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राम मंदिर के साथ अयोध्या में बने कोठारी बंधुओं का स्मारक : पूर्णिमा कोठारी

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Published : Jan 24, 2020, 6:18 AM IST

कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी ने राम मंदिर निर्माण के साथ कोठारी बंधुओं का स्मारक बनाए जाने की मांग की है. उनका कहना है ऐसा करने से उनके परिवार को संतोष मिलेगा.

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अयोध्या में बनाया जाए कोठारी बंधुओं का स्मारक.

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि विवाद को लेकर कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी ने बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से मुझे सुकून मिला है. मेरे भाइयों का बलियान सार्थक हुआ. पूर्णिमा कोठारी ने राम मंदिर निर्माण के साथ कोठारी बंधुओं का स्मारक बनाए जाने की मांग की है. उनका कहना है ऐसा करने से उनके परिवार को संतोष मिलेगा.

अयोध्या में बनाया जाए कोठारी बंधुओं का स्मारक.

मन में है भाइयों के न होने की पीड़ा
पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि वे अपने भाइयों को सम्मान दिलाने की मुहिम लेकर चल रही हैं. उनके भाइयों ने राम जन्मभूमि के लिए अपना बलिदान दिया था. वह अपने भाइयों को सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि मेरे भाइयों के नहीं होने की पीड़ा मेरे अंतर्मन में है. 30 वर्ष बाद उनका बलिदान सार्थक हो गया है.

सीएम योगी से की है बात
पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सुनकर मन को बड़ा संतोष मिला. अब मेरा प्रयास है कि मुझे भी राम मंदिर में कोई भूमिका मिल जाए. उन्होंने कहा है कि राम मंदिर में भाइयों के बलिदान का एक स्मारक बनना चाहिए. इसके लिए उन्होंने सीएम योगी से बात की है.

गोली लगने से हुई थी मौत
बता दें कि वर्ष 1990 में अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बने ढांचे पर शरद कोठारी (20) और रामकुमार कोठारी (23) नाम के भाइयों ने भगवा झंडा फहराया था. दोनों की पुलिस की फायरिंग में गोली लगने से मौत हो गई थी.

पैदल पहुंचे थे अयोध्या
'अयोध्या के चश्मदीद' किताब में इस बात का जिक्र है कि कोठारी भाइयों के दोस्त राजेश अग्रवाल के अनुसार 22 अक्टूबर की रात शरद और रामकुमार कोठारी कोलकाता से चले थे. वे बनारस आकर रुके. उस वक्त सरकार ने ट्रेनें और बसें बंद कर रखी थीं. वे टैक्सी से आजमगढ़ के फूलपुर कस्बे तक पहुंचे. यहां सड़क का रास्ता भी बंद था. यहां से दोनों भाई अयोध्या के लिए 25 अक्टूबर को पैदल चल दिए.

दोनों भाइयों ने फहराया था भगवा
करीब 200 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करने के बाद वे 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे. श्रीराम जन्मभूमि पर स्थित ढांचे के गुंबद पर चढ़ने वाला पहला आदमी शरद कोठारी था. इसके बाद शरद का भाई राम कोठारी भी गुंबद पर चढ़ा. दोनों ने गुंबद पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया था.

इस किताब में है दोनों भाइयों का जिक्र
'अयोध्या के चश्मदीद' किताब के अनुसार शरद और रामकुमार कोठारी 2 नवंबर को विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की ओर जा रहे थे. इस दौरान जब पुलिस ने गोली चलाई तो दोनों पीछे हट गए. वे लाल कोठी वाली गली में छिप गए थे. थोड़ी देर बाद जब वे बाहर निकले तो दोनों पुलिस फायरिंग का शिकार हो गए.

