गाजीपुर: कोविड-19 ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को सरकार भले ही कोरोना योद्धा बताती हो, लेकिन उसकी सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है इसका नजारा जनपद गाजीपुर में वैक्सीनेशन के कार्य में लगी महिला सीएचओ के साथ मारपीट की घटना के बाद देखने को मिला. घटना के कई दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई न होने से डिप्रेसन में आकार पीड़िता ने आत्महत्या करने का प्रयास किया. पीड़िता को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उसका इलाज चल रहा है. इतना कुछ होने के बाद भी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियोंं ने अस्पताल पहुंचकर महिला सीएचओ का हाल-चाल नहीं लिया.
24 जून को जंजीर पुर प्राथमिक विद्यालय में कोविड-19 वैक्सीनेशन के दौरान सीएचओ निशा यादव के साथ मारपीट हुई थी. पीड़िता ने बताया कि वैक्सीनेशन के दौरान एक लड़की पहुंची थी. जो अपना वैक्सीनेशन पहले करवाने का दबाव बना रही थी. जिसपर निशा यादव ने एतराज जताया. जहां लड़की ने निशा यादव को सबके सामने थप्पड़ जड़ दिया और मारपीट की. इस दौरान आरोपी लड़की निशा का मोबाइल जमीन पर पटक कर भाग गई. जिसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी गई. इनके द्वारा पुलिस में लिखित तहरीर भी दी गई, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
निशा यादव आरोप लगाते बता रहीं है कि उनपर मामला वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. निशा ने बताया कि न्याय की गुहार लेकर वह सीएमओ कार्यालय भी गई थी और अपनी आपबीती सीएमओ को बताई, लेकिन उनके द्वारा भी इस मामले पर कोई रुचि नहीं दिखाया गया. जिसके बाद ये डिप्रेशन में आकर बीती रात निशा ने नींद की गोली का अत्यधिक सेवन कर लिया. इसके पहले भी निशा ने सुसाइड नोट लिख आत्महत्या करने का जिक्र किया था. निशा ने पत्र में लिखा था कि अगर किसी प्रकार की कोई घटना या दुर्घटना हो जाती है तो इसके लिए विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार होंगे.
वहीं जब इस मामले में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. उमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी होने पर ऐसी सुभाकर पुर के द्वारा पुलिस कार्रवाई के लिए एप्लीकेशन दिया गया, लेकिन इस मामले में पुलिस के द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. ऐसे में पहली प्राथमिकता निशा को स्वस्थ करना है और उसके स्वस्थ होने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
सीएचओ निशा ने बताया कि उसके ऊपर इस मामले को रफा-दफा कराने के लिए लगातार दबाव आ रहे हैं. पुलिस अधीक्षक कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिलाधिकारी कार्यालय का भी चक्कर लगाया, लेकिन जब कहीं से भी इंसाफ नजर नहीं आया. तब उसने आत्महत्या का कदम उठाया है.
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