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UP Politics : आजम खान के बाद बेटे की सीट पर चुनाव लड़ सकती है यह मशहूर अभिनेत्री

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Published : Mar 6, 2023, 7:17 PM IST

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आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को सजा मिलने के बाद खाली हुई स्वार सीट (UP Politics) पर माना जा रहा है कि जयाप्रदा भाजपा प्रत्याशी बन सकती हैं. जिसको लेकर चर्चाएं काफी तेज हैं.

लखनऊ : रामपुर लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता रहे आजम खान को कभी हराने वाली और बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव में उनसे हारने वाली जयाप्रदा अब आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम को सजा होने के बाद रिक्त हुई स्वार सीट पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हो सकती हैं. हाल ही में जयाप्रदा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी, जिसके बाद इस बात को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं. 2022 में इस सीट पर अपना दल का प्रत्याशी खड़ा हुआ था, जो कि अब्दुल्ला आजम से हार गया था. इस बार जयाप्रदा पर भारतीय जनता पार्टी अपना दांव आजमा सकती है. दूसरी ओर अपना दल विधायक रहे राहुल कोल की मृत्यु के बाद रिक्त हुई सीट पर अपना दल का ही कोई प्रत्याशी खड़ा होगा.

जया प्रदा एक बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर आजम खान को हरा चुकी हैं. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भारतीय जनता पार्टी के टिकट से यहां पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था. तब जया प्रदा आजम खान से हार गई थीं. इसके बाद में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम ने 2022 के विधानसभा चुनाव में रामपुर की स्वार सीट से जीत हासिल की थी. मगर हाल ही में सड़क जाम करने के एक मामले में एमपी, एमएलए कोर्ट ने उनको 2 साल की सजा सुनाई है, जिसके बाद में यह सीट रिक्त हो गई है. बहुत जल्दी ही चुनाव आयोग स्वार और छानबे सीट के लिए चुनाव की घोषणा करेगा. आजम अब्दुल्ला की रिक्त सीट पर जयाप्रदा चुनाव लड़ने की इच्छुक बताई जा रही हैं. माना जा रहा है कि इसी को लेकर उन्होंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी.

भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि बहुत संभव है कि जयाप्रदा को इस सीट से भाजपा का टिकट मिल जाए. इसके बाद में उत्तर प्रदेश की विधानसभा में एक अभिनेत्री भी नजर आएगी. जयाप्रदा अपने समय में समाजवादी पार्टी के नेता रहे अमर सिंह की नजदीकी रही हैं. माना जाता है कि आजम खान और अमर सिंह के बीच तकरार की बहुत बड़ी वजह जयाप्रदा ही थीं. इसकी वजह से पहले आजम खान समाजवादी पार्टी से बाहर हुए थे. बाद में अमर सिंह को भी पार्टी से बाहर का रास्ता देखना पड़ा था. मगर जयाप्रदा ने कभी भी अमर सिंह का साथ नहीं छोड़ा.'

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