर आरोपी ने उससे कहा कि अगर कोई सामने आ जाए तो ठोक देना. अदालत ने कहा है कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य को देखते हुए अभियुक्त को जमानत पर रिहा किए जाने का कोई आधार नहीं है.


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