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गाजीपुर: हर साल बाढ़ की मार से तिल-तिल कर मर रहा सेमरा गांव

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Published : Sep 25, 2019, 10:39 AM IST

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर का सेमरा गांव बाढ़ की चपेट में है. यहां के किसानों की फसलें बाढ़ की वजह से पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है.
हर साल बाढ़ की मार से तिल-तिल कर मर रहा सेमरा गांव.

गाजीपुर: गाजीपुर इस वक्त बाढ़ की मार झेल रहा है. भांवरकोल थाना क्षेत्र के सेमरा, शिवराय का पुरा और बच्छलपुरा गांव को गंगा अपनी आगोश में ले चुकी हैं. गंगा की उफनती धाराओं ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है. किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. पिछले एक सप्ताह से गंगा के जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने गंगा की कटान से सेमरा गांव में हुई तबाही का जायजा लिया.

हर साल बाढ़ की मार से तिल-तिल कर मर रहा सेमरा गांव.

अस्त-व्यस्त हो चुका लोगों का जीवन
मोहम्मदाबाद और गाजीपुर मुख्य सड़क से सेमरा गांव को जोड़ने वाले दो मार्ग हैं. उसे गंगा की धारा ने तोड़ दिया है, जिससे मुख्यालय से गांव का संपर्क टूट गया है, आवागमन पूरी तरीके से अवरुद्ध हो चुका है, लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. किसानों की सैकड़ों बीघा फसल भी पानी में डूब चुकी है. लोगों तक बाढ़ राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है. जिला प्रशासन का दावा और प्रदेश सरकार का फरमान है कि 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन हकीकत में जमीन पर तमाम दावे हवा हवाई नजर आ रहे हैं. लोगों का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है.

जानिए बाढ़ पीडितों ने क्या कहा
गांव में घुसते ही ईटीवी भारत की टीम को सबसे पहले सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमनाथ गुप्ता मिले. उन्होंने बताया कि बाढ़ से गांव के हालात बहुत खराब हैं. जिला प्रशासन के लोग अभी तक कोई मदद यहां नहीं पहुंचा पा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा था कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 12 घंटे में राहत सामग्री पहुंच जाएगी, लेकिन 40 घंटे गुजर चुके हैं और यहां कोई राहत सामग्री नहीं पहुंची है.

सेमरा के तटवर्ती इलाके में रहने वाले रमेश राय बताते हैं कि गंगा का ऐसा रूप देखने से मर जाना ज्यादा अच्छा था. जो सरकार हमने चुना वह निकम्मी निकली. उन्होंने बताया कि अभी तक कोई पूछने तक नहीं आया है. ऐलान हुआ था कि 12 घंटे में राहत सामग्री मिलेगी, लेकिन आज तक किसी का अता-पता नहीं है.

सुशील कुमार राय ने ईटीवी भारत की टीम को बाढ़ प्रभावित इलाकों को दिखाया. उन्होंने बताया कि 2013 के बाढ़ प्रभावित लोग आज भी मोहम्मदाबाद के प्राइमरी और मिडिल स्कूल में रह रहे हैं. बाढ़ में उनका घर बर्बाद हो गया. इस बार की बाढ़ में भी शत-प्रतिशत खेती बर्बाद हो चुकी है. उन्होंने बताया कि बाजरा, मिर्च, टमाटर सभी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, किसान बेहाल हैं. उन्होंने कहा कि अब साल भर के लिए सोचना है कि जीवन यापन कैसे होगा, क्योंकि पानी तो जनवरी तक उतरेगा, उससे पहले कोई फसल नहीं हो सकती.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी: सब्जियों के दाम आसमान पर, चटनी भी खाना हुआ महंगा

इस बार सेमरा गांव में कटान रोकने के लिए स्टोन पीचिंग का काम कुछ हद तक पूरा किया गया है, जिसकी वजह से गंगा का कटान कम हुआ है. तटवर्ती इलाकों से गंगा कटान करते हुए तेजी से गांव में प्रवेश कर रही हैं, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं. अब देखना यह है कि आने वाले सालों में क्या सेमरा गांव के किसान परिवारों को गंगा की कटान के दंश से छुटकारा मिल पाता है या नहीं.

Intro:हर साल बाढ़ की मार से तिल तिल कर मर रहा सेमरा

गाजीपुर। गाजीपुर इस वक़्त बाढ़ की मार झेल रहा है। मुहम्मदाबाद और भांवरकोल का सेमरा, शिवराय का पुरा एवं बच्छलपुरा गांव को गंगा अपने आगोश में ले चुकी हैं। गंगा की उफनती धाराओं ने सैकड़ो लोगो को बेघर कर दिया है। किसानों की फसले पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। पिछले एक सप्ताह से गंगा के जलस्तर में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। ईटीवी की टीम ने सेमरा कटान के बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायज़ा लिया।

