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पांच हजार सीसीटीवी कैमरों से लैस हुए प्रदेश के 16 शहर, मुख्यमंत्री ने कही यह बात

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Published : Dec 16, 2022, 6:28 PM IST

प्रदेश के 16 शहरों में तमाम विभागों और योजनाओं के तहत पांच हजार सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉल किए गए हैं. ये कैमरे चौराहों, प्रमुख मार्गों, एक्सप्रेस वे और रेलवे व मेट्रो स्टेशन पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं.

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लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब हर प्रबुद्धजन सम्मेलन में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को ट्रैफिक से जोड़ने और शहरों को सेफ सिटी बनाने की योजना पर जरूर बात करते हैं. वे कहते हैं कि हमारे शहर अब स्मार्ट के साथ साथ सेफ भी हो रहे हैं. कोई अपराधी अगर एक चौराहे पर घटना को अंजाम देगा तो दूसरे चौराहे पर पुलिस उसको ढेर कर देगी. मुख्यमंत्री की इसी मंशा को देखते हुए प्रदेश के 16 शहरों में तमाम विभागों और योजनाओं के तहत 5000 सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉल किए गए हैं. ये कैमरे चौराहों, प्रमुख मार्गों, एक्सप्रेस वे और रेलवे व मेट्रो स्टेशन पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं.


यह योजना केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा मिलकर शुरू की गई है. कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, झांसी, सहारनपुर और मुरादाबाद जैसे शहरों में सीसीटीवी इंस्टॉल (cctv installed) करने के लिए केंद्र की ओर से मदद की गई है. अयोध्या, मथुरा-वृंदावन, फिरोजाबाद, मेरठ, शाहजहांपुर, गोरखपुर और गाज़ियाबाद में राज्य सरकार की ओर से अनुदान जारी किया गया है. इनके इंस्टालेशन में निजी कंपनियों का भी सहयोग लिया गया है. स्मार्ट सिटी मिशन (smart city mission) के तहत जहां नगर विकास विभाग ने इंस्टालेशन की जिम्मेदारी संभाली. वहीं एक्सप्रेसवे पर यूपीडा, टोल प्लाजा पर एनएचएआई, रेलवे स्टेशन पर रेलवे और मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो प्रशासन की ओर से सीसीटीवी लगाए गए हैं.

डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल पर मॉनीटरिंग : इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (Integrated Command and Control System) की सिटी और स्टेट लेवल पर मॉनीटरिंग (State level monitoring) की जा रही है. उदाहरण के तौर पर कानपुर के इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के जरिए 800 से ज्यादा कैमरों को कवर किया जा रहा है. इसके तहत 16 वर्क स्टेशन काम कर रहे हैं. वहीं स्टेट लेवल पर 5000 कैमरों की मॉनिटरिंग के लिए 16 स्मार्ट शहरों को कनेक्ट किया गया है. इन सेंटर्स के जरिए मिलने वाले डेटा को जल्द ही फ़िल्टर करके वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा और इसके माध्यम से आम नागरिकों को जागरूक किया जाएगा.

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