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शिलान्यास के सुपर आइडिया से CM योगी को बंधी सफलता की आस

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Published : Nov 8, 2021, 7:42 AM IST

भाजपा का 'मिशन 84'
भाजपा का 'मिशन 84'

आगामी यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा ने पहले 'मिशन 84' पर फोकस करने का निर्णय लिया है. साथ ही इस मिशन 84 को आगे ले जाने की जिम्मेदारी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई है. बता दें कि इस मिशन की सफलता पर अबकी बहुत कुछ निर्भर करने वाला है और इसकी गंभीरता को पार्टी के आला नेता भलीभांति समझते हैं.

हैदराबाद: अबकी उत्तर प्रदेश में भाजपा की राह आसान नहीं दिख रही है. क्योंकि विपक्षी पार्टियां हर मोर्चे पर घेरने के साथ ही मिनट दर मिनट खामियों की दीवार खड़ी करने में जुटे हैं. यही वजह है कि अब भाजपा भी फूंक-फूंककर कदम रख रही है. हालांकि, इन सभी विपरीत परिस्थितियों में भी अब भाजपा को 'मिशन 84' से उम्मीद जगी है. यही कारण है कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने उक्त मिशन की जिम्मेदारी सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी है. साथ ही कहा जा रहा है कि अगर ये मिशन कामयाब होता है तो फिर एक बार सूबे में भाजपा की सरकार बनेगी.

दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था, अब उन्हीं सीटों पर पार्टी अधिक फोकस कर रही है. ताकि उन सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की जा सके. वहीं, जनता से जनसंपर्क और इन सीटों पर प्रचार के लिए अब स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सामने आए हैं.

भाजपा का 'मिशन 84'
भाजपा का 'मिशन 84'

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खैर, अगर प्रचार-प्रसार की बात करें तो फिलहाल भाजपा इस रेस में पहली पंक्ति में बनी हुई है. साथ ही अब पार्टी ने न सिर्फ संगठन के पेंच कसना शुरू कर दिया है, बल्कि शीर्ष नेता से लेकर हर पदाधिकारी तक को प्रवास, दौरे और अभियानों से भी जोड़ा है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री उन विधानसभा क्षेत्रों में विकास की गंगा बहाने को करोड़ों की परियोजनाओं की सौगात दे रहे हैं, जहां पार्टी जीत दर्ज करने में नाकामयाब रही थी.

होमवर्क के बाद हार्ड वर्क शुरू

भाजपा के सियासी रणनीतिकारों के मुताबिक, आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में 350 सीटों के लक्ष्य को पार करने के लिए उन सीटों पर होमवर्क के बाद हार्ड वर्क जरूरी है, जहां पार्टी को 2017 में पराजय का मुंह देखना पड़ा था.

भाजपा का 'मिशन 84'
भाजपा का 'मिशन 84'

अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि 84 सीटें भाजपा के पास नहीं हैं. इसमें वो सीटें भी हैं जो भाजपा ने उपचुनाव में गंवा दी थी. वहीं, अगर ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा से गठबंधन टूटने की बात करें तो भी भाजपा को उन सीटों का नुकसान हुआ है, जो सीटें सुभासपा के पास थीं.

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वहीं, बता दें कि भाजपा ने 2017 में 384 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इसमें से 312 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी. लेकिन अब पार्टी ने हारी सीटों पर जीत हासिल करने की योजना के तहत मैदान में उतर काम करना शुरू कर दिया है.

सियासी विश्लेषक व प्रोफेसर ललित कुचालिया की मानें तो भाजपा व्यक्ति प्रधान नहीं, बल्कि संगठन प्रधान दल है, जो सुनियोजित तरीके से जमीनी स्तर पर विस्तार को काम करती है. वहीं, उन्होंने कहा कि पार्टी के रणनीतिकारों को यह पता है कि वे सभी सीटें जो पार्टी ने साल 2017 में जीती थीं, उस पर दोबारा जीत की संभावना उतनी अधिक नहीं है.

भाजपा का 'मिशन 84'
भाजपा का 'मिशन 84'

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इसलिए अब पार्टी पूरी रणनीति के साथ 'मिशन 84' को सफल बनाने में जुट गई है. इधर, प्रदेश भाजपा के महामंत्री अमरपाल मौर्य की मानें तो भाजपा हमेशा सभी सीटों पर काम करती है, जो सीटें नहीं जीत पाए, उन सीटों पर तो विशेष रूप से काम किया जाता है.

ये है भाजपा का एक्शन प्लान

पार्टी सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने इन सीटों के लिए पूर्व योजना के तहत फीडबैक लेने के बाद जिलों के प्रभारी मंत्रियों और पदाधिकारियों को क्षेत्र की जनता के संपर्क में रहने का निर्देश दिया है. वहीं, ये भी तय किया गया है कि इन क्षेत्रों में कौन सी ऐसी योजनाएं हैं, जिसका लोगों को लंबे समय से इंतजार है और जिसका शिलान्यास या लोकार्पण किया जा सकता है.

भाजपा का 'मिशन 84'
भाजपा का 'मिशन 84'

वहीं, क्षेत्रवार समस्याओं और आवश्यकताओं को केंद्र कर पदाधिकारी रिपोर्ट बना सीधे सीएम और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भेज रहे हैं और इन्हीं रिपोर्टों के आधार पर शिलान्यास की तैयारियां की जा रही है.

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