ETV Bharat / state

हिंदी दिवस: ताजनगरी से बज रहा दुनिया में हिंदी का डंका, विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने आते हैं भारत

author img

By

Published : Sep 14, 2019, 9:54 AM IST

उत्तर प्रदेश में हिंदी भाषा विश्व में दूसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा है. इसलिए भारत को जानने और यहां पर व्यापार करने के लिए हिंदी बोलना, लिखना और पढ़ना आना बहुत जरूरी है.आगरा का केंद्रीय हिंदी संस्थान 59 साल से हिन्दी का प्रचार प्रसार कर रहा है और यहा विदेशी स्टूडेंट्स आकर हिंन्दी पढ़ रहे हैं.

विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने आते है भारत

आगरा: मोहब्बत की नगरी दुनिया के लोगों की जुबान पर हिंदी की मिठास घोल रही है. आगरा स्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने के लिए हर साल अलग-अलग देशों से 100 से ज्यादा स्टूडेंट आते हैं. जो हिंदी लिखना सीखते हैं. हिंदी पढ़ना और बोलना भी सीखते हैं. यही हिंदी फिर उन्हें रोजगार भी दिलाती है. सन 1962 से केंद्रीय हिंदी संस्थान दुनियाभर के देशों में हिंदी का डंका बजा रहा है. इस साल भी आगरा में केंद्रीय हिंदी संस्थान में 28 देशों के स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं.

विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने आते है भारत.

विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने आते हैं भारत-
सन 1960 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की नींव आगरा में रखी गई. 1962 में केंद्रीय हिंदी संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन आया तभी से लगातार केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से हिंदी का विदेशों में प्रचार प्रसार किया जा रहा है. स्कॉलरशिप पर विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने के लिए भारत आते हैं. यहां उन्हें हिंदी पढ़ने-लिखने बोलने के साथ ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता से भी रूबरू कराया जाता है. विदेशी छात्रों को संगीत, नृत्य, वाद्ययंत्र, योग की शिक्षा समेत अन्य तमाम की भी शिक्षा दी जाती है.

दिल्ली सेंटर पर 85 विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हिंदी-
केंद्रीय हिंदी संस्थान का एक सेंटर दिल्ली में भी है. जहां पर विदेशी स्टूडेंट्स को हिंदी पढ़ाई जाती है. इस सत्र में दिल्ली सेंटर पर भी 85 विदेशी छात्र छात्राएं हिंदी की पढ़ाई कर रहे हैं.

संस्कृति और सभ्यता से रूबरू-
आगरा केंद्रीय हिंदी संस्थान में विदेशी छात्र-छात्राएं हिंदी पढ़ने, लिखने और बोलने के साथ ही भारतीय कला संस्कृति और सभ्यता से भी रूबरू होते हैं. उन्हें भारतीय संगीत, नृत्य,वाद्ययंत्र, योग और प्राच्य शिक्षा समेत अन्य तमाम विषयों को भी शिक्षा दी जाती है.

हिंदी की शिक्षिका बनूंगी-
मोरक्को की सना अंजार ने बताया कि बचपन से ही मुझे हिंदी फिल्में पसंद हैं. इसलिए मेरा हिंदी की तरफ लगाव हुआ और मैं इसलिए यहां हिंदी पढ़ने आई हूं. मैं हिंदी पढ़ कर अनुवादक या हिंदी शिक्षिका के रूप में नौकरी करूंगी.

भारत का इतिहास जानने को सीख रहा हिंदी-
जापान के यूकीसुज ने बताया कि तीन साल पहले जब मैं हाईस्कूल में था, तब मैं इतिहास पढ़ रहा था. उस दौरान मेरी भारतीय इतिहास में दिलचस्पी बढ़ी. विश्वविद्यालय से भारतीय इतिहास के बारे में पुस्तकें पढ़ने लगा. इसलिए अब मैं हिंदी सीखने आया हूं, जिससे भारतीय इतिहास को सही तरह से समझ सकूं.