Intro:अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कोठारी बंधुओं की बहन पूर्णिमा कोठारी ने कहा है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम के निर्णय का निर्णय सुकून मिला है. मेरे भाईयों का बलिदान सार्थक हुआ है. Body:पूर्णिमा कोठारी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ कोठारी बंधुओं का स्मारक बनाए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा है उससे उन्हें और उनके परिवार को संतोष मिलेगा.
पूर्णिमा कोठारी ने कहा है कि वे अपने भाईयों को सम्मान दिलाने की मुहिम लेकर चल रही हैं. उनके भाईयों ने राम जन्मभूमि के लिए अपना बलिदान दिया था. उन्होंने कहा कि वह उन्हें सम्मान दिलाने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने ने कहा कि मुझे भी कोई ऐसा दायित्व मिलना चाहिए जिससे कि मैं अपने भाईयों के एक स्मारक बनाकर उन्हें सम्मान देने का काम कर सकूं. उन्होंने कहा कि मेरे भाईयों के नहीं होने के पीड़ा मेरे अंतर्मन में है. बलिदान के 30 वर्ष बाद उनका बलिदान सार्थक हो गया है.

पूर्णिमा कोठारी ने कहा कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सुनकर मन को बड़ा संतोष मिला. मेरे भाईयों का बलिदान सार्थक हो गया. मेरा प्रयास है कि मुझे भी राम मंदिर में कोई भूमिका मिल जाए. उन्होंने राम मंदिर में भाईयों के बलिदान का एक स्मारक बनना चाहिए. पूर्णिमा का कहना है कि इसके लिए उन्होंने सीएम योगी से बात की है.

कल्याण सिंह से थे 1992 के हीरो: पूर्णिमा कोठारी
पूर्णिमा कोठारी कहना है जब अयोध्या में ढांचा ढहाया गया था उस वक्त सीएम रहे कल्याण सिंह ने हीरो जैसा काम किया थी. उन्होंने सीएम की जैसी सीट को छोड़ दिया था, लेकिन कारसेवकों पर गोली चलाना स्वीकार नहीं किया थी. वहीं मुलायम सिंह ने कुछ वोटों के लिए कारसेवकों पर गोली चलवा दी थी. पूर्णिमा का कहना है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुन कर मन को बड़ा सुकून मिला.
आपको बता दें कि वर्ष 1990 में अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बने ढांचे पर शरद कोठारी(20) और रामकुमार कोठारी (23) नाम के भाइयों ने भगवा झंडा फहराया था. दोनो की पुलिस की फायरिंग में गोली लगने से मौत हो गई थी.

200 किमी पैदल चल अयोध्या पहुंचे थे कोठारी बंधु
'अयोध्या के चश्मदीद' किताब में इस बात का जिक्र है कि कोठारी भाइयों के दोस्त राजेश अग्रवाल के अनुसार 22 अक्टूबर की रात शरद और रामकुमार कोठारी कोलकाता से चले थे. वे बनारस आकर रुके. उस वक्त सरकार ने ट्रेनें और बसें बंद कर रखी थीं. वे टैक्सी से आजमगढ़ के फूलपुर कस्बे तक पहुंचे. यहां सड़क का रास्ता भी बंद था. यहां से दोनों भाई अयोध्या के लिए 25 अक्टूबर को पैदल चल दिए. करीब 200 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करने के बाद वे 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे. श्रीराम जन्मभूमि पर स्थित ढांचे के गुंबद पर चढ़ने वाला पहला आदमी शरद कोठारी था. इसके बाद शरद का भाई राम कोठारी भी गुंबद पर चढ़ा. दोनों ने गुंबद पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया था.
Conclusion:'अयोध्या के चश्मदीद' किताब के अनुसार शरद और रामकुमार कोठारी 2 नवंबर को विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की ओर जा रहे थे. इस दौरान जब पुलिस ने गोली चलाई तो दोनों पीछे हट गए. वे लाल कोठी वाली गली में छिप गए थे. थोड़ी देर बाद जब वे बाहर निकले तो दोनों पुलिस फायरिंग का शिकार हो गए.

बाईट- पूर्णिमा कोठारी, कोठारी बंधुओं की बहन

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