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चित्रकूट में पेड़ों के नीचे श्रमिक हो रहे हैं होम क्वॉरंटाइन

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Published : May 21, 2020, 9:10 PM IST

चित्रकूट जिले के प्रत्येक गांव में प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं. स्वास्थ्य परीक्षण के बाद 14 दिनों तक या 21 दिनों तक होम क्वॉरंटाइन रहने की सलाह स्वास्थ्य विभाग ने दी है. यहां बहुत से मजदूरों के पास बड़ा घर न होने की वजह से वह पेड़ के नीचे अपने दिन काट रहे हैं.

पेड़ों के नीचे श्रमिक होम क्वॉरंटाइन.
पेड़ों के नीचे श्रमिक होम क्वॉरंटाइन.

चित्रकूट: जिले में पहुंचे प्रवासी श्रमिक अब अपने गांव पहुंचकर चैन की सांस ले रहे हैं. कई श्रमिकों ने कहा कि ऐसे हालात सहन कर महानगरों में दोबारा जाने का मन नहीं है. वहीं छोटे मकान होने पर इन श्रमिकों को गांव से दूर पेड़ों की छांव का सहारा लेना पड़ रहा है तो कई श्रमिक शासकीय भवनों में होम क्वॉरंटाइन होने को मजबूर हैं.

उत्तर प्रदेश की 335 ग्राम सभा वाले चित्रकूट के प्रत्येक गांव में प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं. इन प्रवासी मजदूरों को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद 14 दिनों तक या 21 दिनों तक होम क्वॉरंटाइन रहने की सलाह स्वास्थ्य विभाग ने दी है. इसके चलते गांव पहुंचे इन मजदूरों के सामने एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई. समस्या यह है कि इनके घर इतने बड़े नहीं हैं कि यह लोग होम क्वॉरंटाइन रह सकें.

पेड़ की छांव में कट रहा है दिन
होम क्वॉरंटाइन होने की वजह से परिवार के दूसरे सदस्यों को या तो घर से बाहर रहना पड़ेगा नहीं तो प्रवासी मजदूर के संपर्क में वह आ सकते हैं. ऐसे में कई मजदूर पेड़ की छांव के नीचे अपना दिन व्यतीत कर रहे हैं.

मजदूरों का कहना है कि हम लोगों को अपने गृह जनपद लौटने पर बहुत सी मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं. ट्रक से आए हम लोगों ने तीन हजार से 35 सौ रुपये किराया दिया. वह भी कई जगह पुलिस ने हमें रोका.


किसुन नाम के श्रमिक ने बताया कि महाराष्ट्र से झांसी तक वह पैदल ही 900 किलोमीटर चलकर आया. झांसी पहुंच कर उसे प्रशासनिक सुविधा बस से चित्रकूट पहुंचाया गया. ऐसे में इन मजदूरों का कहना है कि वह दोबारा महानगरों का रुख करने से परहेज करेंगे और जनपद में ही रोजगार के साधन हों तो वह अपने गांव में ही रहना पसंद करेंगे.

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