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काशी के अलावा यहां भी विराजमान हैं बाबा विश्वनाथ, जानें ज्योतिर्लिंग के दूसरे प्रारूप से जुड़ी मान्यताएं

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Published : Aug 19, 2021, 6:51 AM IST

बाबा विश्वनाथ मंदिर
बाबा विश्वनाथ मंदिर

कन्नौज जिले के चौधरियापुर गांव में स्थित बाबा विश्वनाथ मंदिर (Baba Vishvanath Temple In kannauj) को काशी विश्वनाथ का दूसरा रूप माना जाता है. माना जाता है कि यहां दर्शन पूजन करने से वाराणसी के काशी विश्वनाथ के दर्शन के बराबर का फल मिलता है.

कन्नौज: शहर से महज तीन किलोमीटर दूर चौधरियापुर गांव में पतित पावनी मां गंगा के तट पर बने बाबा विश्वनाथ मंदिर (Baba Vishvanath Temple in Kannauj) को काशी में स्थापित ज्योतिर्लिंग का दूसरा स्वरूप माना जाता है. यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. अपने आराध्य भोलेनाथ का दर्शन पूजन करने यहां हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. सावन माह में तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.

मंदिर की स्थापना कब की गई थी उसकी सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन यह मंदिर राजा हर्षवर्धन के समय से पहले का बताया जाता है. ऊंचे टीले पर बने इस प्राचीन मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर का दूसरा रूप कहा जाता है. यहां पर दर्शन करने से जो बनारस के काशी विश्वनाथ के दर्शन के बराबर फल मिलता है. सावन के महीने में दूर दूर से भक्त यहां आते हैं और दर्शन करते हैं. मान्यता है कि यहां पर भक्त की हर मुराद को बाबा विश्वनाथ पूरी करते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट
मंदिर के पुजारी भोला गिरी बताते हैं कि बाबा विश्वनाथ का शिवलिंग हिमालय से गंगा जी में बहकर यहां आया था. जिसके बाद भोलेनाथ ने काशी के पुजारियों को स्वप्न में दर्शन दिया. तब काशी के पुजारियों ने कन्नौज के चौधरियापुर में आकर मंदिर का निर्माण कराया और शिवलिंग को स्थापित किया. यही कारण है कि बाबा विश्वनाथ मंदिर को काशी का दूसरा स्वरूप माना जाता है. भक्तों को बाबा के दर्शन करने के लिए कई सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है. कहा जाता है कि जहां यह मंदिर है वहां पहले गंगा का तट हुआ करता था. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है. इन दिनों बाबा विश्वनाथ का यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं.

शिवजी को सोमवार बेहद पसंद

वैसे तो पूरा सावन माह ही बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन सावन माह के सोमवार का विशेष महात्म्य है. कहा जाता है कि सावन के सोमवार भगवान शिव को बेहद पसंद हैं. इस बार सावन में 4 सोमवार व्रत का संयोग था. इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि पूर्वक विशेष पूजा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है.

श्रावण माह से व्रत और साधना के चार माह अर्थात चातुर्मास प्रारंभ होते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने अपने दूसरे जन्म में शिव को प्राप्त करने हेतु युवावस्था में श्रावण महीने में कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न किया. इसलिए यह माह शिव जी को साधना, व्रत करके प्रसन्न करने का माना जाता है. श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना. अर्थात सुनकर धर्म को समझना.

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