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तपिश से बचने को छत नहीं थी, चली गई मासूम की जान...जिम्मेदार अनजान

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Published : Apr 23, 2022, 6:51 PM IST

तपिश से बचने को छत नहीं थी, चली गई मासूम की जान.
तपिश से बचने को छत नहीं थी, चली गई मासूम की जान.

कानपुर देहात में तपती धूप से बचने के लिए छत न होने के कारण एक मासूम की जान चली गई. इससे अनजान जिम्मेदार अफसरों ने मासूम के परिजनों से मिलना तक मुनासिब नहीं समझा.

कानपुर देहातः रूरा कस्बे के जोगीडेरा में पन्नी की छत तले रहने को मजबूर एक मासूम की जान तपिश के कारण चली गई. यहां रहने वाले बरसों से पन्नी और घास-फूस की छत तले रहने को मजबूर हैं. कई बार फरियाद के बावजूद इन्हें पीएम आवास योजना के तहत रहने को आवास नहीं मिले. मासूम की मौत के बाद भी जिला प्रशासन के अफसरों ने यहां झांकना तक मुनासिब नहीं समझा. इनकी बदहाली की खबर कई बार etv भारत की टीम प्रमुखता से उठा चुकी है.

जोगीडेरा में सपेरा समाज के लोग रहते हैं. राष्ट्रपति के गृह जनपद में नाथ समुदाय के ये लोग आदिवासी जीवन जीने को मजबूर हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में यहां की तस्वीर बदलने की बात कही गई थी लेकिन हुआ कुछ नहीं. इस समुदाय के लोग कई बार पीएम आवास योजना के लिए फरियाद लेकर अफसरों के पास पहुंचे लेकिन इन्हें टरका दिया गया.

तपिश से बचने को छत नहीं थी, चली गई मासूम की जान.

अब यहां नौ माह के मासूम की मौत तपिश के कारण हो गई. ऐसे में इस समुदाय के लोगों की पीड़ा एक बार फिर से समाज के सामने आ गई है. समुदाय के लोग इसे लेकर आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि हमें मरने के लिए छोड़ दिया गया है. आज भी हम तेज धूप में पन्नी और घास-फूस के तले रहने को मजबूर हैं. अगर हमारे पास छत होती तो शायद आज मासूम की जान बच जाती.


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