दोनों देश के संबंध होंगे मजबूत-
बांग्लादेश के राजा इब्राहिम ने बताया कि इंडियन कल्चर और बांग्लादेश कल्चर समान है. मुझे हिंदी सीखने की भावना है, इसलिए मैं हिंदी सीख रहा हूं, जिससे इंडिया और बांग्लादेश के संबंधों को और मजबूत बना सकूं.

हिंदी पढ़ाने में सहायक भाषा है अंग्रेजी-
केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी के प्राध्यापक कृष्ण कुमार पांडेय ने बताया कि यहां हिंदी सीखने आने वाले बहुत सारे विद्यार्थी पहले से ही अंग्रेजी का ज्ञान रखते हैं. इन विद्यार्थियों को हिंदी तक पहुंचाने में अंग्रेजी सहायक भाषा के रूप में उपयोग करते हैं. ऐसे ही तमाम ऐसे देश हैं, जिनके स्टूडेंट्स हिंदी जानते हैं, उन्हें अंग्रेजी नहीं आती है. इसलिए अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं का उपयोग करके ही स्टूडेंट्स को हिंदी सिखाते हैं.

28 देश के स्टूडेंट्स पढ़ रहे हिंदी-
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडे ने बताया कि इस सत्र में केंद्रीय हिंदी संस्थान में 28 देशों के 100 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों से विदेशी विद्यार्थियों में हिंदी पढ़ने की दिलचस्पी बढ़ी है. इस वजह से देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिन देशों के विद्यार्थियों का हिंदी पढ़ने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान में रुझान अधिक है. उनमें चीन, जापान, यूक्रेन, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान,मंगोलिया, इजिप्ट, बांग्लादेश, श्रीलंका, रूस, साउथ कोरिया और अन्य देशों के स्टूडेंट्स शामिल हैं.

Intro:यह खबर सर श्री शैलेंद्र जी के आदेसानुसार भेजी जा रही है. यह हिंदी दिवस स्पेशल खबर है. स्पेशल का लोगो का भी उपयोग कर सकते हैं. खबर की पैकेजिंग की जाएगी.
आगरा.
मोहब्बत की नगरी दुनियां के लोगों की जुबान पर हिंदी की मिठास घोल रही है. आगरा स्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने के लिए हर साल अलग-अलग देशों से 100 से ज्यादा स्टूडेंट आते हैं. जो हिंदी लिखना सीखते हैं. हिंदी पढ़ना और बोलना भी सीखते हैं. यही हिंदी फिर उन्हें रोजगार भी दिलाती है. सन् 1962 से केंद्रीय हिंदी संस्थान दुनियांभर के देशों में हिंदी का डंका बजा रहा है. इस साल भी आगरा में केंद्रीय हिंदी संस्थान में 28 देशों के स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं.





Body:सन् 1960 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की नींव आगरा में रखी गई. 1962 में केंद्रीय हिंदी संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन आया तभी से लगातार केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से हिंदी का विदेशों में प्रचार प्रसार किया जा रहा है. स्कॉलरशिप पर
विदेशी छात्र हिंदी पढ़ने के लिए भारत आते हैं. यहां उन्हें हिंदी पढ़ने लिखने बोलने के साथ ही भारतीय संस्कृति और सभ्यता से भी रूबरू कराया जाता है. विदेशी छात्रों को संगीत, नृत्य, वाद्ययंत्र, योग की शिक्षा समेत अन्य तमाम की भी शिक्षा दी जाती हैं.

दिल्ली सेंटर पर 85 विदेशी स्टूडेंट्स पढ़ रहे हिंदी
केंद्रीय हिंदी संस्थान का एक सेंटर दिल्ली में भी है. जहां पर विदेशी स्टूडेंट्स हिंदी पढ़ाई जाती है. इस सत्र में दिल्ली सेंटर पर भी 85 विदेशी छात्र छात्राएं हिंदी की पढ़ाई कर रहे हैं.