मोहम्मदाबाद और गाजीपुर मुख्य सड़क से सेमरा गांव को जोड़ने वाले दो मार्ग हैं। उसे गंगा की धारा ने तोड़ दिया है जिससे मुख्यालय से गांव का संपर्क टूट गया है। आवागमन पूरी तरीके से अवरुद्ध हो गया है। लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। किसानों की सैकड़ों बीघा फसल भी पानी में डूब चुकी है। लोगों तक बाढ़ राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही। जिला प्रशासन का दावा और प्रदेश सरकार का फरमान है कि 24 घंटे के अंदर बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध कराई जायेगी। लेकिन हकीकत के जमीन पर तमाम दावे हवा हवाई नज़र आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें किसी तरह की कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही।







Body:गांव में घुसते ही हमें सबसे पहले सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमनाथ गुप्ता मिले। उन्होंने बताया कि बाढ़ से गांव के हालात बहुत खराब है। जिला प्रशासन के लोग अभी कोई मदद यहां नहीं पहुंचा पा रही। मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 12 घंटे में राहत पहुंच जाएगी ,लेकिन 40 घंटे गुजर चुके हैं। लेकिन यहां कोई राहत सामग्री नहीं पहुंची है।

स्थानीय पत्रकार गोपाल यादव बताते हैं, इस समय सेमरा गांव के आने वाले दोनों मुख्य रास्ते अवरुद्ध हो चुके हैं। दोनों रास्ते में पानी भर चुका है। लोग किसी तरीके से काफी जोखिम लेकर गांव में आ जा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी पशुओं को है। उनका  चारा डूब चुका है। पशुपालक किसी तरीके अपना पेट भर रहे हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती पशुओं की है। लोग दूर दराज के इलाकों में जाकर चारा ला रहे हैं और किसी तरीके से पशुओं का पेट भर रहे हैं।

सेमरा के तटवर्ती इलाके में रहने वाले रमेश राय बताते हैं की गंगा का ऐसा रूप देखने से मर जाना ज्यादा अच्छा था। जो सरकार हमने चुना वह निकम्मी निकली। अभी तक कोई पूछे तक नहीं आया। ऐलान हुआ था कि 12 घंटे में राहत सामग्री मिलेगी लेकिन आज तक किसी का अता पता नहीं है। यहां 200 घरों की बस्ती उजड़ गई है। हम लोगों के पेट का कोई बचाव नहीं है।

सुशील कुमार राय ने हमें बाढ़ प्रभावित इलाकों को दिखाया।  उन्होंने बताया कि 2013 के बाढ़ प्रभावित लोग आज भी मोहम्मदाबाद की प्राइमरी और मिडिल स्कूल में रह रहे हैं। बाढ़ में उनका घर बर्बाद हो गया। इस बार की बाढ़ में भी शत-प्रतिशत खेती बर्बाद हो चुकी है। बाजरा, मिर्च, टमाटर सभी फसलें बर्बाद हो चुके हैं। किसान बेहाल है। अब साल भर के लिए अब सोचना है कि कैसे जीवन यापन होगा। क्योंकि पानी तो जनवरी तक उतरेगा। उससे पहले कोई फसल नहीं हो सकती।


Conclusion:2013 की तरह गंगा ने अपना विकराल रूप दिखाया है जिससे गंगा के तटवर्ती इलाकों में कटान शुरू हो गई है। सेमरा गांव में तेजी से पानी घुस रहा है। सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। बता दें कि आज भी 2013 में हुए गंगा कटान से सेमरा गांव आंशिक रूप रूप से अपना वजूद खो चुका है है। सेमरा वासी विस्थापन का दंश आज भी झेलने को मजबूर हैं। कुल विस्थापित 558 लोग 378 लोग पिछले कई सालों से मोहम्मदाबाद के प्राइमरी और मिडिल स्कूल में आसरा लिए हुए हैं।

इस बार सिमरा में कटान रोकने के लिए स्टोन पीचिंग का काम कुछ हद तक पूरा किया गया है जिसके वजह से गंगा का कटान कम हुआ है। लकी सही तटवर्ती इलाकों से गंगा कटान करते हुए तेजी से गांव में प्रवेश कर रही है। किस से किसानों की चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही है। अब देखना है कि आने वाले सालों में क्या सिमरा गांव के किसान परिवारों को गंगा टिकट आन के दंश से छुटकारा मिल पाता है या नहीं।

इस बार गाजीपुर का जमानिया, सेवराई, सैदपुर और  भांवरकोल के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। सेवराई का रेवतीपुर, वीरुपुर , हसनपुर, नसीरपुर गहमर आंशिक, भतौरा, कुतुबपुर, मोहम्दाबाद के भावरकोल का शेरपुर, कुंडेसर, मच्छटी, अवथही, दहिनवर, लोचईन, सेमरा, करंडा का पुरैना, बड़हरिया, धर्ममरपुर,वही जमानिया का देवरिया, मलसा , जीवपुर, सब्बलपुर, मतसा बाड़, ताजपुर दियारा, चितवनपट्टी, कालनपुर, ताड़ीघाट सहित अन्य गांव बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हैं।

बाइट - प्रेम नाथ गुप्ता ( सामाजिक कार्यकर्ता )

बाइट - गोपाल यादव ( स्थानीय  पत्रकार )

बाइट रमेश कुमार राय ( कटान प्रभावित )

बाइट - सुशील कुमार राय ( स्थानीय )


उज्जवल कुमार राय, 7905590969

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