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आजमगढ़: हिन्दी दिवस पर छलका साहित्यकार का दर्द

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Published : Sep 14, 2019, 9:00 PM IST

साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद ने ईटीवी भारत के साथ की खासबात.

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हिंदी दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में पहुंचे वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद का दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि सिर्फ औपचारिक दिवस के रूप में बनकर रह गई है हिन्दी.

आजमगढ़: हिन्दी दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में पहुंचे वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद का दर्द छलक पड़ा. ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दी सिर्फ औपचारिक दिवस के रूप में बनकर रह गई है. हिंदी दिवस 14 सितंबर तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि हिंदी का सम्मान प्रतिदिन होना चाहिए.

साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद ने ईटीवी भारत के साथ की खासबात.

देश में संकट के दौर से गुजर रही है हिन्दी
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व की प्रमुख भाषाओं में हिन्दी भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हिन्दी भाषा बोली जाती है. जिसके बाद चाइना भाषा का स्थान है. देश के लगभग 177 देशों में बोली जाने वाली हिन्दी भाषा अपने ही देश में संकट के दौर से गुजर रही है.

यह भी पढ़ें: हिंदी दिवस: ताजनगरी से बज रहा दुनिया में हिंदी का डंका, विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने आते हैं भारत

हिन्दी का सम्मान प्रतिदिन होना चाहिए
हिंदी भाषा में इंग्लिश शब्दों के प्रयोग पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि या एक फैशन चल पड़ा है. आजकल के लोग परंतु, किंतु के स्थान पर बट का प्रयोग कर रहे हैं जो कि गलत है. पर ये फैशन चल पड़ा है ऐसा नहीं होना चाहिए. हिन्दी का सम्मान प्रतिदिन होना चाहिए और इसकी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.

बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद साहित्यिक रूप से काफी समृद्ध रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, राहुल सांकृत्यायन वाला, शिवली नोमानी जैसी शख्सियतों ने भारत ही नहीं दुनिया में नाम कमाया है. ऐसे में जिस तरह से हिन्दी दिवस को एक दिन में ही याद किया जा रहा है. निश्चित रूप से इससे साहित्यकारों के दिल में काफी दर्द हो रहा है.

Intro:anchor:आजमगढ़। हिंदी दिवस पर आयोजित सम्मान समारोह कार्यक्रम में पहुंचे वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस 14 सितंबर तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि हिंदी का सम्मान प्रतिदिन होना चाहिए।


Body:वीओ: 1 ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि जिस तरह से सिर्फ 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है उससे हम लोग हिंदी में क्या चल रहा है इस पर विचार कर लेते हैं लेकिन वर्ष में 1 दिन ही हिंदी दिवस को मनाया जाना मात्र औपचारिक दिवस ही बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व की प्रमुख भाषाओं में हिंदी भाषा का महत्वपूर्ण स्थान है और पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली जाती है और जिसके बाद चाइना भाषा का स्थान है। देश के लगभग 177 देशों में बोली जाने वाली हिंदी भाषा अपने ही देश में संकट के दौर से गुजर रही हैं। हिंदी भाषा में इंग्लिश शब्दों के प्रयोग पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि या एक फैशन चल पड़ा है। उन्होंने कहा कि आजकल की युद्ध टीम लेकिन परंतु किंतु के स्थान पर बट का प्रयोग कर रही है जो कि गलत है पर यह फैशन चल पड़ा है ऐसा नहीं होना चाहिए। हिंदी को राष्ट्रभाषा मातृभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी का सम्मान प्रतिदिन होना चाहिए और इसकी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।


Conclusion:बाइट: जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद वरिष्ठ साहित्यकार
अजय कुमार मिश्र आजमगढ़ 9453766900

बताते चलें कि आजमगढ़ जनपद साहित्यिक रूप से काफी समृद्ध रहा है आजमगढ़ जनपद में शिक्षा के क्षेत्र में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध राहुल सांकृत्यायन वाला शिवली नोमानी जैसी शख्सियतों ने भारत ही नहीं दुनिया में नाम कमाया है ऐसे में जिस तरह से हिंदी दिवस को एक दिन में ही याद किया जा रहा है निश्चित रूप से इससे साहित्यकारों के दिल में काफी दर्द हो रहा है।
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