संस्कृति और सभ्यता से रूबरू
आगरा केंद्रीय हिंदी संस्थान में विदेशी छात्र-छात्राएं हिंदी पढ़ने, लिखने और बोलने के साथ ही भारतीय कला संस्कृति और सभ्यता से भी रूबरू होते हैं. उन्हें भारतीय संगीत, नृत्य,वाद्ययंत्र, योग और प्राच्य शिक्षा समेत अन्य तमाम विषयों को भी शिक्षा दी जाती है.

हिंदी की शिक्षिका बनूंगी
मोरक्को की सना अंजार ने बताया कि, बचपन से ही मुझे हिंदी फिल्में पसंद हैं. इसलिए मेरा हिंदी की तरफ लगाव हुआ. और मैं इसलिए यहां हिंदी पढ़ने आई हूं. मैं हिंदी पढ़ कर अनुवादक या हिंदी शिक्षिका के रूप में नौकरी करूंगी.

भारत का इतिहास जानने को सीख रहा हिंदी
जापान के यूकीसुज ने बताया कि, 3 साल पहले जब मैं हाई स्कूल में था. तब मैं इतिहास पढ़ रहा था. उस दौरान मेरी भारतीय इतिहास में दिलचस्पी बढ़ी. विश्वविद्यालय से भारतीय इतिहास के बारे में पुस्तकें पढ़ने लगा. इसलिए अब मैं हिंदी सीखने आया हूं. जिससे भारतीय इतिहास को सही तरह से समझ सकूं.

दोनों देश के संबंध होंगे मजबूत
बांग्लादेश के राजा इब्राहिम ने बताया कि, इंडियन कल्चर और बांग्लादेश कल्चर समान है. मुझे हिंदी सीखने की भावना है, इसलिए मैं हिंदी सीख रहा हूं. जिससे इंडियन और बांग्लादेश के संबंधों को और मजबूत बना सकूं.

हिंदी पढ़ाने में सहायक भाषा है अंग्रेजी
केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी के प्राध्यापक कृष्ण कुमार पांडेय ने बताया कि यहां हिंदी सीखने आने वाले बहुत सारे विद्यार्थी पहले से ही अंग्रेजी का ज्ञान रखते हैं. इन विद्यार्थियों को हिंदी तक पहुंचाने में अंग्रेजी सहायक भाषा के रूप में उपयोग करते हैं. ऐसे ही तमाम ऐसे देश हैं, जिनके स्टूडेंट्स हिंदी जानते हैं, उन्हें अंग्रेजी नहीं आती है. इसलिए अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं का उपयोग करके ही स्टूडेंट्स को हिंदी सिखाते हैं.

28 देश के स्टूडेंट्स पढ़ रहे हिंदी
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो. नंद किशोर पांडे ने बताया कि इस सत्र में केंद्रीय हिंदी संस्थान में 28 देशों के 100 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं. पिछले कई वर्षों से विदेशी विद्यार्थियों में हिंदी पढ़ने की दिलचस्पी बढ़ी है. इस वजह से देशों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिन देशों के विद्यार्थियों का हिंदी पढ़ने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान में रुझान अधिक है. उनमें चीन, जापान, यूक्रेन, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान,मंगोलिया, इजिप्ट, बांग्लादेश, श्रीलंका, रूस, साउथ कोरिया और अन्य देशों के स्टूडेंट्स शामिल हैं.





Conclusion:हिंदी भाषा विश्व में दूसरे नंबर पर बोली जाने वाली भाषा है. इसलिए भारत को जानने और यहां पर व्यापार करने के लिए हिंदी बोलना, लिखना और पढ़ना आना बहुत जरूरी है. केंद्रीय हिंदी संस्थान 59 साल से हिन्दी का प्रचार प्रसार कर रहा है.

.........
पहली बाइट सना अंजार, स्टूडेंट (मोरक्को) की।
दूसरी बाइट यूकीसुज , स्टूडेंट (जापान) की।
तीसरी बाइट राजा इब्राहिम, स्टूडेंट (बांग्लादेश) की।
चौथी बाइट कृष्ण कुमार पांडेय, प्राध्यापक (केंद्रीय हिंदी संस्थान) की।
पांचवीं बाइट प्रो. नंद किशोर पांडे, निदेशक (केंद्रीय हिंदी संस्थान) की।

...........
श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.